नन्हें रंगकर्मियों ने दिया पर्यावरण जागरूकता का संदेश
युगबोध के ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का समापन
रतलाम,14 जून (इ खबरटुडे)। बच्चों में रंगकर्म के प्रति चेतना जागृत करने के उद्देश्य से ‘युगबोध‘ नाट्य संस्था द्वारा आयोजित एक माह के ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का समापन नाट्य मंचन के साथ हुआ। समापन समारोह की मुख्य अतिथि महापौर डा.सुनीता यार्दे,डा.लीला जोशी एवं शिक्षाविद् डा. मुरलीधर चांदनीवाला थे। इस अवसर पर बच्चों ने आशीष दशोत्तर द्वारा लिखित एवं ओमप्रकाश मिश्रा द्वारा निर्देशित नाटकों की प्रस्तुति देते हुए पर्यावरण जागरूकता का संदेश दिया।
आयोजन की शुरूआत में ‘युगबोध ‘के अध्यक्ष ओमप्रकाश मिश्र ने बताया कि प्रतिवर्ष संस्था द्वारा शहर के बच्चों में रंगकर्म के प्रति चेतना जागृत करने और उनमें छिपी कलात्मक प्रतिभा को निखारने के उद्देश्य से ग्रीष्मकालीन बाल नाट्य शिविर का आयोजन किया जाता है। इस वर्ष आयोजित शिविर में बच्चों को नाट्य की विभिन्न विधाओं से परिचित कराया गया।
महापौर डा. यार्दे ने संस्था के कार्याें की प्रशंसा करते हुए कहा कि रंगकर्म की रतलाम की परंपरा को जीवित रखते हुए बाल प्रतिभाओं को तराशने का कार्य संस्था द्वारा किया जा रहा है। जो प्रशंसनीय है। लगातार आयोजित हो रहे इन शिविरों के माध्यम से रतलाम की नई पीढ़ी को तैयार करने का प्रयास भी किया जा रहा है।
बाल कलाकारों ने किया प्रभावित
नन्हें रंगकर्मियों द्वारा अपनी नाट्य प्रस्तुति से दर्शकों को प्रभावित किया।इन्होंने प्रस्तुत नाटक से जीवन से गायब होते जा रहे पर्यावरण को बचाने का संदेश दिया। हम अपने पर्यावरण के प्रति भी काफी असंवेदनशील होते जा रहे हैं। पेड़ो की अंधाधुंध कटाई, पौधों के प्रति बेरूखी और अपने जलस्त्रोतों के प्रति हमारी अनदेखी हमारे आज को तो संकट में डाल ही रही हैं, आने वाले कम को भी संकटग्रस्त बना रही है। नाटक ‘हाशिए की हिम्मत‘ राजस्थान के एक गांव पिपलांत्री में ग्रामीणों द्वारा अपनी इच्छाशक्ति के बल पर किए गए बदलावों पर केन्द्रित था, वहीं नाटक ‘आज नहीं तो कल की खातिर‘ ने पर्यावरण के प्रति संवदेनशील होने की अपील की।इस अवसर पर नगर के रंगकर्मियों के साथ ही नागरिक भी उपस्थित थे।