सरकार के उदासीन रैवये पर प्राइम रूट बस आनर्स एसोसिएशन ने जताई नाराजगी
रतलाम,24 अगस्त(इ खबरटुडे)। जहां देशभर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट शुरू किए जा रहे हैं। वहीं मध्यप्रदेश में शासन से आदेश जारी होने के बाद भी प्रदेश के बस ऑपरेटर वाहनों का संचालन करने तैयार नहीं हैं। बस ऑपरेटर एसोसिएशन ने नाराजी जताते हुए कहा कि मध्यप्रदेश सरकार बस संचालकों का टैक्स माफ करे, वहीं आगामी संचालन के लिए भी टैक्स में रियायत दे।
बस संचालकों का कहना है कि जब शासन ने ही लॉक डाउन आदेश दिया है तो परिवहन टैक्स माफी में विलंब क्यों हो रहा है। 23 मार्च 2020 से संपूर्ण भारत सहित मध्यप्रदेश में लाक डाउन के तहत 35 हजार बसों का संचालन बंद कर दिया गया था ,तो अब परिवहन विभाग मध्यप्रदेश मे बस संचालकों से बिना बस चलाएं परमिट टैक्स क्यों मांग रही है ?
मध्य प्रदेश मे विभिन्न मोटर मालिक एसोसिएशन ने परिवहन विभाग से परमिट शून्य करने की मांग ज्ञापन के माध्यम से करते आ रहे है। परंतु परिवहन आयुक्त टैक्स प्रकरणों को मध्य प्रदेश शासन के पास पहुंचा कर अपने कर्तव्य से दूर हट रहे है। अप्रैल 2020 से अगस्त 2020 तक बसों का संचालन पूर्णतया बंद है परंतु 35 हजार बसो के टेकस माफी पर शासन में मौन बैठा हुआ है।
परिवहन मंत्री गोविंद सिंह राजपूत मोटर मालिक एसोसिएशन को लगातार आश्वासन दे रहे हैं. कि मुख्यमंत्री जी घोषणा करेंगे परंतु लगातार विलंब होने से परिवहन उद्योग से जुड़े मोटर मालिक ,कर्मचारियों के मध्य भूखे मरने की नौबत आ गई है। बीमा, फाइनेंस एवं अन्य खर्चे चालू हो गए है परंतु संचालन नहीं होने से आमदनी पुर्णतः बंद हो गई है।
मोटरयान कराधान अधिनियम 1991 के नियम 13 (2)दंड प्रक्रिया संहिता 1973 की धारा 144 के अधीन किसी प्रतिबंधात्मक आदेश या अन्य विधी और अन्य व्यवस्था की स्थिति के कारण मार्ग पर बसों का संचालन नहीं होने पर कराधान अधिकारी को अधिकार है की वह टेकस माफ कर सकता है।
परंतु परिवहन विभाग एंव सरकार कोई जबाब नही दे पा रही है प्राइम रूट बस ऑनर्स एसोसिएशन के संभाग अध्यक्ष बलवन्त भाटी ने बताया कि लॉक डाउन पूर्णतया समाप्त होकर मानव जीवन सामान्य हो रहा है परंतु परीवहन विभाग समस्या के सुलझाना नही करना चाहता है। इस उद्योग से जुड़े लाखों परिवार भूखे मर रहे हैं बस संचालन बंद होने से आम सामान्य नागरिक भी अपने व्यवसाय से बेरोजगार हो गए हैं।
बंद परिवहन से सरकार को घाटा
एक बस औसतन प्रतिदिन 40 लीटर डीजल खपत है। इससे शासन को डीजल पर वेट के नाम पर प्रतिलीटर 23 प्राप्त होता है। प्रति बस प्रति माह टेकस के नाम पर औसतन प्रतिमाह 20 हजार शासन को प्राप्त होता है।
बंद संचालन से बस मालिकों को घाटा
बंद संचालन के कारण बीमा, फाइनेंस+ ब्याज, कार्यालय किराया एवं अन्य खर्च से लगभग 70 हजार ₹ प्रतिमाह मोटर मालिकों के खर्च हो रहे है
यात्रियों को नुकसान प्रतिदिन
एक लाख पचास हजार यात्री बसो से प्रतिदिन यात्रा करते हैं बसों के संचालन नहीं होने से स्थानीय हजारों जनता को रोजगार नही मिलने से बेरोजगार हो गए है
प्रदेश के सभी बस स्टैंड सूने संपूर्ण
म.प्र. मै 200 से अधिक बस स्टेंड है जहां पर होटल ,केंटीन ,फेरीवाले ,बसएजैंट सभी बैरोजगार हो गए है अतः सरकार को चाहिए की वह समस्या का समाधान त्वरित करे