दो हफ्ते में जिले का तीसरा पटवारी रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार,प्रताडित किए जा रहे हैं भ्रष्टाचार उजागर करने वाले
रतलाम,17 जुलाई (इ खबरटुडे)। जिले के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार अपने चरम पर है। राजस्व विभाग में पटवारी से लेकर तहसीलदार तक तमाम अधिकारी कर्मचारी बेखौफ रिश्वतखोरी में लिप्त है। दो हफ्ते में जिले के तीन पटवारी रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किए जा चुके है। ताजा मामला जावरा का है,जहां लोकायुक्त पुलिस के एक दल ने शुक्रवार को एक पटवारी को रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया। दो हफ्ते में तीन पटवारियों की रिश्वतखोरी उजागर होने के बावजूद जिला प्रशासन इस ओर से उदासीन है। जिन लोगों ने भ्रष्टाचार को उजागर किया,उनके कामों को बेवजह अटकाया जा रहा है।
लोकायुक्त पुलिस के टीआई राजेन्द्र वर्मा ने बताया कि जावरा तहसील के ग्राम बर्डियागोयल निवासी कन्हैयालाल जाट की जमीन का डायवर्शन का आदेश हो चुका था। इस जायवर्टेड जमीन का रेकार्ड कम्प्यूटर में दर्ज किया जाना था,लेकिन इस काम के लिए पटवारी हल्का न.43 का पटवारी विजय सोंदल आवेदक कन्हेयालाल से चार हजार रु. की रिश्वत मांग रहा था। कन्हेयालाल ने इस बात की शिकायत लोकायुक्त पुलिस को की थी। लोकायुक्त पुलिस के टीआई राजेन्द्र वर्मा व संतोष जमरा की टीम ने शुक्रवार को योजनाबध्द तरीके से आवेदक कन्हेयालाल को रिश्वत की रकम देकर पटवारी विजय सोंदल के न्यू धानमण्डी रोड के पास स्थित उसके कार्यालय में भेजा। कन्हेयालाल ने योजनानुसार पटवारी विजय सोंदल को रिश्वत के चार हजार रु. दिए और उसी समय लोकायुक्त पुलिस ने पटवारी को रंगे हाथों धर दबोचा। पटवारी विजय सोंदल के विरुध्द भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।
प्रताडित किए जा रहे हैं भ्रष्टाचार उजागर करने वाले
जिले के राजस्व विभाग में भ्रष्टाचार चरम पर है। इसका प्रमाण है कि दो हफ्ते में तीन पटवारी रिश्वतखोरी में गिरफ्तार किए जा चुके हैं। लेकिन जिला प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारी राजस्व विभाग में पनप रहे भ्रष्टाचार पर आंखे मूंदे बैठे है। जिन आवेदकों ने अपने कामों के लिए रिश्वत देने की बजाय लोकायुक्त को शिकायत की है,उनके वैध और नियमानुसार होने वाले कामों को जानबूझकर अटकाया जा रहा है। पिछले हफ्ते सोमवार को कलेक्टर कार्यालय में पावती बनाने के नाम पर रिश्वत लेने वाले पटवारी को गिरफ्तार किया गया था। पटवारी की गिरफ्तारी को दो हफ्ते गुजर गए हैं लेकिन शिकायतकर्ता की पावती अब तक नहीं बनाई गई है। तहसीलदार कार्यालय में शिकायतकर्ता को बेवजह चक्कर लगवाए जा रहे हैं। इस मामले में बंटवारे का आदेश डेढ साल पहले हो चुका था,लेकिन रिश्वत नहीं दी गई इसलिए पावती नहीं बनाई गई।