विक्रम विष्वविद्यालय की अमूल्य धरोहर पर एकाग्र ग्रन्थ का लोकार्पण
पुरा सामग्री ओर पाण्डुलिपियों के प्रकाष में मालवा सहित भारत के इतिहास के नये पृष्ठ खुले
उज्जैन 27 अप्रैल(इ खबरटुडे)। विक्रम विष्वविद्यालय, उज्जैन के पुरातत्व संग्रहालय और सिंधिया प्राच्य विद्या शोध प्रतिष्ठान में संजोयी गई ऐतिहासिक महत्व की कलाकृतियों, जीवाष्म एवं अन्य पुरा सामग्री पर केद्रित ग्रन्थ का विमोचन भोपाल में सम्पन्न हुआ। विक्रम विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेष मिश्र की परिकल्पना पर आधारित देष के दो विख्यात पुराविद् प्रो. रहमान अली, पूर्व अध्यक्ष, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनषाला, विक्रम विष्वविद्यालय, उज्जैन तथा डाॅ. ज्ञानीलाल बादाम, पूर्व अध्यक्ष, डेक्कन काॅलेज स्नातकोत्तर एवं शोध केन्द्र (डीम्ड विष्वविद्यालय), पुणे (महाराष्ट्र) द्वारा रचित इस ग्रन्थ में अत्यन्त महत्वपूर्ण पुरा सामग्री एवं पाण्डुलिपियों के माध्यम से मालवा सहित भारत के इतिहास के कई नये पृष्ठ उजागर हुए है।
हाल ही में प्रकाषित ग्रन्थ ‘‘हेरिटेज: पेलिओन्टोलाॅजिकल एण्ड आईकोनोग्राफिकल एस्पेक्टस’’ का विमोचन भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मध्यप्रदेष भोज (मुक्त) विष्वविद्यालय के कुलपति प्रो. तारिक जफर एवं विक्रम विष्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रो. रामराजेष मिश्र,
म.प्र. भोज (मुक्त) विष्वविद्यालय के कुलसचिव डाॅ. बी. भारती, एवं निदेषक डाॅ. प्रवीण जैन के कर कमलों से किया गया। ग्रन्थ का विमोचन लेखक प्रो. रहमान अली ने करवाया। इस ग्रन्थ में जीवाष्मिकी एवं प्रतिमा शास्त्र की दृष्टि से अन्तर्राष्ट्रीय महत्व की विरासत से जुड़े कई अनछुए तथ्य उद्घाटित हुए है।
लगभग एक दषक के गहन अन्वेषण से प्रकाषित इस ग्रन्थ को दो खण्डों के अन्तर्गत कुल नौ अध्यायों में विभाजित किया गया है। जिनके अन्र्तगत मध्य नर्मदा घाटी के प्रागैतिहासिक महत्व, प्रागैतिहासिक जीवाष्म, ताम्राष्मयुगीन संस्कृति से जुड़ी कला सामग्री, ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, संग्रहालय में प्रदर्षित विभिन्न कालों की शैव प्रतिमाएॅ, वैष्णव प्रतिमाएॅ, जैन प्रतिमाएॅ, पाण्डुलिपियाॅं तथा अन्य पुरामहत्व की सामग्री का समावेष किया गया है। इस ग्रन्थ में वरिष्ठ फोटोग्राफर श्री काईद जौहर द्वारा लिये गये बहुरंगी चित्रों के साथ विष्वविद्यालय में उपलब्ध पुरा महत्व की अमूल्य सामग्री का सूक्ष्म विवेचन किया गया है। इसके माध्यम से मालवा-निमाड़ सहित भारत के इतिहास के कई नये पक्ष उजागर हुए हैं।
इस महत्वपूर्ण प्रकाषन के लिए विक्रम विष्वविद्यालय, उज्जैन के कुलपति प्रो. एम.एस. हाड़ा, कुलसचिव डाॅ. सुभाष आर्य, महाविद्यालयीन विकास परिषद् के निदेषक प्रो. नागेष षिन्दे, कुलानुषासक प्रो. शैलेन्द्रकुमार शर्मा, विद्यार्थी कल्याण विभाग के संकायाध्यक्ष डाॅ. राकेष ढण्ड, प्राचीन भारतीय इतिहास संस्कृति एवं पुरातत्व अध्ययनषाला के अध्यक्ष डाॅ. रामकुमार अहिरवार आदि सहित अनेक षिक्षाविदों एवं संस्कृति प्रेमियों ने बधाई दी। इस ग्रन्थ के माध्यम से न सिर्फ पुरा महत्व की सामग्री प्रकाष में आई है, वरन् पुरातिहास से जुड़े वैज्ञानिक शोध की दृष्टि से भी यह ग्रन्थ विद्वानों, शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों के लिए उपयोगी सिद्ध होगा।