सिंहस्थ में न पोलीथिन और न डिस्पोजल का उपयोग
वाल्मिकीधाम में पांच लाख मिट्टी के सगोरे मंगाये श्रद्धालुओं के लिये
उज्जैन,02 फरवरी (इ खबरटुडे)।सिंहस्थ महापर्व कई मायनों में अपनी विशिष्ठ पहचान कायम करेगा और साधु-संत भी इसमें अहम भूमिका निभा रहे हैं। धार्मिकता के साथ-साथ पर्यावरण संतुलन को भी ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाओं को अंजाम दिया जा रहा है। वाल्मिकीधाम में इस बार न तो प्लास्टिक के डिस्पोजल आयटम आयेंगे और न पालीथिन का प्रयोग होगा।
पीठाधीश्वर स्वामी बालयोगी उमेशनाथ महाराज का कहना है कि हम सिंहस्थ में करीब पांच लाख श्रद्धालुओं को भोजन, चाय, प्रसादी, छाछ आदि की सेवा प्रदान करेंगे लेकिन पोलीथिन और डिस्पोजल आयटम का उपयोग कतई नहीं किया जावेगा। सिंहस्थ के लिये करीब पांच लाख मिट्टी के पात्र (सगोरे) मंगवाए जा रहे हैं। इसके अलावा हम स्टील के बर्तनों का उपयोग करेंगे।
सिंहस्थ के दौरान यहां आश्रम में ही धार्मिक गतिविधियां चलेंगी। संतों के लिये अस्थायी डेरे-कुटिया आदि का निर्माण भी आश्रम में ही कराया जा रहा है। चूंकि वाल्मिकी धाम शिप्रा किनारे व सिंहस्थ अधिसूचित क्षेत्र में ही है। अत: पृथक से सिंहस्थ के नहीं लगाया जा रहा है।