December 27, 2024

सत्ता सुख प्राप्त करने के लिए देश का बंटवारा किया कांग्रेस के नेताओं ने – अभ्यंकर

abhyankar

आरएसएस की महाविद्यालयीन ईकाई ने मनाया अखण्ड भारत संकल्प दिवस

रतलाम,14 अगस्त (इ खबरटुडे)। भारत कोई जमीन का टुकडा भर नहीं है,जिसे बांटा जा सकता है। भारत को हम मां मानते है और मां का बंटवारा नहीं किया जा सकता। लेकिन तत्कालीन कांग्रेस के नेताओं ने स्वयं के सत्ता सुख के लिए भारत मां का बंटवारा स्वीकार कर लिया। भारत का यह विभाजन अप्राकृतिक है और एक दिन अखण्ड भारत फिर से बनकर रहेगा।
उक्त उद्गार राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रान्त प्रचारक पराग अभ्यंकर ने आरएसएस की महाविद्यालयीन ईकाई द्वारा जैन विद्यालय के सभागृह में आयोजित अखण्ड भारत संकल्प दिवस को सम्बोधित करते हुए व्यक्त किए। कालेज विद्यार्थियों से खचाखच भरे कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए श्री अभ्यंकर ने भारत की आजादी के कालखण्ड का सजीव वर्णन करते हुए सिध्द किया कि भारत का विभाजन अनिवार्य नहीं था और यदि तत्कालीन कांग्रेस के नेता चाहते तो इसे टाला जा सकता था।
श्री अभ्यकंर ने कहा कि भारत का स्वतंत्रता दिवस निश्चय ही आनन्द का मौका है,परन्तु स्वतंत्रता दिवस के ठीक एक दिन पूर्व हमारी भारत माता का विभाजन कर दिया गया था। इसलिए आजादी की खुशियां मनाने के साथ ही विभाजन का दुख भी याद आ जाता है। श्री अभ्यंकर ने कहा कि वर्ष १९३० में कांग्रेस ने रावी नदी के तट पर संपूर्ण आजादी का संकल्प लिया था,परन्तु जब आजादी मिली तब रावी नदी का वह तट ही पराया हो चुका था।जिस लाहौर में शहीद भगतसिंह,राजगुरु और सुखदेव को फांसी दी गई थी,वह लाहौर पराया हो चुका था। सिंध पराया हो चुका था। बंगाल,पंजाब आदि सबकुछ भारत के लिए पराया हो चुका था और भारत को कटी फटी अधूरी आजादी मिली थी।
श्री अभ्यंकर ने कहा कि प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु ने अपने एक विदेशी मित्र को लिखे पत्र में स्वयं स्वीकार किया है कि उस समय कांग्रेस के तमाम नेता बूढे हो चुके थे और संघर्ष करते करते थक चुके थे। इसलिए वे कतई नहीं चाहते थे कि आजादी का मौका टल जाए। तत्कालीन कांग्रेस नेताओं ने स्वयं के सत्तासुख के लिए देश के विभाजन को स्वीकार कर लिया। महात्मा गांधी कहते थे कि देश का विभाजन होने से पहले उनके शरीर के दो टुकडे होंगे,उन्होने भी इस विभाजन को स्वीकार कर लिया।
श्री अभ्यंकर ने कहा कि तत्कालीन नेताओं ने इस देश को महज जमीन का टुकडा मानकर इस विभाजन को स्वीकार किया,जबकि भारत महज जमीन का टुकडा नहीं है,बल्कि यह देवनिर्मित राष्ट्र है,जिसका निर्माण स्वयं परमात्मा ने किया है। भारत हमारी माता है और माता का बंटवारा नहीं किया जा सकता। श्री अभ्यंकर ने कहा कि तत्कालीन नेताओं को कोई अधिकार नहीं था कि वे इस देवनिर्मित राष्ट्र को बांट देते। लेकिन सत्तासुख के कारण उन्होने यह पाप होने दिया।
श्री अभ्यंकर ने कहा कि भारत की आजादी का पहला संघर्ष १८५७ में हिन्दू और मुसलमानों ने मिलकर लडा था। उस समय स्वतंत्रता संग्राम के नायक बहादुरशाह जफर ने लिखित रुप से कहा था कि स्वतंत्रता प्राप्त होते ही रामजन्मभूमि पर भव्य मन्दिर बनाया जाएगा और देश में गौवध बन्द कर दिया जाएगा। उस समय मुसलमान यह मानते थे कि उनका धर्म भले ही अलग है,परन्तु यह देश उनका है और उनके पुरखे भी हिन्दू ही थे। यह संघर्ष असफल हो गया। लेकिन अंग्रेजों ने इससे एक सीख ली कि यदि हिन्दू मुसलमानों में एकता बनी रही तो अंग्रेजों का टिका रहना मुश्किल होगा। इसलिए उन्होने हिन्दू मुस्लिम में फूट डालने की नीति शुरु कर दी। उन्होने कांग्रेस से कहा कि आजादी तभी देंगे,जब हिन्दू मुस्लिम साथ आएंगे। दूसरी ओर मुस्लिमों को यह समझाया कि यदि आजादी मिल गई तो मुस्लिमों की स्थिति खराब हो जाएगी। अंग्रेजों की इस कुटिल चाल में कांग्रेस के तत्कालीन नेता भी फंस गए और वे मुस्लिम तुष्टिकरण की राह पर चल पडे। अंग्रेजों की चाल का शिकार होकर मुस्लिम भी यह मानने लगे कि वे इस देश के शासक थे और यदि हिन्दूओं को आजादी मिल गई तो वे गुलाम हो जाएंगे। वे स्वयं को विदेशी मानने लगे। कांग्रेस के इसी मुस्लिम तुष्टिकरण ने देश विभाजन का मार्ग प्रशस्त किया।
श्री अभ्यंकर ने कहा कि टूटी फूटी आजादी मिलने के बाद देश से ये तथ्य छुपाए गए कि देश को आजादी क्रान्तिकारियों की वजह से मिली न कि कांग्रेस के आन्दोलनों की वजह से। नई पीढी को तो यह सिखाया गया कि दे दी हमे आजादी बिना खड्ग बिना ढाल। लेकिन यह सच नहीं है। यदि यह सच है तो फिर सुभाषचन्द्र बोस,चन्द्रशेखर आजाद और भगतसिंह जैसे क्रान्तिकारियों का क्या कोई योगदान नहीं है।
श्री अभ्यंकर ने कहा कि देश के सामने आज भी वैसी ही परिस्थितियां है। देश का कोई शहर,किसी शहर का कोई मोहल्ला सुरक्षित नहीं है। पाकिस्तानी आतंकवादी यहां आकर हमले कर रहे है। पाकिस्तानी आतंकी नावेद कहता है कि उसे हिन्दुओं को मारने में मजा आता है। श्री अभ्यंकर ने कहा कि देश की समस्याओं का हल तभी होगा जब हम संगठित और जागरुक होंगे। उन्होने कहा कि देश में अब्दुल कलाम जैसे राष्ट्रवादी लोगों की संख्या कम होती जा रही है। हमें प्रत्येक समुदाय को यह सिखाना होगा कि वे इसी भूमि की सन्तान है और हमारे धर्म चाहे अलग हो,हमारे पुरखे एक ही है। हमारे पुरखे हिन्दू ही थे। श्री अभ्यंकर ने कहा कि पहले कौन सोच सकता था कि पाकिस्तान टूट कर बांग्लादेश बन सकता है। इसी तरह यह भी असंभव नहंी है कि भारत फिर से अखण्ड हो जाए। महापुरुषों ने कहा है कि चाहे जो हो जाए भारत अखण्ड होकर रहेगा। हमें इस संकल्प को सदा दोहराना होगा।
अभिभाषक संघ के अध्यक्ष संजय पंवार ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की। प्रारंभ में भारत माता के चित्र पर माल्यार्पण कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया। मंच पर आरएसएस की महाविद्यालयीन इकाई के प्रमुख डॉ.हितेश पाठक भी उपस्थित थे। कार्यक्रम में आरएसएस के विभाग कार्यवाह माधव काकानी,बौध्दिक प्रमुख दशरथ पाटीदार,जिला कार्यवाह आशुतोष शर्मा समेत अनेक गणमान्य नागरिक व बडी संख्या में कालेज छात्र उपस्थित थे।

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