November 15, 2024

नोटबंदी के 6 दिनों बाद ही कर्नाटक कोऑपरेटिव बैंकों में जमा हुए 500 करोड़

बेंगलुरु,26 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद से मात्र 6 दिनों के अंदर ही राज्‍य के जिला सहकारी बैंकों में कुल 500 करोड़ रुपये से अधिक की रकम जमा करायी गयी। इस क्रम में कर्नाटक पुलिस ने सोमवार को दो लोगों को गिरफ्तार किया। उनके पास से 2000 रुपये नोटों वाले 11.30लाख की रकम जब्‍त की गयी है। मामला आयकर विभाग को भेज दिया गया है।

बगलकोट सहकारी बैंक से 162 करोड़ रुपये
आयकर विभाग और प्रर्वतन निदेशालय ने कर्नाटक के जिला सहकारी बैंकों में छापेमारी की। इस दौरान उन्‍हें केवल बगलकोट के सहकारी बैंक में ही 162 करोड़ रुपये कैश जमा कराए जाने का पता चला। राज्‍य के अन्‍य जिला सहकारी बैंकों की तुलना में सबसे अधिक कैश यहीं जमा किए गए थे।

बैंक प्रबंधन में कांग्रेस-भाजपा नेता
बता दें कि बगलकोट सहकारी बैंक के प्रबंधन में कांग्रेस और भाजपा के नेता शामिल हैं। हालांकि पूर्व कांग्रेस मंत्री अजयकुमार सरनायक बैंक के चेयरमैन हैं। सिद्धरमैया सरकार के पूर्व मंत्री, एसआर पाटिल, एच वाइ मेटी और भाजपा के नवनिर्वाचित एमएलसी हनुमंत निरानी इसके डायरेक्‍टर हैं। इस बैंक में इतनी बड़ी रकम के जमा होने पर अधिकारियों ने आश्‍चर्य व्‍यक्‍त किया विशेषकर जब लगातार सूखे के कारण खेती बर्बादी की कगार पर है। गुरुवार को, आयकर अधिकारियों ने बेलागावी सहकारी बैंक की जांच की जहां उन्‍हें जमा हुए खातों में बड़ी रकम का पता चला। बैंक मैनेजमेंट में अनेकों राजनेता शामिल हैं।

6 दिनों में ही जमा हुए करोड़ों रुपये
आयकर विभाग के सूत्रों ने कहा, ‘हम मामले की पड़ताल कर रहे हैं कि लगातार नुकसान में चलने वाले इस बैंक में मात्र 6 दिनों के भीतर करोड़ों रुपये कहां से जमा हो गए।‘ बिल्‍कुल इसी तरह धारवाड़, हावेरी और गडग में भी हुआ जहां के सहकारी बैंकों के डिपॉजिट में बड़ी रकम पायी गयी। सूत्रों के अनुसार, प्रर्वतन निदेशालय अन्‍य सहकारी बैंकों – बल्‍लरी, मांडया, शिवमोगा, कोलर और दक्षिण कन्‍नड़ जिलों में जाएगी जहां काफी अधिक कैश जमा किए गए हैं।

किसानों के नाम पर अकाउंट
यह स्‍पष्‍ट है कि राजनेताओं ने अपने अघोषित धन को नए नोटों में बदलने के लिए जिला सहकारी बैंकों में अपने कनेक्‍शन का उपयोग किया। धारवाड़ के पूर्व सहकारी बैंक अधिकारी ने बताया, कई सालों तक जिला सहकारी बैंकों का उपयोग नेताओं द्वारा किया जाता रहा है जो किसानों के नाम पर अकाउंट खोलकर उनका उपयोग मनी लांड्रिंग के लिए करते थे। नोटबंदी के बाद भी उन्‍होंने ऐसा किया होगा। राज्‍य कृषि विभाग के वरिष्‍ठ अधिकारी ने बताया, ‘कर्नाटक के किसान कर्ज न चुका पाने के कारण आत्‍महत्‍या कर रहे थे लेकिन उन 6 दिनों में कई किसानों ने कर्ज का भुगतान कर दिया। इससे पता चलता है कि अमीर नेताओं ने किस तरह सहकारी बैंकों का शोषण किया है।‘

हालांकि छापेमारी या किसी तरह की जालसाजी से सहकारी बैंक के सीनियर मैनेजर ने इंकार किया। उन्‍होंने कहा कि यह ट्रांजैक्‍शन की जांच थी कि कहीं सहाकरी बैंक अकाउंट में काला धन या अघोषित धन तो नहीं जमा किया जा रहा है। कोऑपरेटिव सोसायटीज के रजिस्‍ट्रार, एमकेअयप्‍पा ने बताया कि आयकर अधिकारी व प्रर्वतन निदेशालय के अधिकारियों ने किसी भी तरह की जानकारी देने से इंकार कर दिया है।

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