ब्रजभूमि फाउंडेशन द्वारा सीनियर सिटीजन के लिए कार्य करने वाली रतलाम की शबाना खान का नारी शक्ति सम्मान
रतलाम, 14 सितंबर (इ खबर टुडे)।ब्रजभूमि फाउंडेशन द्वारा गत दिवस नारी शक्ति को प्रणाम कार्यक्रम का आयोजन भोपाल में पीपल यूनिवर्सिटी एवं मॉल में किया गया। जिसमें प्रदेश की 51 जमीनी स्तर से समाज सेवा में अपनी अलग पहचान बना चुकी महिलाओं को अलग-अलग क्षेत्रों से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम में रतलाम जिले की छ नारी शक्ति को उत्कृष्ट कार्यो के लिए सम्मानित किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एवं कुणाल चौधरी थे ,कार्यक्रम के संस्थापक अश्विनी चौधरी राष्ट्रीय अध्यक्ष दीपाली सिन्हा एवं मध्य प्रदेश अध्यक्ष साजिद शेख द्वारा कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस संस्था की मेटर हेमा मालिनी सांसद हैं। इन छ महिलाओं में रतलाम पुलिस विभाग के शबाना खान को सीनियर सिटीजन, महिलाओं एवं बच्चों को सहायता प्रदान करती है।
गरीब तबकों में जाकर गरीब लोगों को शिक्षा शास्त्र परामर्श उपलब्ध करवाती है। शबाना खान ने इ खबर टुडे से विशेष बातचीत में बताया कि समाज के लिए संस्कार मेरे पिताजी से मिले हैं। शबाना ने बताया कि उनके पिताजी होमगार्ड में कांस्टेबल थे ,वह हमेशा मौका मिलने पर लोगों की मदद अवश्य करते थे।
शबाना से जब पूछा गया कि उन में सीनियर सिटीजन के लिए कार्य करने का विचार कैसे आया, जिस पर उन्होंने बताया कि वह रतलाम थाने में पदस्थ है। जहां अधिकांश सीनियर सिटीजन अपनी शिकायत लेकर थाने में पहुंचते हैं। उन लोगों में पुलिस वालों के प्रति इतना डर रहता है कि वह थाने में नीचे ही बैठकर अफसरों का इंतजार करते हैं और जैसे अफसर अपने दफ्तर पहुंचते हैं तो डर के मारे अपनी शिकायत भी ठीक है नहीं बता पाते हैं।
इस स्थिति को देख कर मुझे लगा कि मुझे इन लोगों के लिए कुछ करना चाहिए इसी दौरान रतलाम पुलिस के वरिष्ठ अधिकारी जी.के पाठक और पूर्व एडिशनल एसपी प्रशांत चौबे ने सीनियर सिटीजन के लिए एक मुहिम शुरू करी,इस मुहिम के अंतर्गत हम उन सीनियर बुजुर्ग लोगों की सहायता करते हैं जो समाज में अपनों के दुर्व्यवहार परेशान है।
सीनियर सिटीजन की इस मुहिम में वर्तमान में हमारे साथ जिले के 17 हजार मेंबर जुड़ चुके हैं। इनमें से अधिकतर प्रशासनिक, मेडिकल ,कपड़ा व्यापारी जुड़े हुए हैं। शबाना खान ने अपने स्वर्गीय पिता मोहम्मद खान के बारे में बताया की 2002 गुजरात दंगों के दौरान कई से पीड़ित लोग उनके संपर्क में आए जिन्हें तुरंत मदद की आवश्यकता थी। मेरे पिताजी ने उस समय बिना किसी प्रशासनिक सहायता के भी उन लोगों की हर संभव सहायता की यही कारण था कि मेरा समाज सेवा के प्रति भाव जागृत हुआ।
शबाना ने बताया कि एक समय का किस्सा मुझे याद है रतलाम के गांधीनगर में एक महिला के दो बेटों में से एक की मृत्यु हो गई थी ,इसके बाद महिला कभी अपने बेटे या अपनी बेटी के साथ रहती थी। लेकिन बेटे की पत्नी उसे दो रोटी से ज्यादा खाने को नहीं देती थी और मंदिर के कोने पर बिठा देती थी,और घर में नहीं आने देते थे।
सूचना मिलने पर मैं जब पीड़ित वृद्धा के घर पहुंची तो मैंने वृद्धा की पूरी बात सुनी और उसके बेटे और बहू से माफीनामा लिखवाया उसके बाद आज वह महिला खुशी से घर रहती है। जिसके बाद आज भी वह महिला मुझे फोन करती हो और बोलती है कि बस तुम मुझसे मिलने आ जाओ मैं ठीक हो जाऊंगी ,जब ऐसे वाक्य कई बार मेरे साथ होते हैं मुझे ऐसा लगता कि मेरा जीवन सफल हो गया.
बुजुर्गों के प्रति दुर्व्यवहार के मामले हमारे समाज में किसी विशेष वर्ग में नहीं बल्कि समाज के सभी वर्गों में देखे जा चुके हैं। रतलाम जिले में भी कई प्रतिष्ठित परिवार है ,जिनमें भी ऐसे हालात देखने को मिले मेरा मानना है कि बुजुर्गों से प्रेम से बात करना और उनका ख्याल रखना अपने परिवार की धरोहर को संभालने की समान है। पर ना जाने क्यों आज की युवा पीढ़ी इस सोच से कोसों दूर हैं। शबाना खान ने बताया कि इस सम्मान के असली अक़दार मेरे परिवार वाले हैं, जिन्होंने मुझे इस कार्य के लिए पूर्णता स्वतंत्र रखा है। इस सम्मान के लिए अपने पति को धन्यवाद देती हूं। इ खबर टुडे टीम की ओर से शबाना खाना को नारी शक्ति सम्मान मिलने की हार्दिक बधाई।