गोवर्धन पूजन में पर्यावरण संरक्षण और रक्षा करने का संदेश
रामद्वारा में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में सिंथल पीठाधीश्वर
रतलाम, 05 दिसंबर (इ खबरटुडे)। रामद्वारा महंत गोपालदास महाराज द्वारा आयोजित श्रीमद् भागवत कथा में रामस्नेही संप्रदाय के आचार्य सिंथल पीठाधीश्वर क्षमारामजी महाराज ने कथा का श्रवण करवाया। इस दौरान रामधाम खेड़ापा राजस्थान से पधारे पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमदास शास्त्री महाराज ने भी कथा श्रवण की।
महाराज ने कथा सुनाते हुए सोमवार को कहा कि मोर अखंड ब्रह्मचारी है, इसलिए कृष्ण मोरपंख मुकुट में धारण करते हैं। गोपियों की भावना निर्विकार है। सभी गोपियां प्रौढ़ है और वस्त्र हरण मात्र एक लीला है। महाराज ने कहा कि पुरुषों के धर्म पर पत्नी का अधिकार होता है इसलिए उसे धर्मपत्नी कहते हैं। गोवर्धन पूजन पर्यावरण संरक्षण और रक्षा करने का संदेश देता है। जब व्यक्ति गहराई से देखता है तो उसे पता चलता है कि अग्नि जलाकर विनाश करती है और वही भोजन पकाकर भी खिलाती है। जल शांति देता है और वही विनाश भी करता है।
समर्पण है प्रेम
महाराज ने अरिण्यासुर बैल, यमुना नदी में लीलाओं का वर्णन भी किया। उन्होंने बताया कि भगवान सर्वत्र है। प्रेम हमेशा समर्पण होता है और बिना समर्पण भक्ति भी संभव नहीं। उन्होंने कहा कि धोबी, सुदामा, माली प्रसंग इस बात की सीख देता है कि संस्कृति का मजाक बनाने वाली हर बात का सार्वजनिक विरोध किया जाना चाहिए। महाराज ने बताया कि कान बंद करने पर भी जब अन्र्तध्वनी सुनाई न दे, अपनी परछाई धूप में भी दिखाई न दे तो मृत्यु सन्निकट होती है। कथा में कंस वध, उग्रसेन मुक्ति का भी प्रसंग सुनाया। महाराज ने बताया कि कृष्ण संदीपनी आश्रम में 64 दिनों तक रहे और शिक्षा ग्रहण की जो समाज को शिक्षा और गुरु का महत्व बताती है।
पुस्तक का हुआ विमोचन
इस दौरान कनिराम जी महाराज की वाणी का संकलन, सम्पादन गुरु स्थान रामधाम खेड़ापा के पीठाधीश्वर पुरुषोत्तमदास शास्त्री की पुस्तक का विमोचन हुआ। पुस्तक का आत्मनिवेदन करते हुए रामद्वारा के महंत गोपालदास महाराज ने लिखा कि विचार संकल्प में बदलता है तो सृजन का फल लोकहितकारी होता है। कथा के दौरान विभिन्न प्रसंग सुनाए गए। मधुर स्वर लहरियों के साथ हुए भजनों पर भक्त जमकर थिरके और पूरा माहौल आनंदमयी हो गया। कथा का समापन मंगलवार को होगा।