फिर शुरु होगी रतलाम की जीवनरेखा सज्जन मिल?
सज्जनमिल के पुराने मालिकों ने बीआइएफआर को सौंपा प्रस्ताव
रतलाम,7 सितम्बर (इ खबरटुडे)। पचास सालों तक रतलाम और पूरे मालवांचल की जीवन रेखा कहलाने वाली सज्जनमिल क्या फिर से शुरु हो सकती है? बीआईएफआर को सज्जन मिल को पुनर्जीवित करने के लिए प्रस्ताव सौंपा गया है। यदि यह प्रस्ताव स्वीकृत हो जाता है तो असंभव प्रतीत होने वाली यह उपलब्धि संभव भी हो सकती है। सज्जन मिल को पुनर्जीवित करने का यह प्रस्ताव सज्जन मिल के पुराने मालिकों ने ही बीआईएफआर को सौंपा है।
रतलाम की जीवनरेखा कहलाने वाली सज्जनमिल रतलाम महाराजा सज्जनसिंह द्वारा दी गई भूमि पर १९२९ में प्रारंभ हुई थी। १९५७ में इस मिल को एस एन अग्रवाल परिवार ने अपने संचालन में लिया था और इसके बाद कई दशकों तक यह मिल रतलाम के हजारों परिवारों के जीवन यापन का एकमात्र आधार बनी रही। १९८० तक यह मिल लाभ देने वाली मिल थी। लेकिन इसके बाद अनेक कारणों के चलते मिल घाटे में जाने लगी और १९८६ में घाटे के कारण इसे बन्द कर दिया गया। अनेक आन्दोलनों और श्रमिकों के संघर्ष के बाद इस मिल को राज्य शासन ने अपने अधिकार में ले लिया और इसका संचालन फिर से शुरु हुआ। एमपी स्टेट टैक्सटाईल कारपोरेशन लिमिटेड का सरकारी प्रबन्धन इसे घाटे से नहीं उबार पाया और आखिरकार सन १९९६ में सज्जनमिल पूरी तरह बन्द हो गई।
मिल बन्द होने के बाद इसका प्रकरण भारत सरकार के औद्योगिक और वित्तीय पुनर्निर्माण बोर्ड ( बोर्ड फार इण्डस्ट्रीयल एण्ड फाइनेंशियल रिकंस्ट्रक्शन-बीआईएफआर) के समक्ष प्रस्तुत हुआ। मिल को पुनर्जीवित करने के लिए दो बार अलग अलग योजनाएं प्रस्तुत की गई लेकिन दोनो बार ही इन योजनाओं को अस्वीकृत कर दिया गया।
सज्जन मिल को नए सिरे से पुनर्जीवित करने के लिए सज्जन मिल संचालक रहे माधव प्रसाद अग्रवाल द्वारा बीआईएफआर के समक्ष नई योजना प्रस्तुत की गई है। यदि बीआईएफआर इस योजना पर स्वीकृति की मोहर लगा देती है,तो वह दिन दूर नहीं जब सज्जन मिल फिर से रतलाम की जीवनरेखा बन जाएगी।
यह है प्रस्ताव
एमपी अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत पुनर्जीवन योजना चरणबध्द है। प्रथम चरण में मिल में उच्च क्वालिटी के फेब्रिक,एक्सपोर्ट क्वालिटी फेब्रिक इत्यादि का उत्पादन प्रारंभ किया जाएगा। इसके साथ ही मिल की भूमि के एक हिस्से का उपयोग एक नए लाजिस्टीक डिविजन के लिए किया जाएगा,जिसका उपयोग स्टोरेज और वेअर हाउसिंग के रुप में किया जाएगा। यहां कृषि उत्पादों जैसे कपास,और सब्जियों आदि का भण्डारण किया जाएगा। पहले चरण पर ३५१० लाख रुपए की लागत आंकी गई है। यह चरण तीन वर्ष में पूरा किया जाएगा।
द्वितीय चरण में सज्जन मिल परिसर में सूचना प्रौद्योगिकी से सम्बन्धित एक इंस्टीट्यूट को शुरु किए जाने का प्रस्ताव है। इस संस्थान में आसपास के दो सौ छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। इस संस्थान को अन्तर्राष्ट्रिय विश्वविद्यालयों से जोडा जाएगा और यहां समस्त अत्याधुनिक सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएगी।
इसके साथ ही एक बीपीओ कंपनी प्रारंभ करने का प्रस्ताव है जिसमें करीब ९०० कर्मचारियों को रोजगार मिलेगा। इस बीपीओ कंपनी में सज्जनमिल के इंस्टीट्यूट के छात्रों को रोजगार दिया जाएगा। यह बीपीओ कंपनी ३० हजार वर्ग फीट जमीन पर स्थापित होगी। कम्प्यूटर संस्थान और बीपीओ कंपनी के लिए कामन फेसिलिटी एरिया होगा। द्वितीय चरण पर ४३७८ लाख रुपए व्यय होंगे।
बहरहाल सज्जनमिल को पुनर्जीवित करने का प्रस्ताव बीआईएफआर के समक्ष विचाराधीन है। यदि बीआईएफआर इस योजना पर स्वीकृति की मोहर लगा देता है तो वह दिन दूर नहीं जब सज्जन मिल की सिटी फिर से सुनाई देने लगेगी।