भारत और अमेरिका की सुरक्षा के लिए पाक बना खतरा, परमाणु तकनीक की तस्करी में फिर पकड़ा गया
वाशिंगटन, 18 जनवरी (इ खबर टुडे)। पाकिस्तान परमाणु तकनीक की चोरी और तस्करी से बाज नहीं आ रहा है। इसके लिए उसने बाकायदा एक अंतरराष्ट्रीय खरीद नेटवर्क बना रखा है, जो पाकिस्तानी मुखौटा कंपनी के नाम पर अमेरिका से संवेदनशील सामान की खरीद करता है। अमेरिका में इस नेटवर्क के लिए काम करने वाले पांच लोगों को दोषी ठहराया गया है। अमेरिकी जस्टिस विभाग के एक अधिकारी ने कहा है कि संवेदनशील सामान की चोरी अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा हितों के साथ ही भारत और क्षेत्रीय शक्ति संतुलन के लिए खतरा है।
पाकिस्तान का परमाणु कार्यक्रम चोरी और तस्करी पर निर्भर
गौरतलब है कि विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में बिना किसी महारत के ही पाकिस्तान चोरी और तस्करी के बल पर परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल हासिल कर लिए हैं। इन लोगों के दोषी ठहराए जाने से एक बार फिर साफ हो गया है कि पाकिस्तान अभी भी अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए चोरी और तस्करी पर ही निर्भर है।
अमेरिका-ईरान संघर्ष के भंवर जाल में उलझे इमरान, पाक की विदेश नीति पर फौज का साया अमेरिकी जस्टिस विभाग ने बुधवार को जारी एक बयान में कहा है कि दोषी ठहराए गए पांचों लोग रावलपिंडी स्थित मुखौटा कंपनी ‘बिजनेस वर्ल्ड’ के लिए काम करते थे। लेकिन वास्तव में ये पाकिस्तान के एडवांस इंजीनियरिंग रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन (एइआरओ) और पाकिस्तान एटॉमिक इनर्जी कमीशन (पीएईसी) के लिए अमेरिका से संवेदनशील सामान खरीदने और उसे निर्यात करने का नेटवर्क चलाते थे।
संवेदनशील अमेरिकी सामान की कर रहे थे तस्करी
इन पांचों की पहचान पाकिस्तान के 41 वर्षीय मुहम्मद कामरान वली, कनाडा के 48 वर्षीय मुहम्मद असहान वली और 82 वर्षीय हाजी वली मुहम्मद शेख, हांगकांग के अशरफ खान मुहम्मद और ब्रिटेन के 52 वर्षीय अहमद वाहीद के रूप में हुई है। अमेरिका की संघीय अदालत ने इन्हें इंटरनेशनल इमरजेंसी इकोनोमिक पॉवर एक्टर और एक्पोर्ट कंट्रोल रिफॉर्म एक्ट के उल्लंघन की साजिश रचने का दोषी ठहराया है। राष्ट्रीय सुरक्षा विभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल जॉन डेमर्स ने कहा कि ये पांचों उन इकाइयों के लिए संवेदनशील अमेरिकी सामान की तस्करी कर रहे थे, जो वर्षो से अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बनी हुई हैं।
आंतरिक सुरक्षा जांच विभाग के प्रभारी जैसन मोलिना ने कहा कि इन पांचों की करतूत अमेरिकी कानून के उल्लंघन से ज्यादा उसकी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए संभावित खतरा और क्षेत्रीय देशों के बीच शक्ति संतुलन को प्रभावित करने वाली है। जस्टिस विभाग के मुताबिक सितंबर, 2014 से अक्टूबर, 2019 के बीच इन पांचों ने अमेरिका से 38 बार पाकिस्तान के लिए सामान निर्यात किए। इन सामान की खरीद मुखौटा कंपनी के लिए दिखाई गई, लेकिन वास्तव में उन्हें एईआरओ और पीएईसी को भेजे गए थे।
मुखौटा कंपनियों के माध्यम से जरिए हासिल किए अमेरिकी सामान
पाकिस्तान की ये दोनों इकाइयां अमेरिकी वाणिज्य विभाग की इकाइयों की सूची में शामिल हैं। यह विभाग उन संगठनों के लिए निर्यात लाइसेंस को अनिवार्य बनाता है, जिनकी गतिविधियां अमेरिका के राष्ट्रीय हित या विदेश नीति के खिलाफ पाई जाती हैं।
अमेरिका ने पीएईसी को इस सूची में 1998 में डाला था, जबकि, एईआर को इसी सूची में 2014 में डाला गया था। अमेरिका ने पाया था कि इन दोनों ही संगठनों ने दलालों और मुखौटा कंपनियों के माध्यम से पाकिस्तान के क्रूज मिसाइल और मानव रहित विमान (यूएवी) कार्यक्रम के लिए अमेरिकी सामान हासिल किए थे।
पाकिस्तान सच्चाई का पता लगा रहा है : विदेश विभाग
इस्लामाबाद में पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता आइशा फारूकी ने शुक्रवार को कहा कि पाकिस्तान दोषी ठहराए गए लोगों की सच्चाई का पता लगा रहा है। उन्होंने कहा कि अमेरिका की तरफ से इस बारे में कोई औपचारिक सूचना नहीं मिली है। अमेरिका ने पाकिस्तान से भी इस बारे में सच्चाई जानने की कोशिश नहीं की।
16 साल पहले भी पकड़ा गया था पाकिस्तान
परमाणु तकनीक की तस्करी में आज से ठीक 16 साल पहले भी पाकिस्तान पकड़ा गया था। तब उस पर चीन के माध्यम से उत्तरी कोरिया को परमाणु तकनीक बेचने का आरोप लगा था। यह आरोप भी पाकिस्तान के परमाणु तकनीक के जनक कहे जाने वाले अब्दुर कादिर खान पर लगा था। हालांकि, तत्कालीन सैन्य शासक परवेज मुशर्रफ ने खान को माफ कर दिया था। अब्दुर कादिर खान 1980 के आस पास हालैंड की एक कंपनी से परमाणु तकनीक चोरी कर पाकिस्तान लाए थे और यहां परमाणु बम बनाया था।