पर्वाधिराज पर्युषण में कर लें साधना-आराधना-भक्ति व उपासना – राष्ट्रसन्तश्री
रतलाम 26 अगस्त(इ खबरटुडे)। पर्वाधिराज पर्युषण आने वाला है। चातुर्मास में जो लोग किन्ही कारणों से वंचित रह रहे हों वे यह अवसर खाली नहीं जाने दें। पर्युषण महापर्व के दौरान साधना-आराधना, भक्ति और उपासना कर लें। इससे जीवन को सार्थकता मिलेगी। राष्ट्रसन्तश्री जयन्तसेन सूरीश्वरजी म.सा. ने शुक्रवार को जयन्तसेन धाम में आयोजित धर्मसभा में उपस्थित श्रद्धालुओं को यह संदेश दिया।उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति को परमात्मा की पूजा व उपासना करना चाहिए। पर्वाधिराज पर्युषण के दौरान तप- आराधना करके स्वयं के मन और तन के सामर्थ्य को परखें । तपस्या हर व्यक्ति कर सकता है लेकिन मन कमजोर है, इसी ने आराधना से पीछे रखा है। मन मजबूत होगा तो संसार की कोई भी शक्ति नहीं रोक पाएगी। मन के हारे हार है और मन के जीते जीत, मजबूत मन वाला हमेशा विजयी होता है। आचार्यश्री ने विक्रम चरित्र का वाचन करते अवंतिकापुरी के महाराजा विक्रमादित्य के प्रसंगों का रसपान कराया।
मुनिराजश्री निपुणरत्न विजयजी म.सा. ने इससे पूर्व उत्तराध्ययन सूत्र के दूसरे अध्ययन का वाचन करते हुए सहनशील बनने की प्रेरणा दी। उन्होंने कहा सहन करने वाला हमेशा आगे बढ़ता है। दुख आने पर विचलित होने वाला मंजिल तक नहीं पहुंच सकता। दुख का स्वागत करना चाहिए, सहन करना चाहिए और स्वीकार भी करना चाहिए । दुख के समय में स्थिर रहना पड़ता है क्योंकि वह समय क्षणिक ही होता है। साधु का जीवन त्याग मार्ग का जीवन है। इसमें अनेक प्रकार की प्रतिकूल परिस्थितियां आती हैं, लेकिन साधु को सभी परिस्थितियों में सहनशील बनकर संयम का त्याग न करते हुए कर्मों की निर्जरा करना चाहिए। श्रमण जीवन के विभिन्न गुणों का वर्णन करते हुए मुनिराजश्री ने कहा कि श्रावकों को भी इन गुणों को श्रवण कर अपने जीवन में सहनशील बनने का प्रयास करना चाहिए।
मुनिराजश्री ने बताया कल्पवृक्ष के प्रभाव से जैसे मन में सोची हर वस्तु मिल जाती है, लेकिन उसके लिए कल्पवृक्ष की पहचान होना जरुरी है। वैसे ही मानव जीवन कल्पवृक्ष से भी अधिक महत्वपूर्ण है, इस जीवन को पाने वाला मोक्ष प्राप्त कर सकता है, मगर उसे इस जीवन की महत्ता ज्ञात होनी चाहिए। तुच्छ कामनाओं, इच्छा, अपेक्षा को पूर्ण करने में ही मूल्यवान मानव जीवन पूर्ण नहीं करना चाहिए। प्रवचन के अन्त में दादा गुरुदेव की आरती हुई, इसका लाभ कांतिलालजी राजकमल दुग्गड़़ परिवार ने लिया।
रविवार को विशेष प्रवचन –
जयन्तसेन धाम में राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में 28 अगस्त को सुबह 9.00 बजे विशेष प्रवचन का आयोजन किया गया है। इसका विषय ‘माफ करे वो महान रहेगा । दोपहर 2.00 से 4.00 बजे तक ‘आओ हम धर्म को व्यवहार में लाएं विषय पर चलित नाटिका की प्रस्तुति होगी। 27 व 28 अगस्त को रात्रि 8.30 बजे युवा प्रवचन का आयोजन होगा।
श्री काश्यप ने किया अभिनन्दन –
राष्ट्रसन्तश्री की निश्रा में मासक्षमण एवं इससे अधिक उपवास की दीर्घ तपस्या करने वाले तपस्वियों के पारणे आयोजित हो रहे हैं । शुक्रवार को चातुर्मास आयोजक व विधायक चेतन्य काश्यप ने सैलाना वालों की हवेली (मोहन टाकिज) में तपस्वी श्रीमती वर्षा-उज्जवल भटेवरा एवं जगदीश भवन में श्रीमती सुनीता-विमल कटारिया तथा हनुमान रुण्डी में श्रीमती आयुषी-प्रिंस लुणावत को पारणा करवाकर बहुमान किया।