Meeting on Ukraine : यूक्रेन पर UNSC की बैठक में भिड़े अमेरिका-रूस, भारत ने कहा- तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचें
न्यूयॉर्क,18फरवरी(इ खबर टुडे)। भारत ने गुरुवार को कहा कि यूक्रेन में स्थिति को केवल राजनयिक बातचीत के माध्यम से हल किया जा सकता है जिससे “सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों” को सुनिश्चित करते हुए तनाव को तत्काल कम किया जा सके। यूक्रेन संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की बैठक में गुरुवार को भारत ने साफ कहा है कि तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा, “अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा हासिल करने के व्यापक हित में सभी पक्षों द्वारा तनाव बढ़ाने वाले किसी भी कदम से बचा जा सकता है। शांत और रचनात्मक कूटनीति ही समय की मांग है।”
रूस के हमले की संभावना के बारे में अमेरिका और उसके सहयोगियों द्वारा बार-बार जोर दिए जाने के बावजूद भारत ने प्रमुख रणनीतिक साझेदार रूस की कार्रवाइयों की किसी भी आलोचना से परहेज किया है। संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारतीय दूत के बयान से कुछ समय पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने कहा था कि रूसी आक्रमण का खतरा “बहुत अधिक” है।
यूक्रेन पर यूएनएससी की बैठक में भारत का पक्ष रखते हुए तिरुमूर्ति ने कहा कि भारत की रुचि एक ऐसा समाधान खोजने में है जो इस क्षेत्र में और उससे आगे दीर्घकालिक शांति, स्थिरता को सुरक्षित करने के लिए सभी देशों के वैध सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए तनाव को तत्काल कम कर सके।
उन्होंने कहा, “20,000 से अधिक भारतीय छात्र और नागरिक यूक्रेन के विभिन्न हिस्सों में रहते हैं और अध्ययन करते हैं, जिसमें इसके सीमावर्ती क्षेत्र भी शामिल हैं। भारतीय नागरिकों की भलाई हमारे लिए प्राथमिकता है।”
यूक्रेन पर यूएनएससी की बैठक में संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि टीएस तिरुमूर्ति ने कहा कि हम यह सुनिश्चित करने के लिए कि सभी पक्षों की चिंताओं को रचनात्मक बातचीत के माध्यम से सौहार्दपूर्ण ढंग से हल किया जाए, हम गंभीर और निरंतर राजनयिक प्रयासों द्वारा स्थिति के शांतिपूर्ण समाधान के लिए अपने आह्वान को दोहराते हैं।
क्या है मिन्स्क समझौता जिसको लेकर यूक्रेन पर हावी हो रहा रूस?
2014 और 2015 में बेलारूस की राजधानी मिन्स्क में एक समझौता हुआ था। इसे मिन्स्क समझौता (Minsk Agreeement) कहा जाता है। 2014 के समझौते को Minsk I और 2015 के समझौते को Minsk II कहा गया। समझौते के मुताबिक यूक्रेन की सेना और रूसी समर्थक विद्रोहियों की बीच लड़ाई खत्म हो जाएगी। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। ये समझौते कभी पूरी तरह लागू नहीं हुए। यूरोपीय देश इस समझौते को दोबारा बहाल करना चाहते हैं, ताकि शांति बनी रहे। रूस का आरोप है कि यूक्रेन ने इसे लागू नहीं किया है।
रूस ने पश्चिमी देशों पर लगाए गंभीर आरोप
इससे पहले यूएनएससी में रूस ने पश्चिमी देशों पर बड़े आरोप लगाए। रूस ने कहा, “कल यूक्रेन की उपराष्ट्रपति ने कहा कि डोनबास की विशेष स्थिति पर कोई नया कानून नहीं होगा, इसलिए कोई प्रत्यक्ष समझौता भी नहीं होगा। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि मिन्स्क समझौते को लागू करने के लिए पश्चिम द्वारा उन पर कोई दबाव नहीं डाला गया है।” रूस ने कहा, “पश्चिम (देशों) का एकमात्र लक्ष्य युद्ध आयोजित करना है। यदि ऐसा नहीं होता, तो यूक्रेन की कठपुतली सरकार बहुत पहले ही मिन्स्क समझौते को लागू करने के लिए मजबूर हो जाती। चूंकि ऐसा नहीं हो रहा है, हम कह सकते हैं कि पश्चिम रूस के साथ युद्ध चाहता है।”
अमेरिका ने रूस पर किया पलटवार
न्यूयॉर्क में यूएनएससी की बैठक में रूस-यूक्रेन तनाव पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि इस परिषद की प्राथमिक जिम्मेदारी शांति और सुरक्षा का संरक्षण करना है। शांति और सुरक्षा के लिए सबसे तात्कालिक खतरा यूक्रेन के खिलाफ रूस की बढ़ती आक्रामकता है। ब्लिंकन ने कहा कि यह संकट इस परिषद के प्रत्येक सदस्य और दुनिया के सभी देशों को सीधे प्रभावित करता है।
उन्होंने कहा, “रूस ने अपने हमले का बहाना बनाने की योजना बनाई है। यह एक हिंसक घटना हो सकती है कि रूस यूक्रेन पर या यूक्रेन सरकार के खिलाफ अपमानजनक आरोप लगाएगा।”
अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन ने कहा कि कूटनीति इस संकट को हल करने का एकमात्र जिम्मेदार तरीका है और इसका एक अनिवार्य हिस्सा मिन्स्क समझौते के कार्यान्वयन के माध्यम से है।
अमेरिका ने कहा, “रूस चाहे तो आज घोषणा कर सकता है कि वह यूक्रेन पर आक्रमण नहीं करेगा, लेकिन इसे स्पष्ट और सीधे शब्दों में दुनिया को बताए। और फिर अपने सैनिकों, टैंकों को उनके बैरक और हैंगर में वापस भेजकर और राजनयिकों को बातचीत की मेज पर लाकर इसका प्रदर्शन करे।”