November 24, 2024

जो दिमागवाले है,वे नहीं देखेंगे दिलवाले फिल्म

अन्तर्राष्ट्रिय ख्याति प्राप्त कलाकार बाबा मौर्य ने

इ खबरटुडे से कहा

रतलाम,17 दिसम्बर(इ खबरटुडे)। भारत माता की आरती से चर्चित,अन्तर्राष्ट्रिय ख्यातिप्राप्त कलाकार बाबा सत्यनारायण मौर्य का कहना है कि देश में जो भी दिमाग वाले लोग है,वे शाहरुख की फिल्म दिलवाले नहीं देखेंगे और शाहरुख को यह सन्देश देंगे कि अब लोगों ने दिल की बजाय दिमाग से काम लेना शुरु कर दिया है।

 बाबा मौर्य बुधवार को इ खबरटुडे कार्यालय में इस संवाददाता से चर्चा कर रहे थे। शाहरुख खान द्वारा दिए गए असहिष्णुता सम्बन्धी बयान और सोशल मीडीया पर शाहरुख की फिल्म नहीं देखे जाने के बयानों पर टिप्पणी करते हुए बाबा ने

कहा कि भारत के लोग हमेशा से दिमाग की बजाय दिल से काम लेते आए है। इसी वजह से भारत ने कई दिक्कतों का सामना किया है। उन्होने कहा कि दिल से सोचने के कारण ही दुनिया भर के देश भारत पर अत्याचार करते रहे हैं। उन्होने कहा कि यह पहली बार हो रहा है कि देश के लोग दिल की बजाय दिमाग से काम लेते नजर आ रहे हैं। यही वजह है कि शाहरुख को अपने बयान पर माफी मांगना पड रही है।
असहिष्णुता के मुद्दे पर बाबा का कहना है कि देश में आजादी के बाद असहिष्णुता का माहौल था। इसीलिए युसूफ खान को फिल्मों में काम करने के लिए दिलीप कुमार का नाम धारण करना पडा था। इसी तरह अजीत,मीना कुमारी,मधुबाला जैसे कलाकारों को अपने मुस्लिम नाम छुपाकर हिन्दू नाम धारण करना पडते थे। लेकिन अब असहिष्णुता खत्म हो गई है। इसी वजह से फिल्म इण्डस्ट्री में खान नाम से किसी को कोई दिक्कत नहीं होती।
आंतकवाद के प्रश्न पर बाबा मौर्य ने कहा कि जब तक मुस्लिम धर्मावलम्बी परिवर्तन शील नहीं होंगे,इस्लामिक आतंकवाद पनपता रहेगा। उन्होने कहा कि हिन्दुत्व नेति पर आधारित है। नेति का अर्थ है,चलना अर्थात आगे बढना। इसीलिए हिन्दुत्व में

समय के अनुसार परिवर्तनों को स्वीकार किया जाता है। इसके विपरित इस्लाम इति शब्द पर आधारित है। इति का अर्थ है,जो है,उसमें अब कोई परिवर्तन नहीं किया जाएगा। इस्लामिक आतंकवादी,चौदह सौ साल पूर्व की बर्बरता को वापस लाना चाहते है। इस्लामिक धारणा में नई वैज्ञानिक उपलब्धियोंं को भी स्वीकार नहीं किया जाता। कट्टर इस्लामी विचार में कला,अभिनय,संगीत जैसी कलाओं को कोई स्थान नहीं दिया जाता। ऐसे में शाहरुख द्वारा फिल्मों में अभिनय किया जाना भी इस्लाम के सिध्दान्तों के खिलाफ है। यदि शाहरुख स्वयं को पक्का मुसलमान मानते है,तो उन्हे फौरन अभिनय छोड देना चाहिए।

 

 

 

 

 

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