November 15, 2024

एयरफोर्स के लिए 200′ मेड इन इंडिया’लड़ाकू विमान खरीदेगा भारत

 

चीन-पाकिस्तान से टक्कर की तैयारी

नई दिल्ली,,29 अक्टूबर(इ खबरटुडे)।भारत और पाकिस्तान की सरहद पर बढ़े तनाव और चीन के साथ हाल के दिनों में बढ़ी तल्खी के बीच सरकार 200 लड़ाकू विमानों की बड़ी खरीद की तैयारी में है. हालांकि, विदेशी निर्माताओं के सामने सरकार ने साफ कर दिया है कि विमान मेड इन इंडिया ही होनी चाहिए.
एयरफोर्स की ताकत बढ़ाने पर जोर
एयर फोर्स सूत्रों के अनुसार सुरक्षाबलों के आधुनिकीकरण और लड़ाकू क्षमता में तेजी से विस्तार के लिए प्रस्ताव तैयार किए जा रहे हैं लेकिन मेड इन इंडिया की शर्त सबसे ऊपर रखी जाएगी. भारत के सामने न केवल पाकिस्तान बल्कि चीन की भी चुनौती है ऐसे में मोदी सरकार डिफेंस सेक्टर में खरीद और उत्पादन को लेकर तेजी से फैसले करना चाहती है.

एयरफोर्स के पूरे बेड़े को बदलने की तैयारी
भारत में अब तक ज्यादातर लड़ाकू विमान सोवियत संघ रूस से लिए गए हैं. हालांकि, हाल के दिनों में मिग विमान लगातार दुर्घटना के शिकार होते रहे हैं. अब एयरफोर्स के बेड़े को पूरी तरह बदलने की तैयारी है. 36 राफेल विमानों के लिए हुई डील इस दिशा में एक बड़ा कदम है. लेकिन अब सरकार इससे भी आगे जाकर सिंगल इंजन वाले 200 लड़ाकू विमानों की खरीद की तैयारी कर रही है. बस विदेशी कंपनियों के सामने शर्त ये होगी कि विमान भारत में बने. मोदी सरकार का जोर मेक इन इंडिया पर है. चीन और पाकिस्तान से मुकाबले के लिए एयरफोर्स को पूरी ताकत देने के लिए सरकार बड़ा फैसला लेने जा रही है.

देश में ही करना होगा उत्पादन
मोदी सरकार चाहती है कि केवल विमान खरीद नहीं जाएं बल्कि विदेशी कंपनी एक इंडियन पार्टनर के साथ मिलकर देश में ही इसका निर्माण करे. इसका मकसद एकतरफ देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करना है वहीं देश में लड़ाकू विमान निर्माण के उद्योग को व्यापक पैमाने पर स्थापित करना भी है.

कई विदेशी कंपनियों से बातचीत
इस मामले में कई विदेशी कंपनियों की ओर से सकारात्मक प्रतिक्रिया भी आई है. लॉकहीद मार्टिन(Lockheed Martin) कंपनी भारत में अपने F-16 विमान के निर्माण के लिए उत्पादन ईकाई लगाने को तैयार है. उसकी योजना न केवल भारतीय सेना के लिए बनाना बल्कि यहां से अन्य देशों में निर्यात करने की भी है. इसके अलावा स्वीडन की कंपनी ‘Saab’ ने भारत में उत्पादन ईकाई खोलने के लिए प्रस्ताव रखा है.

राफेल को लेकर भी हुई थी कोशिश
सूत्रों के अनुसार, रक्षा मंत्रालय ने कई कंपनियों को इसके बारे में चिट्ठी भी लिखी है. सरकार चाहती है कि कंपनियां सिंगल इंजन लड़ाकू विमान का यहीं उत्पादन करें. साथ ही तकनीक हस्तांतरण को भी इसमें बढ़ावा देने की बात कही गई है. भारत की योजना पहले डसॉल्ट के साथ मिलकर भारत में डबल इंजन वाले 126 राफेल विमान बनाने की थी लेकिन बातचीत सफल नहीं हो सकी. इसके बाद सरकार ने तत्काल 36 राफेल विमानों के लिए डील की.

एयरफोर्स ने रखी थी सच्चाई
लंबे समय से ये सवाल उठ रहा था कि भारत अपनी रक्षा जरूरतों के हिसाब से निर्माण क्यों नहीं करता. इस दिशा में केवल तेजस जैसे हल्के लड़ाकू विमानों का निर्माण देश में होता है. भारतीय एयरफोर्स को 45 ऑपरेशनल स्क्वॉड्रन की जरूरत है लेकिन अभी 32 ही ऑपरेशन हैं. मार्च माह में रक्षा मामलों की संसदीय समिति के सामने वाइस चीफ एयर मार्शल बीएस धनोवा ने कहा था कि अगर पाकिस्तान और चीन के साथ एक साथ युद्ध की स्थिति आती है तो भारतीय वायुसेना के पास जरूरी क्षमता का संकट है.

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