December 25, 2024

धोखाधड़ी कर हासिल किया था निर्वाचन की विडियो ग्राफ़ी का ठेका, होना थी एफआईआर,लेकिन मिला लाखो का भुगतान

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रतलाम,9 फरवरी (इ खबर टुडे)। झूठा शपथ पत्र देकर रतलाम जिला निर्वाचन से धोखाधड़ी कर विधानसभा चुनाव 2018 में करीब आधा करोड का सीसीटीवी विडियोग्राफी का ठेका लेने वाली फर्म के विरूद्ध अधिकारियों ने एफआईआर एवं राशि राजसात करने की बजाय उसे भूगतान किया है। ठेका फर्म ने टेंडर की शर्त के विरूद्ध झूठा शपथ पत्र दिया और सांठगांठ के साथ ठेका हांसिल कर लिया, जबकि इसी फर्म को उज्जैन जिला निर्वाचन ने जांच के साथ ठेका निरस्त कर नई निविदा आमंत्रित कर वहां से रवाना कर दिया था।

रतलाम जिला निर्वाचन ने विधानसभा चुनाव में निविदा आमंत्रित की थी। सीसीटीवी,विडियोग्राफी के साथ अन्य काम इसमें शामिल थे। निविदा सूचना आमंत्रित की गई। जिसके तहत सांठगांठ के साथ एक अन्य फर्म नटराज को अधिकारियों ने न्यूनतम दर होने के बावजूद देवास की ब्लेक लिस्ट फर्म टीना विडियो विजन को सांठगांठ कर ठेका दिया । जबकि निर्वाचन की निविदा शर्त में साफ किया गया था कि ठेकेदार फर्म को निविदा के साथ इस आशय का शपथ-पत्र प्रस्तुत करना होगा कि ‘निविदाकर्ता /फर्म/कंपनी/प्रोपाइटर को पूर्व में किसी भी शासकीय /अर्ध शासकीय कार्यालय /विभाग द्वारा ब्लेक लिस्ट नहीं किया गया है।‘ प्रस्तुत करना होगा। शपथ-पत्र असत्य पाया जाने पर तथा इस प्रकार की सूचना पाए जाने पर निविदा निरस्त कर दंड़ात्मक कार्यवाही की जावेगी। जिला निर्वाचन अधिकारी के लिए अपर कलेक्टर ने निविदा आमंत्रित की थी। इसके साथ ही निविदा प्रपत्र की अन्य शर्तों को भी सांठगांठ के साथ हवा में उड़ा दिया गया।

अंग्रेजी दैनिक ने किया था खुलासा-

ब्लेकलिस्ट फर्म टीना विडियो विजन ने विधानसभा चुनाव 2018 में उज्जैन जिला निर्वाचन की निविदा में हिस्सेदारी कर सांठगांठ के साथ ठेका हासिल किया था। उज्जैन में राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक ( द टाईम्स आफ इंडिया )ने 29 सितम्बर 2018 के अंक में फर्म के फर्जीवाडे का खुलासा किया था। इस आधार पर कांग्रेस प्रवक्ता ने इसकी शिकायत अन्य बिंदुओं के साथ की थी। जिसकी जांच कराए जाने पर पूरे मामले पुख्ता साबित हुए। इस पर उज्जैन निर्वाचन ने जांच की और फर्म का काला सच सामने आने पर काम नहीं देते हुए रवाना कर दिया गया। यही नहीं उज्जैन निर्वाचन ने फर्म के काले सच से प्रदेश निर्वाचन आयोग को भी अवगत करवाया था, जिससे कि प्रदेश के अन्य जिलों में फर्म को रोका जा सके।

जांच में सच सामने आया,फिर भी बख्शा-

उज्जैन जिला निर्वाचन के निविदा में फर्म ने हिस्सेदारी की थी। यहां भी फर्म ने झूठा शपथ-पत्र दिया था। इस बात का खुलासा राष्ट्रीय अंग्रेजी दैनिक में होने पर कांग्रेस प्रवक्ता ने शिकायत की थी। नोडल अधिकारी ने तत्कालीन कलेक्टर और जिला निर्वाचन अधिकारी मनीषसिंह के आदेश पर टीना विडियो विजन के ब्लेकलिस्ट मामले की जांच की थी। इसमें भी अधिकारियों ने फर्म को बचाने का प्रयास किया लेकिन जो सच था उसे छुपाना कठिन था ऐसे में अधिकारियों ने मात्र फर्म को रवाना किया जबकि निविदा के साथ अर्नेस्टमनी राजसात की जानी चाहिए थी। नोडल अधिकारी ने अपनी जांच में सभी तथ्यों का उल्लेख करते हुए लिखा कि फर्म के ट्रेक रेकार्ड को देखते हुए निर्णय लिया जाना उचित होगा। इस पर नोटशीट पर उप जिला निर्वाचन अधिकारी ने अंकित किया कि उपर्युक्त विवरण से स्पष्ट है कि टीना विडियो विजन द्वारा निर्वाचन कार्य समय पर एवं संतोषजनक रूप से किया जाना संभव नहीं है। अभी अनुबंध भी नहीं हुआ है अत: टीना विडियो विजन की न्यूनतम निविदा निरस्त की जाना तथा पून: टेंडर आमंत्रित किया जाना प्रस्तावित । अपर कलेक्टर ने भी फर्म के ट्रेक रेकार्ड के साथ अन्य बातों का उल्लेख करते हुए टेंडर निरस्त किया जाना उचित ठहराया। नोट शीट में जिला निर्वाचन अधिकारी मनीषसिंह ने सभी की अनुशंसा को स्वीकृत कर लिखा कि 7 दिन का टेंडर करें। पूरे मामले में किसी भी अधिकारी ने झूठा शपथ पत्र सामने आने पर भी न तो अमानत राशि राजसात के लिए कार्रवाई का लिखा न ही फर्म के विरूद्ध दंडात्मक कार्रवाई का पक्ष ही रखा।

फर्म ऐसे है ब्लेकलिस्टेड़-

इंदौर,देवास,रतलाम सहित प्रदेश के कुछ अन्य जिलों के जिला निर्वाचन कार्यालय से विधानसभा चुनाव 2018 में विडियोग्राफी और सीसीटीवी का ठेका लेने वाली देवास की ब्लेकलिस्टेड फर्म टीना विडियो विजन उज्जैन के जनपद पंचायत तराना से राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना के जांब कार्ड के फोटोग्राफी के कार्य में डिफाल्टर 2013 में हुई। तत्कालीन तराना जनपद सीईओं ने संस्था की अमानत राशि राजसात करते हुए कार्यादेश निरस्त कर दिया था। एनआरईजीएस के नियमों के तहत जनपद सीईओं के आदेश की अपील जिला पंचायत सीईओं के समक्ष डिफाल्टर फर्म को 30 दिन में करना थी। इसके विरूद्ध फर्म की और से सांठगांठ की और उसी जनपद सीईओ ने अपने ही आदेश को वापस निरस्त कर दिया। जब कि नियमानुसार जनपद सीईओ के आदेश को अपील के तहत जिला पंचायत सीईओ या कलेक्टर ही निरस्त कर सकता है। इसके बाद तराना जनपद के रेकार्ड में आग लग गई और योजनाबद्ध तरीके से मामला ठंड़ा हो गया। उज्जैन में संबंधित मामला कांग्रेस के संज्ञान में सामने आने पर टेंडर खोलने के बाद भी जिला निर्वाचन ने ठेका अनुबंध न करते हुए नई निविदा आमंत्रित कर ली और अन्य ठेकेदारों को काम दिया गया ।

आगर में शर्तों का उल्लंघन किया, भूगतान ले लिया-

2013 में डिफाल्टर होने के बावजूद फर्म ने लोकसभा निर्वाचन 2014 में आगर जिले में काम लिया गया। सशर्त ठेका लेने के बाद भी फर्म ने ठेके की सभी शर्तो का उल्लंघन किया। अधिकारियो के आदेश का पालन भी नहीं किया। इसके बावजूद उसे पूरा भूगतान तत्कालीन अधिकारियों ने किया। मामला मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल को हुई शिकायत में खूला। 17 बिंदुओं के आधार पर जांच प्रतिवेदन निर्वाचन आयोग ने मांगा। तत्कालीन उप जिला निर्वाचन अधिकारी के एल यादव ने जांच कर प्रतिवेदन तैयार किया लेकिन मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल को इससे वंचित रखा गया। जांच प्रतिवेदन में बिंदुवार साफ किया गया है कि फर्म टीना विडियो विजन ने कोई रेकार्ड जमा नहीं कराया,समय पर कैमरे उपलब्ध नहीं कराए जिससे अधिकारियों को परेशानी का सामना करना पड़ा,अधिकारियों के शिकायतों का उल्लेख भी किया गया,अधिकारियों को स्थानीय स्तर पर कैमरे लगवाकर कार्य पूर्ण करवाना पड़ा, जांच दिनांक 01-03-2017 का उल्लेख करते हुए जांच अधिकारी ने लिखा कि आज दिनांक तक जिला निर्वाचन कार्यालय में डाटा भी जमा नहीं किया गया। फर्म की और से सीसीटीवी कैमरे लगाए जाने का कोई अभिलेख नहीं है। विडियोग्राफी का भूगतान बगैर रिटर्निंग अधिकारियों के सत्यापन के ही आदेश कमांक 35 दिनांक 07-01-15 के अनुसार किया गया। लोकसभा निर्वाचन में काम बिगाडने के बाद भी स्थानीय निर्वाचन का काम फर्म को दे दिया गया।

सब कुछ घालमेल, आयोग पर सवाल-

मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी भोपाल के पत्र क्रमांक 4/शिकायत/2015/5/5830 दिनांक 14/06/2016 की जांच अव्वल तो 9 माह बाद की गई उस पर भी घालमेंल हो गया। यहीं से निर्वाचन पर सवाल लाजिमी हो गया है। आगर में जांच की गई प्रतिवेदन तैयार किया गया लेकिन कलेक्टोरेट आगर में ही इसे दबा दिया गया। शिकायतकर्ता राहुल जोशी का आरोप है कि कलेक्टर द्वारा अनियमितता उजागर होने के बाद भी कार्यवाही नहीं की गई। जानकारी मुख्य निर्वाचन कार्यालय पदाधिकारी को नहीं भेजी गई । प्रतिवेदन लोकायुक्त कार्यालय को भेजा गया,। जहां भी अब तक उंट ने करवट तक नहीं ली है। संभवत: कलेक्टोरेट से जानबुझकर ही यह प्रपंच रचा गया । जिससे की सवाल उठने पर बचाव के लिए यह बताया जा सके कि मामला लोकायुक्त के संज्ञान में लाया गया था। यह साबित होने पर कि लोकसभा 2014 और विधानसभा उप चुनाव के दौरान टीना वीडियों विजन द्वारा एक तो संतोषजनक कार्य नहीं किया गया, कम कार्य किया गया और उसके बाद भी बिलों का बिना परीक्षण किये भुगतान किया गया। जांच के बाद यह साबित हो गया कि बिना परीक्षण किये संस्था को देयक क्रमांक 98-99-100 के माध्यम से कुल 8 लाख 78 हजार 350 रूपये का भुगतान किया गया। लोकसभा चुनाव 2014 के बावत एनएस राजावत अपर कलेक्टर तथा केएल यादव, उप जिला निर्वाचन अधिकारी आगर-मालवा ने जो उससे यह साबित हो रहा है कि बगैर परीक्षण के टीना वीडियों विजन देवास को किये गये इस भुगतान पर जांच में प्रमाणित होने के बाद भी कोई कार्यवाही नहीं की गई और कार्यवाही से शिकायतकर्ता को अवगत नहीं कराया गया।

झूठे शपथपत्र की जानकारी के बावजूद फर्म को किया भुगतान

रतलाम जिले के अधिकारियो को विडियो ग्राफ़ी का ठेका देने के समय और बाद में भी इस तथ्य की जानकारी थी कि उक्त फर्म ब्लैकलिस्टेड है और फर्म ने ठेका लेने के समय प्रस्तुत किये गए शपथ पत्र में इस जानकारी को छुपाया है। वस्तुतः झूठा शपथ पत्र देना आपराधिक कृत्य की श्रेणी में आता है और इस पर एफआईआर कराइ जाना चाहिए। लेकिन इसके विपरीत निर्वाचन के अधिकारियो ने उक्त फर्म से कार्य भी कराया और उसे भुगतान भी कर दिया गया।

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