आखिर कब हटेंगे सिंहस्थ क्षेत्र के अतिक्रमण ?
सिंहस्थ क्षेत्र घट्टिया तहसील के 281 अतिक्रमण है प्रशासनिक सूची में
उज्जैन,29 मार्च (इ खबरटुडे) । सिंहस्थ 2016 के लिए उल्टी गिनती शुरु हो चुकी है। ठीक एक वर्ष उपरान्त इन्हीं दिनों में सिंहस्थ में आने वाले अखाड़ों की पेशवाई निकलना शुरु होंगी। मुख्य रुप से सिंहस्थ का आयोजन दत्त अखाड़ा क्षेत्र और अंकपात क्षेत्र में किया जाता है। अधिकांश शैव सम्प्रदाय अखाड़े दत्त अखाड़ा क्षेत्र में है। वैष्णवी अखाड़े अंकपात क्षेत्र में। इसी क्षेत्र में 281 अतिक्रमण है जिन्हें हटाने के लिए न्यायालय निर्देश दे चुका है। इसके बावजूद घट्टिया तहसील प्रशासन के साथ ही जिला प्रशासन भी इन्हें हटाने को लेकर सजग दिखाई नहीं दे रहा है।
सिंहस्थ 2016 में वैष्णवी अखाड़ों का अपना जोर रहेगा। अंकपात क्षेत्र से वैष्णवी अखाड़ों के चल समारोह निकलेंगे। लम्बे क्षेत्र में अखाड़ों के पाण्डाल और डेरे लगेंगे। इसी क्षेत्र में वैष्णवी अखाड़ों के खालसे भी लगते है। हालत यह रहती है कि भैरवगढ़ बायपास तक और आगर रोड़ पर कमेड़ से आगे तक साधु-संतों के डेरे तम्बू लगते है। इन्हीं क्षेत्रों में लम्बे समय से अतिक्रमण की बाढ़ आई हुई है। 281 अतिक्रमण को लेकर न्यायालय के आदेश एक याचिका के तहत हो चुके है। डेढ़ से दो वर्ष इस आदेश को व्यतीत हो चुके है। इसके बावजूद क्षेत्र में अब तक अतिक्रमणों को हटाने के लिए कोई विशेष मुहिम नहीं चली है। यह अतिक्रमण प्रशासन और साधु-संतों के बीच विवाद का कारण भी सिंहस्थ के समय बनेंगे। पूर्ण में संतों ने जहां अपने डेरे-तम्बू लगाए थे, वे वही पर जमीनों की मांग करेंगे। भूखण्ड आवंटन समिति को इसमें भारी दिक्कतों और विवादों का सामना करना पड़ सकता है। इसके चलते अतिक्रमणों का हटना जरुरी बन पड़ रहा है।
शासकीय भूमि पर कट रहे प्लॉट
घट्टिया तहसील अंतर्गत आने वाले इस क्षेत्र में अनवरत रुप से अवैध निर्माण संचालित हो रहे है। हालत यह है कि कई स्थानों पर अब भी छतें डल रही है। निजी के अतिरिक्त शासकीय, गोचर, सरकारी कांकड़ की जमीन पर अवैध कब्जा किया जा रहा है। इन कब्जों के तहत अवैधानिक रुप से भूखण्ड काटे जा रहे है। इसे लेकर घट्टिया तहसील प्रशासन पूरी तरह से नजरअंदाजी का रवैया अपनाए हुए है। यही नहीं जिला प्रशासन और सिंहस्थ मेला कार्यालय की ओर से भी इसे नजरअंदाज किया जा रहा है। 281 अतिक्रमणों पर कार्यवाही होने से नये अतिक्रमण भी सामने आ जाएंगे। जिसके चलते सिंहस्थ क्षेत्र की इस जमीन को पूरी तरह से साधु-संतों के लिए रिक्त करवाया जा सकेगा।