April 25, 2024

गजेन्द्रसिहं ने प्रदेश में फहराया विज्ञान का परचम

27 साल में पहली बार रतलाम को मिला पुरस्कार,श्री राठौर बने मध्यप्रदेश के बेस्ट सांइस टीचर

रतलाम,19 मई (इ खबरटुडे)। उत्कृष्ट विद्यालय के शिक्षक ने पूरे जिले को गौरव दिलाया है। मध्यप्रदेश विज्ञान एवं प्रोद्योगिकी परिषद विज्ञान भवन भोपाल और gajendra singhराज्य विज्ञान शिक्षा संस्थान एवं अध्यापक विज्ञान शिक्षा महाविद्यालय जबलपुर ने उत्कृष्ट विद्यालय के भौतिकी विषय के व्याख्याता गजेंद्रसिंह राठौर को राज्य स्तरीय नवाचारी विज्ञान शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया है। श्री राठौर ने पूरे प्रदेश में प्रथम स्थान प्राप्त किया है। श्री राठौर को प्रशस्ति पत्र के साथ 25 हजार रुपए का नकद पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाले जिले के पहले शिक्षक हैं।

उत्कृष्ट विद्यालय के प्राचार्य प्रदीप कुरील ने बताया कि प्रदेश के शिक्षकों को विज्ञान को लोकप्रिय बनाने, उपलब्धियों का सम्मान करने, विज्ञान शिक्षकों के नवाचार, क्रिया कलापों संबंधी जानकारी आंकलन करने, वैज्ञानिक दृष्टिकोण का विद्यार्थियों में विकास एवं जनमानस में वैज्ञानिक मानसिकता का विकास करने तथा प्रदेश के सृजनात्मक, प्रतिभाशाली शिक्षकों की खोज करने के लिए 1988 में इस सम्मान की शुरुआत की गई थी। अब तक प्रदेश के 51 शिक्षकों को यह सम्मान मिल चुका है। श्री कुरील ने बताया उन्हें यह पुरस्कार 5 सितंबर को विज्ञान विमर्श विथिका ऑडिटोरियम मप्र विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद भोपाल में दिया जाएगा। शाल-श्रीफल, प्रशस्ति-पत्र एवं 25 हजार रुपए की राशि दी जाएगी।

कई राष्ट्रीय पुरस्कार कर चुके हैं प्राप्त

श्री राठौर एमएससी बीएड हैं और विक्रम विवि की प्रावीण्य सूची में चयनित हुए थे। 1989 में राष्ट्रीय विज्ञान मेले में सहभागिता की और 1992 में राज्य विज्ञान जत्था मे ंशामिल थे। एक शिक्षक के रूप में श्री राठौर ने इतने नए और अनूठे प्रयोग किए हैं वे पहले भी 4 बार राष्ट्रीय स्तर और 12 बार राज्य स्तर की प्रतिस्पर्धाओं में चयनित हो चुके हैं। राष्ट्रीय इस्पायर अवार्ड, राष्ट्रीय विज्ञान सेमिनार, बाल विज्ञान कांग्रेस, राष्ट्रीय महोत्सव सहित 55 छात्रों का अपने मार्गदर्शन में राष्ट्रीय स्तर पर चयन करवा चुके हैं तथा पुरस्कार प्राप्त चुके हैं। 2008 में विज्ञान प्रसार नईदिल्ली के आमंत्रण पर छत्तिसगढ़ में कम लागत की शिक्षण सामग्री का प्रशिक्षण राज्य में चुने हुए शिक्षकों को दे चुके हैं।

कॉपी-किताब नहीं, खेल खेल में समझाा देते है विज्ञान

श्री राठौर को उनके नवाचार के सम्मानित किया गया है। श्री कुरील ने बताया कि क्लास में श्री राठौर दाबांतर, रुदोज्म प्रसार, वृत्तीय गति, अभिकेंद्र बल आदि पर वास्तविक प्रयोग करके दिखाते हैं। बैनर, चार्ट, पोस्टर, डिजाइन, क्विज, सेमीनार के तरीकों से ही पढाते हैं। उनके द्वारा लिखे गए पाठ्यक्रम पर आधारित विभिन्न नाटकों को 10वीं के पाठ्यअंश में पोषण, विद्युत लेपन, ग्लोबल वार्मिग आदि को लेकर लिए जा चुके हैं। 9वीं में मलेरिया शामिल है। जिले के अन्य स्कूलों में भी ये नाटक खेले जा रहे हैं।

10 साल में एक भी विद्यार्थी नहीं हुआ फेल

श्री राठौर कार्यो के साथ प्रतिदिन स्कूली समय और इसके अलावा भी कमजोर विद्यार्थियों को निशुल्क पढ़ाते हैं। रविवार, छुट्टी के बाद समय में इतने क्लबों, अभियानों का काम चलता रहता है। इसके बाद भी पिछले 10वर्षो में श्री राठौर द्वारा पढ़ाए गए विद्यार्थियों में से एक ही बोर्ड कक्षा में उनके विषय में अन्नुतीर्ण नहीं हुआ है। कई विद्यार्थी हर साल 100 में से 100 अंक हासिल करते हैं।

मॉय साइंस

श्री राठौर ने विज्ञान में छुपे रोचक तथ्यों और खेती से लेकर दैनिक जीवन तक छुपे विज्ञान को लोगों को बताने के लिए फेसबुक पर भी माय साइंस पेज बनाए हैं। जिसमें हजारों सदस्य जुड़े हैं। कोई भी व्यक्ति या बच्चा अपने सवाल इसपर पोस्ट करता है तो ग्रुप में उसे तार्किक आधार पर जवाब भी तत्काल मिलता है। पेज के माध्यम से गांवों और दूर दराज के कई बच्चें विज्ञान की बेहतर पढ़ाई भी कर रहे हैं।

अंधविश्वास को दूर करने के प्रयास

श्री राठौर ने अपने विद्यार्थियों और कुछ सहकर्मियों तथा दोस्तों के साथ जिले का सबसे साहस का अभियान चलाया। बाजना, पिपलौदा, सैलाना जैसे आदिवासी अंचलों में फैले अधंविश्वास को दूर करने के लिए गली-मोहल्लों, चौराहों पर नुक्कड़ नाटक और वैज्ञानिक व्यख् या के आयोजन किए। शुरुआत में बहुत विरोध झेलना पड़ा लेकिन धीरे-धीरे प्रशासन से लेकर भोपाल में विज्ञान अकादमी तक ने उन्हें स मानित किया। मंचों पर देश के ख्यात वैज्ञानिकों को बुलवाकर लोगों के सामने सारे नारियल से आग निकालने, हाथ से फल निकालने, भभूत उड़ाने, समाधि लगाने, अंगारों पर चलने, अंगारे खाने, त्रिशूल आरपार करने जैसे चमत्कार करके दिखाए और लोगों को उनके पीछे का वैज्ञानिक कारण भी बताया। बीमारियों पर इस प्रकार का ईलाज करवाने के घर-घर जाकर समझाइश दी और डॉक्टरी ईलाज भी दिलवाया। म.प्र. कॉस्ट भोपाल ने 2004 में इनके अन्धविश्वास की व्या ख्या के किट को पूरे प्रदेश में विज्ञानं संस्थाओ को बंटवाई।आदवासी जन विज्ञानं जत्था, जल बचत जत्था, बोरी बन्धान, हेल्थ कैंप, रक्तदान शिविर, विज्ञानं मेलो के गांव गांव में सेकड़ो आयोजन शून्य बजट पर जन सहयोग से करके दिखाए।

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