September 30, 2024

नाकारा निगम पर पीएमओ का आदेश भी बेअसर,अवैध निर्माण हटाने को राजी नहीं अफसर

रतलाम,30 मई (इ खबरटुडे)। नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं दिलवा पाने में पूरी तरह नाकारा साबत हो चुकी नगर निगम की अकर्मण्यता इस हद तक बढ गई है कि सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश भी यहां बेअसर साबित हो रहे है। इतना ही नहीं प्रदेश के मुख्य सचिव और विभागीय प्रमुख सचिव के निर्देश भी हवा में उडा दिए गए। निगम की अफसरशाही,भ्रष्टाचार के चलते इतनी निरंकुश हो गई है कि वरिष्ठ कार्यालयों के निर्देश को हवा में उडाने तक में उन्हे कोई हिचक नहीं है।
पूरा मामला,शहर के मुख्य बाजार में नियम विरुध्द बनाए गए एक व्यावसायिक परिसर के अवैध निर्माण का है। पूरे देश में सोने के लिए प्रसिध्द रतलाम के सराफा बाजार में जमीनों के भाव आसमान पर है। ऐसे में इस प्राईम लोकेशन पर नियमों को ताक पर रखकर अवैध निर्माण तभी हो सकता है,जब निगम की अफसरशाही को भारी रकम का भुगतान किया गया हो। और जब तगडा भुगतान हो चुका है,तो फिर नियमों के पालन की चिन्ता किसे होगी?
अधिकारिक जानकारी के अनुसार,चांदनीचौक के भूखण्ड क्र.६२ पर भूमि स्वामी द्वारा एक विशाल व्यावसायिक परिसर का निर्माण किया गया। भूमिस्वामी ने इस व्यावसायिक परिसर के निर्माण में तमाम नियमों को ताक पर रख दिया। न तो इसमें एमओएस छोडा गया और ना ही पार्किंग जैसी मूलभूत सुविधा रखी गई। भूखण्ड की एक एक इंच जमीन का उपयोग कमाई के लिए किया गया है। जबकि चांदनीचौक में बढती भीड के कारण पैदल चलने तक की जगह नहीं बची है। किसी मार्केट के निर्माण में पार्किंग की व्यवस्था नहीं होना हजारों नागरिकों के लिए परेशानी का कारण बन जाता है।
भूमिस्वामी ने पूरी तरह अवैध तरीके से मार्केट बनाकर इससे करोडों रुपए की कमाई कर ली और इसी कमाई का एक बडा हिस्सा निगम की अफसरशाही को भी मिला।
शहर के एक जागरुक नागरिक रमेशचन्द्र जैन ने जब इस बात की शिकायत नगर निगम में की तो नगर निगम के अफसरों ने मौके पर पंहुच कर अवैध निर्माण तोडने के लिए भवन पर लाल निशान भी लगा दिए। लेकिन नगर निगम की यह कार्यवाही महज दिखावा थी। असल में निगम ने भूमिस्वामी को पर्याप्त समय दिया कि वह किसी तरह से अपने अवैध निर्माण को बचाने की कोई व्यवस्था कर सके। भवन पर लाल निशान लगाए जाने के बाद भूमिस्वामी ने न्यायालय की शरण ली और कुछ दिनों के लिए अस्थाई निषेधाज्ञा भी प्राप्त कर ली। न्यायालय द्वारा दिया गया अस्थाई स्टे आर्डर कुछ ही समय बाद समाप्त हो गया और न्यायालय ने स्टे को निरन्तर रखने से साफ इंकार कर दिया।
होना तो यह चाहिए था कि स्टे आर्डर समाप्त होने के तुरंत बाद नगर निगम को उक्त व्यावसायिक परिसर का अवैध निर्माण ध्वस्त कर देना चाहिए था,लेकिन भ्रष्टाचार के बोझ से दबे अफसर ऐसा कैसे कर सकते थे। निगम के अफसरों ने पूरे मामले को ठण्डे बस्ते में डाल दिया।
नगर निगम के नाकारापन से परेशान श्री जैन ने सीधे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के पास गुहार लगाई।
प्रधानमंत्री कार्यालय ने रमेशचन्द्र जैन की शिकायत पर मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव को इस सम्बन्ध में निर्देशित किया कि वे स्वयं संज्ञान लेकर इस मामले का निराकरण करें। मध्यप्रदेश के मुख्य सचिव से नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव को कार्यवाही करने के निर्देश दिए। नगरीय प्रशासन विभाग ने सीधे नगर निगम आयुक्त को निर्देश दिया कि चांदनीचौक जैसे प्रमुख व्यापारिक क्षेेत्र में किए गए अवैध निर्माण को हटाया जाए।
लेकिन मोटी चमडी वाले नाकारा निगम पर इसका कोई असर नहीं हुआ। नगर निगम ने मामले को लटकाने के लिए इसे विधि विभाग के अभिमत के लिए भेज दिया। नगर निगम के विधि विभाग ने भी स्पष्ट कर दिया कि न्यायालय द्वारा स्टे आर्डर निरस्त कर देने के बाद अब अवैध निर्माण को हटाने में कोई बाधा नहीं है और नगर निगम को तुरंत अवैध निर्माण हटाने की कार्यवाही करना चाहिए।
मजेदार तथ्य यह है कि स्वच्छता के नाम पर दिन भर ढिंढोरा पीटने वाली नगर निगम की अफसरशाही ने विधि विभाग की राय प्राप्त हो जाने के बाद पूरा एक साल गुजार दिया,लेकिन अवैध निर्माण हटाने की दिशा में कोई कार्यवाही नहीं की। अवैध निर्माण को हटाने की फाईल अब भी अटकी पडी है।
शिकायतकर्ता रमेशचन्द्र जैन को इंतजार करते करते एक साल गुजर गया लेकिन नगर निगम ने कोई कार्यवाही नहीं की। श्री जैन अब भी इंतजार कर रहे है कि शायद नगर निगम के अफसरों का जमीर जागे और वे नियम विरुध्द किए गए निर्माण को हटाने के लिए कार्यवाही करें। श्री जैन का कहना है कि वे अभी थोडा इंतजार और करेंगे। अगर फिर भी कुछ न हुआ तो वे इस मामले को लेकर फिर से प्रधानमंत्री के पास पंहुचेंगे और जरुरी हुआ तो न्यायालय की शरण भी लेंगे।

You may have missed

Here can be your custom HTML or Shortcode

This will close in 20 seconds