नवकार को बना लें अपना जीवन मंत्र – राष्ट्रसन्तश्री
साढ़े तीन करोड़ जाप की आराधना सम्पन्न, पारणा आज
रतलाम 18 अगस्त(इ खबरटुडे)।अंगूठी में नग होता है तो ही उसकी शोभा बनी रहती है । इसी प्रकार नवकार का नग आपमें होगा तो जीवन आनन्द और सुख के गुणों से शोभायमान हो जाएगा। मंत्राधिराज नवकार को जीवन का मंर्त बना लें, यह साथ रहेगा तो कभी विपदा नहीं आएगी। मूर्दे को जिन्दा करने की ताकत जैसे संजीवनी बूटी में होती है, वैसे ही मानव जीवन को आलोकित करने का सामर्थ्य नवकार में होता है। नवकार आराधना का प्रसंग तभी सार्थक होगा, जब जीवन नवकारमय रहेगा।
जयन्तसेन धाम में राष्ट्रसन्त आचार्य श्रीमद् विजय जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. के इन उद्गारों के बीच साढ़े तीन करोड़ जाप वाली नौ दिवसीय नवकार आराधना पूरी हो गई। करीब 1800 आराधकों द्वारा किए गए जाप से पूरा वातावरण नवकारमय हो गया। पारणा एवं वरघोड़ा का आयोजन 19 अगस्त को किया जाएगा। राष्ट्रसन्तश्री ने कहा कि नवकार महामंत्र तन-मन और आत्मस्वरुप को निर्मल करने का काम करता है। इसके लिए श्रद्धा का होना आवश्यक है। श्रद्धा से सबकुछ पाया जा सकता है । श्रद्धा ही मानव जीवन की संजीवनी होती है। सभी यह प्रयास करे कि नवकार उम्र पर्यन्त हमसे जुड़ा रहे।
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि जैसे महाभारत काल में गुरु द्रोणाचार्य के पूछने पर अर्जुन ने लक्ष्य ही दिखने का जवाब दिया था, वैसे मानव जीवन का लक्ष्य नवकार की आराधना होनी चाहिए। दूध में शकर बराबर नहीं हो तो मिठास नहीं आती, इसी प्रकार नवकार आराधना में श्रद्धा नहीं होगी तो मिठास नहीं आएगी। उन्होंने कहा कई भवों में भटकने के बाद मानव जीवन में नवकार मिलता है। इस अवसर को व्यर्थ नहीं जाने देना चाहिए । आराधकों ने नौ दिवसीय साधना के दौरान नवकार की जो महिमा श्रवण की है, वह तभी सार्थक होगी जब इसका स्मरण जीवनभर बना रहेगा। इस मौके पर मुनिराजश्री अपूर्वरत्न विजयजी म.सा. ने भी नवकार आराधना का महत्व बताया।
जागृत अवस्था में आई तीर्थ भूमि – श्री काश्यप
चातुर्मास आयोजक एवं विधायक चेतन्य काश्यप एवं परिवार के सदस्यों मातुश्री तेजकुंवरबाई काश्यप, नीता काश्यप, सिद्धार्थ काश्यप एवं श्रवण काश्यप का नवकार आराधक परिषद् ने राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में नौ दिवसीय नवकार आराधना के सफलतम आयोजन के लिए शॉल, श्रीफल एवं अभिनन्दन पर्त भेंटकर सम्मान किया। अभिनन्दन पर्त का वाचन अशोक श्रीश्रीमाल ने किया। श्री काश्यप ने कहा कि गुरुदेव के आशीर्वाद से जयन्तसेन धाम में जिनमंदिर व गुरुमंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के साथ नवकार आराधना का सुखद् संयोग बना है। उनकी दादीजी स्व. झमकुबाई काश्यप की वर्ष 1992 में इच्छा थी कि रतलाम में गुरुदेव के चातुर्मास के साथ प्राण प्रतिष्ठा व अन्य आयोजन हों। यह इच्छा आज पूरी हुई है। करीब 1800 आराधकों द्वारा नवकार महामंर्त के करोडों जाप से यह तीर्थ भूमि जागृत अवस्था में आ गई है । गुरुदेव के आशीर्वाद से इसे भविष्य में ऐतिहासिक तीर्थ भूमि का स्वरुप मिलेगा।
अ.भा. र्तिस्तुतिक जैन श्रीसंघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष वाघजी भाई वोरा ने कहा कि राष्ट्रसन्तश्री के रोम-रोम में नवकार बसा हुआ है। रतलाम में उनका चातुर्मास कराकर विधायक चेतन्य काश्यप नया इतिहास रच रहे हैं। मंगल प्रवेश, जिनमंदिर व गुरुमंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के साथ चातुर्मास व्यवस्था और नवकार आराधना के वृहद् आयोजन से रतलाम की कीर्ति सब दूर फैल रही है। कार्यक्रम को ग्रामीण विधायक मथुरालाल डामर ने भी संबोधित किया। इस मौके पर आचार्यश्री की पुस्तक ‘नवकार करे भव पार’ का विमोचन किया गया। काश्यप परिवार द्वारा स्वर्ण मुद्रा से गुरुपूजा की गई, तत्पश्चात् सुजानमल जैन (राणापुरवाले), गुजरात के महेन्द्र भाई, राजस्थान के अशोक गुरुमाल एवं दक्षिण भारत के मांगीलाल मूथा को नवकार आराधना प्रभावना प्रदान की गई।
अतिथियों ने अभिधान राजेन्द्र कोष में ‘अ’ की महिमा पुस्तिका का विमोचन भी किया। इसके बाद पुस्तिका पर आधारित प्रश्नोत्तरी की शुरूआत की गई। आयोजक परिवार की ओर से तपस्वी कविता गादिया का बहुमान किया गया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ बाबूलालजी वीरचंदजी (थरादवाले) ने लिया। इस अवसर पर र्तिस्तुतिक जैन श्रीसंघ रतलाम के अध्यक्ष डॉ ओ.सी. जैन, जिला पंचायत अध्यक्ष परमेश मईड़ा, जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष अशोक चौटाला, नवयुवक परिषद् के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश भाई धरु, परामर्शदाता जे.के. संघवी सहित श्रीसंघ व परिषद् परिवार के साथ कई गणमान्यजन उपस्थित थे।