November 15, 2024

जयन्तसेन धाम में आज रचेगा तप-आराधना का इतिहास

50 से अधिक मासक्षमण तपस्वियों का सामूहिक पारणा व अनुमोदना समारोह आयोजित

रतलाम 22 अगस्त (इ खबरटुडे)। इन्द्रदेव की कृपा से रतलाम में एक तरफ जहां बारिश की झड़ी लगी हुई है, वहीं दूसरी ओर राष्ट्रसन्त, आचार्यश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा से तपस्या की झड़ी लग गई है। 50 से अधिक आराधकों ने मासक्षमण की दीर्घ तपस्या कर नया इतिहास रचा है।

मासक्षमण, सिद्धि तप व अन्य तप आराधनाओं के अनुमोदनार्थ चातुर्मास आयोजक एवं विधायक चेतन्य काश्यप परिवार ने 23 अगस्त को जयन्तसेन धाम में सामूहिक तप अनुमोदना समारोह आयोजित किया है। इससे पूर्व नीमवाला उपाश्रय से भव्य चल समारोह निकलेगा जिसमें 40 से अधिक बग्घियां, बैण्डबाजे, हाथी, घोड़े, ऊंट, झांकी आदि शामिल रहेंगे।

राष्ट्रसन्तश्री का चातुर्मास प्रारम्भ होते ही रतलाम में तप-आराधना का दौर शुरू हो गया था। 50 तपस्वियों द्वारा मासक्षमण (30 उपवास) एवं इससे अधिक के उपवास की दीर्घ तपस्या की गई है। कई आराधकों ने अन्य तपस्याएं की हैं। तपस्वियों का काश्यप परिवार अनुमोदना समारोह में बहुमान करेगा । सुबह 7.30 बजे नीमवाला उपाश्रय से मासक्षमण व सिद्धितप के तपस्वियों का चल समारोह प्रारम्भ होगा जो प्रमुख मार्गों से होता हुआ जयन्तसेन धाम पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो जाएगा। इस दौरान प्रदेश के ऊर्जा मंर्ती एवं अ.भा. राजेन्द्र जैन नवयुवक परिषद् के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष पारसचंद्र जैन विशेष रुप से उपस्थित रहेंगे। चल समारोह में शामिल बग्घियों में तपस्वियों का स्थान निर्धारण करने हेतु सोमवार को राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में ड्रा निकाले गए। पहली बग्घी में जावरा के सचिन चत्तर एवं पवन ओसतवाल का ड्रा खुला। अहिंसा क्रांति समाचार पर्त के योगेन्द्र नाहर व मनीष कुमार ने सिद्धार्थ काश्यप का सम्मान किया। पूर्वी, मानसी और नेहा ने स्तवन प्रस्तुत किया। दादा गुरुदेव की आरती का लाभ प्रेम कुमार पारसचन्द्र जैन (ऊर्जा मंर्ती) परिवार ने लिया। सोमवार को मुनिराजश्री जिनागमरत्न विजयजी म.सा. का केशलोच मुनिराज श्री प्रसिद्धरत्न विजयजी म.सा. के हाथों सम्पन्न हुआ।

दुनिया में अलग ही शक्ति रखती है तपस्या – राष्ट्रसन्तश्री
राष्ट्रसन्तश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने कहा कि दुनिया में तपस्या अलग ही शक्ति रखती है। यह शक्ति हर व्यक्ति के पास नहीं होती। गुरु के प्रति श्रद्धा एवं भक्ति का भाव रखने वाले को इसके परिणाम अवश्य मिलते हैं। तप से कर्मों की निर्जरा होती है, लेकिन इसके लिए तप आत्मलक्षी होना चाहिए। परमात्मा ने भी तप का अनुसरण किया था। उसी परम्परा में अनेक आत्माओं ने तप से तन को तपाया, मन को मनाया और आत्मा को निर्मल बनाया है। धर्मसभा में आचार्यश्री ने कहा कि वर्षों पूर्व दिल्ली में चम्पा श्राविका ने 180 उपवास कर जप किया था। इससे प्रभावित बादशाह अकबर ने आचार्यश्री हीरसूरिजी म.सा. से प्रेरणा पाकर हिंसा का त्याग किया था। दादा गुरुदेव श्री राजेन्द्रसूरिजी के शिष्य मुनिश्री रुपविजयजी प्रतिवर्ष चातुर्मास में मासक्षमण करते थे । उन्होंने रतलाम में भी चातुर्मास कर मासक्षमण किया था। इस चातुर्मास में कई पुण्यात्माओं ने सिद्धि तप, मासक्षमण, श्री सौभाग्य सुन्दर तप एवं अनेकों तप करके अद्भुत एवं अनुपम कार्य किया है।

आनन्द पाने का अवसर है चातुर्मास – मुनिराजश्री
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने कहा कि जन्म-मरण, धन संचय, यौवन आदि बार-बार मिल सकते हैं, लेकिन भलाई करने का अवसर मार्त मानव जीवन में ही मिलता है। मनुष्य ही सुपार्तदान, पुण्य उपार्जन व सन्मार्ग में तन-मन-धन का सदुपयोग कर सकता है । इसलिए बुराई के कार्य छोडक़र भलाई के कार्यों में समय का सदुपयोग करना चाहिए। चातुर्मास आराधना करने के लिए मिला है। जो आराधना करेगा, उसे संतोष होगा। सुख और आनन्द की परिभाषा बताते हुए उन्होंने कहा कि हमें जो पसंद है और वह मिल जाए तो सुख कहते हैं लेकिन जो मिला और वो हमें पसंद है तो आनन्द कहा जाता है। सुख सबको नहीं मिलता क्योंकि वह पराधिन है, मगर आनन्द सबको मिल सकता है क्योंकि वह स्वयं के अन्दर से प्रकट होता है। चातुर्मास आनन्द पाने का अवसर है, इसमें तप, त्याग और आराधना के आनन्द लूट लेना चाहिए।

चातुर्मास आयोजक ने किया बहुमान –
चातुर्मास आयोजक एवं विधायक चेतन्य काश्यप ने सोमवार को मासक्षमण की दीर्घ तपस्या करने वाले तपस्वियों का शॉल, श्रीफल भेंटकर सम्मान किया। उन्होंने श्रीमती रीता-डॉ. निर्मल मेहता, श्रीमती मधु-डॉ. नरेन्द्र मेहता, श्रीमती राजल- शांतिलाल तलेरा, श्रीमती हंसा-विमल नागौरी, श्रीमती सपना-लोकेश ओसतवाल, श्रीमती बबीता-संजय पोरवाल तथा श्रीमती मंजू-सतीश ओरा की तप अनुमोदना करते हुए तपोमय जीवन की कामना की।

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