स्टेट बैंक यानी परेशानी,प्रताडना और अपमान
मुख्य शाखा में जाने वाले ग्राहकों की फजीहत,नहीं खोलते नए खाते
रतलाम,10 मार्च(इ खबरटुडे)। भारतीय स्टेट बैंक देश का अग्रणी राष्ट्रीयकृत बैंक है और बैंक द्वारा अपने ग्राहकों को अत्यधिक सुविधाएं और सम्मान देने का दावा किया जाता है। लेकिन रतलाम में स्टेट बैंक की मुख्यशाखा में ग्राहकों का सम्मान और सुविधाएं दोनो पूरी तरह नदारद है। रतलाम में स्टेट बैंक की मुख्य शाखा का मतलब है ग्राहकों की परेशानी,प्रताडना और अपमान। हाल के दिनों में बडी बात यह है कि इस बैंक के अधिकारी कर्मचारियों ने नए खाते खोलना ही बन्द कर दिए है। बैंक द्वारा ही प्रारंभ किए गए कियोस्क तक को बैंक के अधिकारी सहयोग करने को राजी नहीं है।
भारतीय रिजर्व बैंक और बैंकिंग लोकपालके दिशा निर्देशों के मुताबिक बैंक में आने वाले किसी भी खातेदार और ग्राहक के साथ सम्मानजनक व्यवहार किया जाना चाहिए और उसे बैंकिंग व्यवहार के लिए पर्याप्त सुविधाएं दी जाना चाहिए। बैंकिंग लोकपाल ने बैंको में किए जानेे वाले कार्यों के लिए समयसीमा भी निश्चित की हुई है। किसी चैक के सिकरने और नगद जमा करने जैसे कार्यों के लिए निश्चित समयसीमा तय की गई है।
लेकिन रतलाम में भारतीय स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में इन सारे दिशा निर्देशों को ताक पर रख दिया गया है। इस बैंक में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को परेशानियों से दो-चार होना पडता है और यदि कोई व्यक्ति नियमों का हवाला देने की कोशिश करता है तो उसे बेइज्जती भी झेलना पडती है।
इस बैंक शाखा में अपने ही खाते से अपनी ही रकम निकालने के लिए लम्बी कतारों में लग कर लम्बा वक्त गुजारना पडता है। यदि किसी को सरकारी चालान जमा करना हो,तो उसकी स्थिति और भी गंभीर हो जाती है। सरकारी चालान जमा करने के लिए तो कई घण्टों तक लाईन में खडा रहना पडता है।
नहीं खोलते खाते
स्टेट बैंक की महिमा बडी है। शासकीय योजनाओं में मिलने वाली राशि या छात्रों को प्रदान की जाने वाली छात्रवृत्ति की राशि,वेतन,पैंशन इत्यादि प्राप्त करने के लिए सरकारी कर्मचारी स्टेट बैंक में खाता खोलने की सलाह देते है। लेकिन जब व्यक्ति खाता खुलवाने वहां पंहुचता है,तो बैंक के अधिकारी कर्मचारी खाता खोलने से साफ इंकार कर देते है। सबसे ज्यादा मुसीबत स्कूली छात्रों की है,जिन्हे टका सा जवाब देकर टरका दिया जाता है। उनकी छात्रवृत्ति की राशि बैंककर्मियों की हठधर्मिता के कारण अटकी रह जाती है। बैंककर्मी,लोगों को खाता खुलवाने के लिए कियोस्क पर जाने की सलाह देते है,लेकिन कियोस्क संचालक को भी बैंककर्मी कोई सहयोग नहीं देते।
कोरबैंकिंग को भी इंकार
स्टेट बैंक की मुख्य शाखा ने कोरबैंकिंग की सुविधा को भी अपनी कामचोरी की वजह से समाप्त सा कर दिया है। कोरबैंकिंग के तहत किसी भी अन्य स्टेट बैंक शाखा के बैंक खाते की रकम किसी भी शाखा में जमा की जा सकती है। लेकिन मुख्यशाखा के कर्मचारी इसके लिए भी साफ इंकार कर देते है। हर कामचोरी के पीछे काम का बोझ ज्यादा होने का तर्क दिया जाता है।
कियोस्क को भी सहयोग नहीं
बैंकिंग सुविधाओं को अधिक व्यापक बनाने के लिए बैंक के उच्च प्रबन्धन ने बेंक के अधिकृत कियोस्क खोले है। कोई भी व्यक्ति कियोस्क पर जाकर खाता खुलवाने से लेकर रुपयो का लेनदेन यहां कर सकता है। बैंककर्मी,बैंक शाखा में नए खाते खोलने से साफ मना करते है और लोगों को कियोस्क पर जाने की सलाह देते है। कियोस्क पर व्यक्ति का खाता खोलने की पूरी औपचरिकताएं पूरी करने के बाद जब डाटा बैंक को ट्रांसफर किया जाता है,बैंककर्मी कई महीनों तक उस खाते को एक्टीव ही नहीं करते। इसका नजीता ग्राहक को अपनी परेशानी के रुप में भुगतना पडता है। उसके खाते में आने वाली राशि उसे नहीं मिल पाती।
अभद्रता है आम बात
स्टेट बैंक की मुख्य शाखा में ग्राहकों से अभद्रता एक आम बात है। बैंक कर्मी जानते है कि इस शाखा में आने वाले ग्राहक की मजबूरी है कि उसे इसी शाखा से काम निकलवाना है। नतीया यह है कि बैंककर्मी अत्यन्त निरंकुश हो चुके है। यदि कोई ग्राहक किसी असुविधा का जिक्र भी कर देता है तो बैंक के अधिकारी कर्मचारी अभद्रता पर उतारु हो जाते है। बेंक की शाखा में इस तरह के विवाद अक्सर देखे जा सकते है।