November 17, 2024

हुसैन टेकरी की खौफनाक हकीकत,संगठित अपराधी गिरोह चला रहे है स्वस्थ लोगों को पागल बनाने के षडयंत्र

रतलाम,22 जून (इ खबरटुडे)। उपरी हवा और भूत प्रेत भगाने के लिए विख्यात जावरा स्थित हुसैन टेकरी की खौफनाक हकीकत सामने आई है। हुसैन टैकरी पर बडी संख्या में स्वस्थ मस्तिष्क वाले व्यक्तियों को जबरन बंधक बनाकर पागल बनाने का षडयंत्र चल रहा है। अपराधियों के संगठित गिरोह मोटी रकम लेकर किसी भी स्वस्थ व्यक्ति को बंधक बनाकर यहां रख लेते है और फिर उस पर अमानवीय अत्याचार करके उसे पागल बनाने का खेल शुरु हो जाता है।
हुसैन टैकरी की यह खौफनाक हकीकत  बुधवार रात को हुसैन टेकरी से छुडवाए गए कालूराम चौहान की दर्दनाक कहानी से सामने आई। एक महीने से लापता त्रिपोलिया गेट निवासी ५५ वर्षीय कालूराम को बीती रात उसके कुछ रिश्तेदार व मित्र हुसैन टैकरी की एक लाज से छुडवाकर लाए। कालूराम को पूरे महीने भर जंजीरों से बांध कर रखा गया था। उसकी बेरहमी से पिटाई की जाती थी और खाने को भी नहीं दिया जाता था। कालूराम ने सारा वाकया पुलिस को भी बताया,लेकिन अब तक पुलिस ने इस बारे में कोई कार्यवाही नहीं की है।

जंजीरों से बांधकर बेरहमी से पिटाई

पिछले एक महीने से हुसैन टेकरी स्थित वीसा लाज में बंधक बनाकर रखे गए कालूराम को चौबीसों घण्टों जंजीरों से बांधकर रखा जाता था। इ खबरटुडे से चर्चा करते हुए कालूराम ने बताया कि उसे वीसा लाज के एक छोटे से कमरे में दस बारह व्यक्तियों के साथ रखा गया था। इन सभी व्यक्तियों को फटे पुराने कपडे पहनाए जाते थे और सुबह उठाकर करीब साढे सात बजे हुसैन टेकरी के विभिन्न रोजों पर लोबान लेने के लिए ले जाया जाता था। सभी व्यक्तियों को जंजीरों से बांधकर ले जाया जाता था। दो तीन घण्टे वहां रुकने के बाद इन्हे कमरे में वापस लाया जाता था और खाने के लिए थोडे से चावल या एक रोटी  दे दी जाती थी। दोपहर बाद फिर से उन्हे लोबान लेने के लिए रोजों पर ले जाते थे। शाम के समय कभी कभार लंगर का खाना खिलाया जाता था। कई बार शाम को खाना भी नहीं दिया जाता था। बंधक बनाए गए व्यक्तियों की डण्डों से बेरहमी से पिटाई की जाती थी। बंधक कहीं भाग ना पाए,इसलिए कमरे पर ताला लगा कर रखा जाता था। कमरे से हुसैन टेकरी तक आने जाने के दौरान यदि कोई व्यक्ति किसी बाहरी व्यक्ति से मदद मांगने या बात करने की कोशिश भी करता,तो उसकी वहीं पिटाई शुरु कर दी जाती।

बंधकों में आधे स्वस्थ व्यक्ति

कालूराम चौहान ने बताया कि उसके साथ कमरे में बंद दस बारह  व्यक्तियों में से कम से कम पांच तो पूरी तरह स्वस्थ थे। बाकी के लोग मानसिक तौर पर अस्वस्थ थे। जो स्वस्थ लोग थे,वे आपस में बातचीत भी करते थे,लेकिन वहां से बच निकलने का उपाय किसी के पास नहीं था। अमानवीय परिस्थितियों और पिटाई के चलते इन स्वस्थ लोगों का पागल हो जाना भी महज समय की बात थी। कालूराम का कहना है कि हुसैन टेकरी में ऐसे दर्जनों लोग होंगे,जो मानसिक रुप से पूरी तरह स्वस्थ है,लेकिन उन्हे जबरन बंधक बनाकर पागल बनाने के षडयंत्र किए जा रहे हैं।

फोनकाल से बचा कालूराम

इस नारकीय जेल से कालूराम की रिहाई एक फोनकाल की वजह से हो पाई। कालूराम ने बताया कि वहां एक फिरोज नामक युवक के सामने एक फोन काल करने के लिए काफी रोया गिडगिडाया। फिरोज को उस पर दया आ गई और उसने खतरा मोल ले कर कालूराम को चुपचाप एक फोनकाल करने दी। कालूराम ने अपने भांजे शांतिलाल को रोते हुए बताया कि उसे हुसैन टेकरी पर बंधक बनाकर रखा गया है,और यदि उसे वहां से नहीं छुडाया गया तो वह मर जाएगा। इसी फोनकाल के बाद कालूराम के कुछ मित्र व परिचितों ने हुसैन टेकरी पंहुच कर उसे वहां से जैसे तैसे आजाद करवाया।

पत्नी और पुत्र ने ही किया था षडयंत्र

अपने मामा की फोनकाल को सुनकर शांतिलाल ने कालूराम के पुत्र राजेश व उसकी पत्नी मन्नूबाई को बताया कि कालूराम हुसैन टेकरी पर है और हमें बुला रहा है। तब जाकर यह रहस्य उजागर हुआ कि सारा षडयंत्र कालूराम की पत्नी और पुत्र ने ही रचा था। उन्होने ही रुपए देकर कालूराम का अपहरण करवाया था और उसे हुसैन टेकरी में बंधक बनवाया था। इसके लिए वे,हुसैन टेकरी के अपराधी तत्वों का मासिक रुप से धनराशि भी अदा करते थे। कालूराम के मुताबिक वह अपना पुराना मकान बेचने की फिराक में था और उसका पुत्र व पत्नी मकान पर कब्जा जमाना चाहते थे,इसलिए उन्होने कालूराम को रास्ते से हटाने के लिए यह जाल बुना था।

अपराधी सक्रिय,लेकिन पुलिस निष्क्रिय

हुसैन टेकरी पर बदमाशों के चंगुल से छुटते ही कालूराम जावरा के औद्योगिक क्षेत्र थाने पर पंहुचा,लेकिन औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने पर उसकी रिपोर्ट लिखने से साफ इंकार कर दिया गया। यहां तक कि पुलिस ने उसका मेडीकल कराना भी उचित नहीं समझा। कालूराम की एक शिकायत लेकर उसे वहां से रवाना कर दिया गया। उसे कहा गया कि वह रतलाम जाकर रिपोर्ट करवाए। रतलाम के माणकचौक थाने पर अधिकारियों ने उसकी बात तो सुनी,लेकिन अब तक कोई प्रकरण दर्ज नहीं किया गया है।
हुसैन टेकरी का यह खौफनाक सच सामने आने के बाद पुलिस की भूमिका पर भी प्रश्नचिन्ह लग रहे है। उच्चतम न्यायालय के स्पष्ट दिशानिर्देश है कि मानसिक रोगियों को किसी भी अवस्था में जंजीरों से बांधकर नहीं रखा जा सकता। इसके बावजूद हुसैन टेकरी पर खुलेआम सैकडों लोगों को जंजीरों से बांध कर रखा जाता है। अब यह नया खुलासा सामने आया है कि हुसैन टैकरी पर मानसिक रोगियों ही नहीं बल्कि स्वस्थ लोगों को भी जंजीरों से बांधकर पागल बनाने के षडयंत्र संगठित तौर पर चलाए जा रहे है। पुलिस की मौन सहमति के बगैर इतना बडा षडयंत्र चल ही नहीं सकता। कालूराम का मामला सामने आने के बावजूद अब तक पुलिस ने कोई प्रकरण ही दर्ज नहीं किया है। जबकि हुसैन टेकरी पर चल रहे संगठित अपराधी गिरोहों की व्यपाक रोकथाम किया जाना जरुरी है।

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