बगैर हथियारों के कैसे होगी कोरोना से जंग,कोरोना संदिग्धों की जांच करने वाले स्वास्थ्यकर्मियों के पास सुरक्षा कीट तक नहीं,तीस टीमों में केवल दो थर्मल स्केनर (देखें विडीयो)
रतलाम,15 अप्रैल(इ खबरटुडे)। शहर में कोरोना संक्रमित व्यक्ति पाए जाने के बाद घोषित चार केन्टोनमेन्ट क्षेत्रों में घर घर जाकर लोगों की स्क्रीनींग कर रहे स्वास्थ्यकर्मी बिना हथियारों के कोरोना से जंग लड रहे है। कोरोना के गंभीर खतरे वाले इस इलाके में प्रवेश कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों के पास कोरोना से बचाव के साधन ही नहीं है। ना तो उनके पास पीपीई किट है और ना ही स्क्रीनींग करने के उपकरण। साधनहीनता की स्थिति यह है कि स्क्रीनींग करने वाही तीस टीमों में महज दो थर्मल स्केनर है।
उल्लेखनीय है कि जवाहर नगर और बोहरा बाखल के एक एक व्यक्ति में कोरोना संक्रमण पाए जाने के बाद प्रशासन ने आनन फानन में इन इलाकों को सेनेटाइज कराते हुए स्वास्थ्यकर्मियों को घर घर जाकर स्क्रीनींग करने के काम पर लगा दिया। प्राप्त जानकारी के अनुसार,शहर के चार कन्टेनमेन्ट क्षेत्रों में करीब 120 स्वास्थ्यकर्मियों को स्क्रीनींग के काम में लगाया गया है।
जिन इलाकों में कोरोना संक्रमित पाए गए है,वे सबसे खतरनाक इलाके है। इन इलाकों में कोरोना संक्रंमण का सबसे अधिक खतरा है। लेकिन इन क्षेत्रों में लोगों की स्क्रीनींग करने भेजे गए स्वास्थ्यकर्मियों के पास अपनी सुरक्षा के कोई साधन उपलब्ध नहीं करवाए गए है। यही नहीं उनके पास स्क्रीनींग करने के उपकरण तक नहीं है।
कन्टेनमेन्ट क्षेत्रों में लोगों की स्क्रीनींग कर रहे स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि खुद की सुरक्षा के लिए उनके पास महज मास्क है। ना तो उनके पास पर्याप्त सेनेटाइजर है और ना ही पीपीई किट इत्यादि है। स्क्रीनींग करने के लिए कोई उपकरण भी उनके पास नहीं है। स्क्रीनींग के नाम पर स्वास्थ्यकर्मी सम्बन्धित लोगों से केवल मौखिक पूछताछ कर रहे है। साधन हीनता का आलम यह है कि तीस टीमों में केवल दो थर्मल स्केनर उपलब्ध है।
आयुषकर्मियों के साथ भेदभाव
कोरोना संदिग्धों की खोजबीन और लोगों की स्क्रीनींग के काम में सर्वाधिक उपयोग आयुष विभाग के कर्मचारियों का किया जा रहा है। रतलाम शहर में आयुष विभाग की कुल पांच टीमें काम कर रही है। आयुष विभाग के चिकित्सक और कंपाउण्डरों के साथ साथ क्षेत्र की एएनएम,आंगनवाडी और आशा कार्यकर्ता इत्यादि को स्क्रीनींग के काम में लगाया गया है। आयुषकर्मियों का कहना है कि कोरोना संक्रमण का सर्वाधिक खतरा आयुषकर्मियों को ही है,क्योंकि कोरोना प्रभावित इलाकों में उन्हे ही भेेजा जा रहा है। एलौपैथी चिकित्सा वाले डाक्टर व अन्य पैरामेडीकल स्टाफ को प्रभावित इलाकों में नहीं भेजा जा रहा है। इसके बावजूद आयुषकर्मियों के साथ भेदभाव किया जा रहा है। ना तो उन्हे सुरक्षा साधन मुहैया कराए जा रहे है और ना ही उनकी सुरक्षा का ध्यान रखा जा रहा है।