बयानबाजी करने के पहले नेता समझें अपना दायरा-अरूण जेटली
नई दिल्ली,22 जून(इ खबरटुडे)। आरबीआई गवर्नर रघुराम राजन के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार अऱविंदसुब्रमण्यिन पर बीजेपी सांसद सुब्रमण्यिन स्वामी के सीधे हमले के बाद आखिरकार वित्त मंत्री अरूण जेटली के सब्र का बांध टूट पड़ा. जेटली ने कहा कि नेताओं को अपना दायरा समझना चाहिए.
बुधवार सुबह एक टवीट कर स्वामी ने सुब्रमण्यिन पर आरोप लगाया कि कुछ समय पहले उन्होंने राष्ट्रीय पेटेंट नीति का विरोध किया था. उनका ये भी आरोप था कि 2013 में सुब्रमण्यिन ने अमेरिकी कांग्रेस को दवा कंपनियो के मामले में भारत के खिलाफ कार्यवाही करने कहा था. स्वामी ये भी मानते हैं कि वस्तु व सेवा कर यानी जीएसटी पर कांग्रेस के अड़ियल रूख के लिए भी मुख्य आर्थिक सलाहकार ही जिम्मेदार हैं. इन्ही आरोपों के आधार पर स्वामी ने सुब्रमण्यिन को बर्खास्त करने की मांग की.
नेताओं की बयानबाजी पर पर लगाम पर कोई फैसला पार्टी करेगी
दोपहर बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के नतीजों की जानकारी देने जब वित्त मंत्री अरूण जेटली मीडिया के सामने आए तो उनसे पहला सवाल स्वामी की टिप्पणी पर ही पूछा गया. उन्होंने कहा कि नेताओं को अपने दायरे को समझना चाहिये कि वो उन लोगों पर कितना निशाना साधे जो जिम्मेदारी के कारण जवाब नहीं दे पाते है. इसका मतलब ये हुआ कि अरविंद सुब्रमण्यिन अपनी पद की जिम्मेदारियों की वजह से हर आलोचना का जवाब नहीं दे सकते. जेटली ने ये भी कहा कि नेताओं की बयानबाजी पर पर लगाम पर कोई फैसला पार्टी करेगी. उधर, बीजेपी ने स्वामी के बयान से अपने आप को किनारा कर लिया है.
उनका बचाव करते हुए जेटली ने ये भी कहा कि अरविंद सुब्रमणयम सरकार के लिए महत्वपू्र्ण सलाहकार है और सरकार उनकी सलाह का सम्मान करती है. ये कयास भी लगाए जा रहे हैं कि राजन और सुब्रमण्यिन के बहाने स्वामी वित्त मंत्री अरूण जेटली पर हमला बोल रहे हैं. इस पर जेटली के मंत्रिमंडलीय सहयोगी और संचार मंत्री रविशंकर प्रसाद जेटली की ईमानदारी पर कोई सवाल नहीं उठा सकते.
वैसे तो रघुराम राजन के गवर्नर बनने के बाद मुख्य आर्थिक सलाहकार का पद पिछली सरकार के कार्यकाल के दौरान ही खाली हो चुका था लेकिन अरविंद सुब्रमण्यिन को बतौर मुख्य आर्थिक सलाहकार मोदी सरकार ने ही अक्टूबर, 2014 में नियुक्त किया. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष के अर्थशास्त्री रह चुके सुब्रमण्यिन वाशिंगटन स्थित पीटरसन इंस्टीट्यूट फॉर इंटरनेशनल इकोनॉमिक्स और सेंटर फॉर ग्लोबल डेवलपमेंट में सीनियर फेलो के तौर पर काम कर चुके हैं. भारत और चीन की अर्थव्यवस्था पर उन्हें विशेषज्ञ माना जाता है. अब राजन की रिजर्व बैंक से साथ विदा होने के साथ ही सुब्रमण्यिन का नाम दावेदारों के रूप में लिया जा रहा है.
सुब्रमण्यन के पहले स्वामी ने राजन पर आरोप लगाए थे कि वो अमेरिकी एजेंट हैं और जानबुझकर ब्याज दरों में कमी नहीं की. उन्होंने साफ कहा था किराजन को वापस शिकागो लौट जाना चाहिए. ध्यान देने की बात है कि मुख्य आर्थिक सलाहकार बनने के पहले राजन शिकागो में पढ़ा रहे थे और अब 3 साल का कार्यकार पूरा होने के बाद वापस वहीं जाने का इरादा जताया है. हालांकि ये तो नहीं कहा जा सकता कि स्वामी के हमलों के वजह से ही राजन के कार्यकाल का विस्तार नहीं करने का सरकार ने फैसला किया, लेकिन 3 साल के कार्यकाल की समाप्ति का यकायक राजन की ओर से ऐलान किए जाने की एक वजह स्वामी के बयान ही बताए जा रहे हैं.
फिलहाल, एक बात तो तय है कि स्वामी के हमलों के बाद रघुराम राजन की तरह अरविंद सुब्रमण्यिन अपना पद नहीं छोड़ने वाले और ना ही सरकार इस बारे में किसी बदलाव का इरादा रखती है.