स्वच्छता के नाम पर गोल्डन बुक में नाम दर्ज कराएगा जबकि शहरभर में गंदगी पसरी पड़ी
घाटे में चल रहा नगर निगम फिर फिजूलखर्ची पर उतारू
उज्जैन,22 दिसम्बर(इ खबरटुडे)।कर्मचारियों का वेतन एफडी तुड़ाकर करने वाला निगम का भाजपा बोर्ड एक बार फिर फिजुलखर्ची करने पर तुल गया है और गोल्डन बुक में नगर निगम का नाम दर्ज कराने के लिए स्वच्छता के नाम पर लाखों खर्च करने जा रहा है। जबकि शहर में स्वच्छता के हाल यह है कि नालियां चौक हैं, वार्डों में कचरों के ढेर हैं, पवित्र सप्तसागरों में नालों का पानी मिल रहा है, पवित्र क्षिप्रा गंदे नालों के कारण मैली की मैली रही।
नगर निगम की आय प्रतिमाह लगभग 30 करोड़ है और खर्च 50 करोड़। इतना होने के बावजूद भी भाजपा बोर्ड थोथी वाहवाही लूटने के लिए मूलभूत समस्याओं पर खर्च करने की बजाए महिमामंडन के कामों पर लाखों खर्च कर रहा है। नेता प्रतिपक्ष राजेन्द्र वशिष्ठ ने कांग्रेस पार्षद दल के साथ नगर निगम के भाजपा बोर्ड को आईना दिखाने के लिए गुरूवार को शहर के विभिन्न स्थानों का दौरा किया। जिसमें उन्होंने शहर में फैले कचरों के ढेर, सप्तसागरों में फैली गंदगी, नालों तथा नदी में मिलता नालों का गंदा पानी, चौक नालों का निरीक्षण किया।
वशिष्ठ के साथ कांग्रेस पार्षद दल के जफर सिद्दीकी, गुलनाज नासिर खान, हेमलता बैंडवाल, प्रमिला मीणा, रहीम लाला, हिम्मतसिंह देवड़ा, करूणा जैन आदि कमिश्नर को पत्र लिखकर मांग की कि भाजपा बोर्ड द्वारा लाखों रूपये खर्च कर खुद का महिमा मंडन करने वाले कामों पर रोक लगाकर इस राशि को शहर विकास में खर्च करें। निर्माण कार्य रूके, ठेकेदारों का 20 करोड़ का भुगतान बाकि राजेन्द्र वशिष्ठ के अनुसार नगर निगम की आर्थिक स्थिति इतनी ख़राब है कि कर्मचारियों का वेतन देने के लिए एफ डी तोड़कर भुगतान किया जा रहा है। नगर निगम ने अपनी आय वसूली के सम्बन्ध में भी कोई प्रगति नहीं हुई है और न ही शासन स्तर से नगर निगम को राशि प्राप्त हुई है। उलटे नगर निगम ने खर्चे बढ़ा दिए है। लाखो रूपये का खर्च कर अधिकारियो के वेतन के रूप में व्यय हो रहा है। नगर निगम की आमदनी लगभग 30 करोड़ है और खर्च 50 करोड़। नगर सरकार का आय और व्यय का मासिक अंतर 20 से 25 करोड़ है। आय बढ़ाने की कोई योजना नहीं बनाई और न ही फिजूल खर्ची कम की। इस कारण नगर विकास के अंतर्गत इस वित्तीय वर्ष के वार्डो के निर्माण कार्य प्रारंभ ही नहीं हो पाए। केवल पार्षदों एवं अन्य मदों के प्रस्ताव इस वित्तीय वर्ष में स्वीकृत तो हुए है लेकिन माली हालत ठीक नहीं होने से कार्य प्रारंभ नहीं हो पाए।
ठेकेदारों का 20 करोड़ का भुगतान बाकि है। गांधीजी के चश्मे की आकृति बनाने की बजाय, उनके आदर्शों को अपनाएं इतनी ख़राब स्थिति होने के बावजूद भी नगर निगम फिजूलखर्ची पर रोक लगाने की बजाय आज 23 दिसंबर को फिर निगम का नाम गोल्डन बुक में लिखा जाये इसके लिए लाखों रूपये खर्च किये जा रहे है। स्कूल के बच्चों एवं नगर निगम के सभी कर्मचारियों को मैदान में इकठ्ठा कर पूज्य गांधी जी की चश्मे की आकृति बनाये जाने के बजाय अच्छा होता की समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत स्कूलो में, शासकीय कार्यालयों, स्वयं सेवी संस्थाओं के माध्यम से मोहल्लों, वार्डो में निरंतर स्वच्छता का संदेश जनजागरण अभियान चलाया जाता और 54 वार्डो में प्रतियोगिताओ का आयोजन कर स्वच्छ वार्ड को प्रोत्साहित किया जाता तो निश्चित तौर पर समग्र स्वच्छता अभियान का हमारा प्रयास सफल होता, केवल 1 दिन में लाखों रूपये खर्च कर गोल्डन बुक में नाम लिखा भर देने से हमारा शहर स्वच्छ नहीं हो जायेगा। जबकि वास्तविकता में करोडो रूपये खर्च करने के पश्चात् शहर के गंदे नालो का पानी शिप्रा में मिल रहा है। और करोडो रूपये स्वच्छता के नाम पर खर्च करने के पश्चात् शहर में कचरो के ढेर देखे जा सकते है। वार्डो में डोर टू डोर कलेक्शन का कार्य व्यवस्थित नहीं हो पा रहा है। कई शिकायतें होने के बाद भी इस पर ध्यान नहीं दिया गया। निगम आयुक्त को पत्र सौपकर कांग्रेस पार्षद दल ने निवेदन किया है कि नगर निगम की वित्तीय माली हालत को देखते हुए फिजूलखर्ची पर रोक लगाई जाए। केवल राष्ट्रपिता के चश्मे की आकृति बनाने का क्या औचित्य। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के आदर्शों एवं मूल्यों को जनजन तक पहुचाने के लिए जन जागरण अभियान प्रथक-प्रथक वार्डो में चलाया जाना चाहिये।
फिजूलखर्ची की बजाए बस्तियों में सड़क बना दो नेता प्रतिपक्ष वशिष्ठ के अनुसार कांग्रेस पार्षद दल ने समग्र स्वच्छता अभियान के अंतर्गत सकारात्मक सोच के साथ उम्मीद करता है कि उज्जैन नगर सफाई व्यवस्थाओं के नाम पर प्रथम पुरस्कार प्राप्त करे। लेकिन आकृति बनाकर गोल्डन बुक में नाम दर्ज कराने वाले व्यय से एक बस्ती की पूरी सड़क बनाई जा सकती है। गंदी बस्तियों, पिछड़े वार्डों में विकास करने के बजाए फिजूलखर्ची किए जाने का क्या औचित्य। स्वच्छता मिशन योजना के अंतर्गत बनाए गए शौचालय आज तक पूर्ण नहीं हो पाए है एवं कई वार्डों में केवल दिखावा मात्र कार्य हो रहा है। कहीं सेप्टिक टैंक के गड्ढे खुदे पड़े हैं तो कहीं कार्य आधा अधूरा बीच में ही छोड़ दिया गया है और जिन वार्डों में ठेकेदार द्वारा कार्य हो चुका है या प्रारंभ है उनकी गुणवत्ता काफी घटिया किस्म की है।