November 24, 2024

राजीनामा और दोषमुक्ति के कारणों की पड़ताल हो – कलेक्टर

जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की बैठक संपन्न
रतलाम 29 जून (इ खबरटुडे)। कलेक्टर राजीव दुबे ने अनुसूचित वर्गों पर अत्याचार के ज्यादातर मामलों में आरोपियों के बरी हो जाने अथवा राजीनामा होने को लेकर चिंता व्यक्त की है। उन्होंने ऐसे मामलों में वजहों की पड़ताल की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि यह जानना जरूरी है कि फरियादी दबाव या लालच के चलते राजीनामा तो नहीं कर रहा है। श्री दुबे आज यहां अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के क्रियान्वयन तथा जिला स्तरीय सतर्कता एवं मॉनीटरिंग समिति की अध्यक्षता कर रहे थे। उन्होंने कहा कि अपराध करने वाले का किसी भी वजह से सजा से बच निकलना गलत संदेश देता है। अतएव ऐसे मामलों की बारीकी से जांच जरूरी है, ताकि अभियोजन के स्तर पर बरती गई किसी कमी का पता लगाया जा सके। कलेक्टर ने विशेष लोक अभियोजक अक्षय पाटीदार और उप पुलिस अधीक्षक-2 अजाक को इस बारे में जरूरी निर्देश दिए। कलेक्टर श्री दुबे ने जानना चाहा कि मौजूदा प्रकरणों में क्या प्रगति हुई है। डीएसपी अजाक ने 31 मई 2013 की स्थिति में लंबित प्रकरणों के विवेचना कार्य की प्रगति का ब्यौरा दिया। श्री दुबे ने सहायक आयुक्त आदिवासी विकास को निर्देशित किया कि वे समिति के अशासकीय सदस्यों को आज ही लंबित यात्रा भत्ते का भुगतान सुनिश्चित करें। बैठक में बताया गया कि निराकृत 8 प्रकरणों में से 7 में आरोपी बरी हो गए। कलेक्टर ने इस स्थिति को चिंताजनक बताते हुए इस सिलसिले में कारगर कदम उठाने के लिए संबंधित अधिकारियों को पाबंद किया।
बैठक में सहायक आयुक्त श्रीमती गुप्ता ने बताया कि अनुसूचित वर्गों पर अत्याचार के कुल प्राप्त 19 प्रकरणों में से सभी में राहत राशि वितरित की जा चुकी है। कुल 5 लाख 23 हजार 750 रुपए बतौर राहत वितरित किए गए हैं। उन्होंने जानकारी दी कि अनुसूचित वर्गों पर अत्याचार के मामलों में राहत राशि में बढ़ोतरी की गई है तथा संशोधित नियम 23 दिसंबर 2011 से प्रभावशील किए गए हैं। उन्होंने कहा कि अंतर राशि आवंटन प्राप्त होते ही वितरित करने की कार्यवाही की जाएगी। बैठक के दौरान सहायक आयुक्त ने गंभीर किस्म के अपराधों में अनुविभागीय दंडाधिकारी और पुलिस अधिकारी द्वारा किए जाने वाले संयुक्त स्थल निरीक्षण की रिपोर्ट प्राप्त नहीं होने की बात कही। कलेक्टर ने पुलिस अधिकारियों को इस बारे में निर्देश दिए।
बी.एल. हरोड़ ने बैठक में सदस्यों के कम संख्या में उपस्थित होने की बात कही। उन्होंने लोक सेवक के द्वारा उत्पीड़न से जुड़े प्रावधानों का मसला भी उठाया। अनुसूचित वर्गों के 13 व्यक्तियों को पदोन्नति से वंचित करने के बारे में श्री हरोड़ ने जानकारी दी। सहायक आयुक्त ने कहा कि पीडि़त व्यक्ति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज करा सकता है।
बैठक में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक  प्रशांत चौबे, एसडीएम जावरा  के.सी. जैन, विशेष लोक अभियोजक  अक्षय पाटीदार, डीएसपी अजाक देवेंद्रसिंह राठौर, सहायक लोक अभियोजन अधिकारी लालसिंह मेड़ा, अधीक्षक भू-अभिलेख महेश कुमार बमनहा के अलावा सदस्य  हीरालाल बोरिया, तुलसीराम मालवीय व कमलसिंह सिंघाड़ भी मौजूद थे।

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