राग-रतलामी/आखिरकार आ गई आचार संहिता,तीन तय दो पर संशय
-तुषार कोठारी
कई दिनों से हर ओर यही चर्चाएं थी। नेता और कर्मचारी जब भी मिलते थे,यही सवाल पूछा जाता था कि आचार संहिता लगेगी कब? चुनाव आयोग लोगों को मनोरंजन करने का पूरा मौका देता है। अधिकांश लोगों का अंदाजा था कि चुनाव की तारीखों की घोषणा चुनाव आयोग श्राध्द पक्ष में नहीं करेगा,बल्कि नवरात्रि में करेगा। भारत के लोग श्राध्द पक्ष में कोई नया काम शुरु नहीं करते। नवरात्रि का इंतजार करते है कि कब नवरात्रि आए और कब नया काम शुरु करें। इसीलिए लोगों का अंदाजा था कि आचार संहिता नौ तारीख के बादग लगेगी। लेकिन चुनाव आयोग ने सबको गलत साबित कर दिया। किसी को अंदाजा भी नहीं था ऐन श्राध्द पक्ष में चुनाव की तारीखों की घोषणा हो जाएगी। लेकिन यही हुआ। इधर चुनाव आयोग ने तारीखों की घोषणा की और उधर तत्काल प्रभाव से आचार संहिता लागू हो गई। पलक झपकते ही सरकार बेअसर हो गई और अफसर असरदार हो गए। सारे अफसर फूल पार्टी के सबसे बडे शाह की व्यवस्था करने जावरा गए थे,लेकिन जैसे ही चुनाव आयोग की खबर आई,सारे के सारे उलटे पांव रतलाम लौट आए। उन्हे पता था कि अब वे ही मालिक है। उन्होने आते ही सारे खबरचियों को बुलाया और बताया कि अब वे ही मालिक है। शहर में टंगे तमाम होर्डिंग बैंनर भी फौरन हटवा दिए गए। इतना ही नहीं फूल वाली पार्टी के हाईकमान के कार्यक्रम का खर्चा भी अब फूल वाली पार्टी को खुद भुगतने का फरमान भी सुना दिया गया। आचार संहिता के आते ही मंत्रियों के आगे पीछे घूमने वाले सरकारी काफिले भी अब नदारद हो गए है। सरकारी कर्मचारी अब सरकार के नहीं बल्कि चुनाव आयोग के कर्मचारी बन चुके है। आम दिनों में चलने वाली ढील पोल अब नदारद हो चुकी है। हर कर्मचारी को चाक चौबन्द रह कर ड्यूटी करना है,वरना चुनाव आयोग का डण्डा पड सकता है।
तीन तय दो पर संशय
आचार संहिता लागू होती ही,चुनावी चकल्लस भी चालू हो गई है। गली मुहल्लों और चौराहों पर अब चुनावों की चर्चा है। पहला बडा सवाल है कि लडेगा कौन,टिकट किसे मिलेगा? टिकट के सवाल फूल वाली पार्टी को लेकर ज्यादा पूछे जा रहे है,क्योंकि पंजा पार्टी को लेकर लोगों में ज्यादा उत्सुकता ही नहीं है। फूल वाली पार्टी में भी पांच सीटों में से खाली दो का ही लफडा है। तीन तो तय मानी जा रही है। शहर में भैयाजी का मैनेजमेन्ट परफेक्ट है,तो जावरा में डाक्टर साहब ने भाजपा हाईकमान को बुलवाकर अपना दावा पक्का कर लिया है। आलोट में भी फूल वाली पार्टी कोई बदलाव करती नजर नहीं आ रही है। अब केवल दो को लेकर संशय है। रतलाम ग्रामीण के बूढे बाबा और सैलाना की बहन जी। दोनो के प्रति नाराजगी भी है और दावेदारे भी बहुत ज्यादा है। बहरहाल,आने वाले दिनों के उलटफेर बेहद दिलचस्प रहेंगे। तब तक चुनावी चकल्लस जारी रहेगी।
शहर सरकार पर भारी पडी आचार संहिता
गटर नाली वाली शहर सरकार यानी नगर निगम के लिए आचार संहिता कुछ भारी पड गई। हांलाकि आचार संहिता से शहर सरकार के बडे साहब और डाक्टर मैडम को तो कोई फर्क नहीं पडा,उल्टे बडे साहब तो खुश हुए,लेकिन शहर सरकार के कारिन्दे इससे दुखी हो गए। बडी मिन्नतों के बाद कर्मचारियों के लम्बित मुद्दे हल करने के लिए विशेष सम्मेलन बुलाने की घोषणा की गई थी। कर्मचारियों को लगा था कि चुनावी मौसम के चलते विशेष सम्मेलन में उनका भला हो जाएगा। लेकिन आचार संहिता ने सब गुड गोबर कर दिया। विशेष सम्मेलन रद्द ही हो गया। बडे साहब और डाक्टर मैडम इसीलिए खुश है कि अब उन्हे कुछ भी करने धरने की जरुरत नहीं है। ये दोनो पहले भी कुछ नहीं करते थे। लेकिन आचार संहिता के आ जाने से अब कहने सुनने वाला भी कोई नहीं रहा।