प्रकृति एवं वन्यजीवन की फोटोग्राफ्स स्लाईड्स का प्रदर्शन
रतलाम,२६ जुलाई (इ खबरटुडे)। बरसात के साथ प्रकृति का अपना अनोखा रंग जिस तरह अभिव्यक्त होता है,उसी प्रकार देश विदेश से भिजवाए गए प्रतियोगी छायाकारों के शानदार फोटोग्राफ्स में प्रकृति एवं वन्य जीवन की झलक प्रशंसनीय है। उक्त बात वन मण्डलाधिकारी आरपी राय ने साम सर्किट २०१२ के नेचर एवं वाईल्ड लाईफ सेक्शन के फोटोग्राफ्स स्लाईड्स के प्रदर्शन के मौके पर व्यक्त किए।
सजन कैमरा क्लब के सौजन्य से बर्ड्स वाचिंग ग्रुप संस्थापक एवं प्रकृतिविद् राजेश घोटीकर ने रतलाम,मन्दसौर,नीचम जिरे के रेंज आफिसर्स के अवलोकनार्थ उक्त स्लाईड्स उपलब्ध कराई।
श्री घोटीकर ने जानकारी देते हुए बताया कि इस वर्ष आईआईपीसी को नेचर सेक्शन में ४३४ तथा वाईल्ड लाईफ सेक्शन में ३१८ एंट्रीया प्राप्त हुई है। जिनका प्रदर्शन वन विभाग के वरिष्ठ एवं कनिष्ठ अधिकारियों के बीच किया गया। छायाचित्रकारों को अपने फोटो बनाने के लिए वाटर प्रूफ कैमरा के साथ माइक्रो तथा जूम लैंसों की आवश्यकता पडी है,तो वहीं दुर्गम पहाडों पर ट्रैकिंग,नौका,डाईविंग तथा हैलीकाफ्टर्स का महंगा प्रयोग भी करना पडा है।
पार्चुगीस मेन आफ वार के लिए जहां समन्दर की गहराई की थाह लेना पडी है,वहीं अफ्रीकी जंगल मसाईमारा के विंटरबीस्ट एन्युअल माइग्रेशन के लिए हैलीकाफ्टर का उपयोग किया जाना भी समझ में आता है। दक्षिणी अमेरिका के दलदली इलाके में जाकर जगुआर कीज्जम्प के लिए नौका प्रयोग तो,भराल के दुर्गम पहाडों की खाक भी छानना पडी है। उत्तरी अमेरिका से प्यूमा,ब्राउन बीअर,और बॉब केट,कोटर बनाते छोटा बसन्त,फूलों पर मंडराती तितलियां,हमिंग बर्ड,तथा नवरंग पक्षी,भालू,बब्बर शेर,रेनडीयर,उदबिलाव,जंगली हाथी के चित्रों के लिए साहस और धैर्य की आवश्यकता थी। गहरे पानी से मछलियां पकडते किंग फिशर,ब्लू हेरोन,और ईग्रेट पक्षी के लिए फुर्ती और जूम लैंसों की जरुरत को महसूस किया जा सकता है। फोटोग्राफ्स में अनेक रंग बिरंगे कीट पतंगे हैं तो मकडियां,ड्रेगन फ्ला,ग्रास हापर्स और गुबरैले को भी छायाचित्रकारों ने प्रतिबिंब बनाने में कसर नहीं छोडी।
प्रदर्शन के अवसर पर सृजन कैमरा क्लब के कमल उपाध्याय,देवेन्द्र शर्मा,विजय यति,गगन गाबा,हैरोल्ड हैरी,पर्यावरण मित्र सुनील व्यास,बर्डस वाचिंग गु्रुप के तुषार कोठारी,भूपेश खिलोसिया,सुरेश पुरोहित,मुकेश शर्मा,प्रदीप जैन आदि उपस्थित थे।