December 24, 2024

Pride Day Celebrations: प्रधानमंत्री ने कहा- आजादी के बाद की सरकारों ने आदिवासियों के बारे में देश को अंधेरे में रखा

modi bhopal

भोपाल, 15 नवंबर (इ खबर टुडे)। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी अमर शहीद बिरसा मुंडा की जयंती पर जनजातीय गौरव दिवस समारोह में शामिल होने के लिए भोपाल के जंबूरी मैदान स्थित मंच पर पहुंच गए हैं। यहां आदिवासी कलाकारों ने पारंपरिक नृत्य के साथ उनका स्वागत किया। उन्होंने भाजपा के वयोवृद्ध नेता लक्ष्मीनारायण गुप्ता का सम्मान किया। गुप्ता हिंदू महासभा से मप्र की पहली विधानसभा के सदस्य चुने गए थे। मंच पर प्रधानमंत्री को झाबुआ से लाई गई आदिवासियों की पारंपरिक जैकेट और डिंडोरी से लाया गया आदिवासी साफा पहनाया गया। भाजपा के राष्ट्रीय मंत्री और आदिवासी नेता ओमप्रकाश धुर्वे ने स्वागत के दौरान उनके पैर छूने की कोशिश की तो प्रधानमंत्री ने उन्हें रोक दिया।

इससे पहले स्टेट हैंगर पर मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और राज्यपाल मंगू भाई पटेल समेत कई भाजपा नेताओं ने स्टेट हैंगर पर उनकी अगवानी की। वे आदिवासियों के लिए कई बड़ी घोषणाएं कर सकते हैं। इसके बाद वे पीपीपी मॉडल पर 100 करोड़ रुपए में विकसित रानी कमलापति रेलवे स्टेशन (हबीबगंज) का लोकार्पण करेंगे। मोदी भोपाल में करीब 3 घंटे 50 मिनट रहेंगे।

दावा किया जा रहा है कि इस कार्यक्रम में पूरे राज्य से करीब 2 लाख आदिवासी पहुंचे हैं। वे ढोल, नगाड़े, मांदल की थाप और तुरही तान पर नाचते हुए जंबूरी मैदान पहुंचे। सांसद सुमेर सिंह सोलंकी पारंपरिक वेशभूषा में हैं। उन्होंने आदिवासियों को संबोधित किया।

दोपहर 1.39 बजे मंच पर आए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने पूर्व मुख्यमंत्री ने कमलनाथ और दिग्विजय को घेरा। उन्होंने कहा कि दो-दो पूर्व मुख्यमंत्री हम पर हमला कर रहे हैं। जो कहते थे बीजेपी आदिवासी विरोधी है, आज वही कह रहे हैं कि जनजातीय सम्मेलन फिजूलखर्ची है।

पेसा कानून चरणबद्ध तरीके से पूरे मध्य प्रदेश में लागू किया जाएगा। आबकारी नीति ऐसी बनाई जाएगी, जो आपकी परंपराओं का पालन करे। जनजातीय भाइयों का कर्जा माफ करवाया जाएगा। हर गांव में आदिवासी भाई-बहनों को ट्रेंड कर रोजगार दिया जाएगा।

दोपहर 2.10 पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी मंच पर आए। उन्होंने मंच से आदिवासी नागरिकों का स्वागत किया। कहा- हूं तमारो स्वागत करूं..।

मोदी के भाषण की प्रमुख बातें

आज का दिन पूरे देश के लिए बहुत बड़ा दिन है। आज भारत अपना पहला जनजातीय गौरव दिवस मना रहा है। आजादी के बाद देश में पहली बार, इतने बड़े पैमाने पर पूरे देश के जनजातीय समाज की कला, संस्कृति, स्वतंत्रता आंदोलन और राष्ट्र निर्माण में उनके योगदान को गौरव के साथ याद किया जा रहा है।
मेरा ये अनुभव रहा है कि जीवन के महत्वपूर्ण कालखंड को मैंने आदिवासियों के बीच बिताया है। जीवन जीने का कारण, जीवन जीने के इरादे को आदिवासी परंपरा बखूबी प्रस्तुत करती है।
धरती खेत खलिहान किसी के नहीं हैं, अपने मन में गुमान करना व्यर्थ है। ये धन, दौलत कोई काम के नहीं हैं। इसे यहीं छोड़कर जाना है। आप देखिए, आदिवासी के संगीत में नृत्य में जो शब्द कहे गए हैं, वो जीवन का उत्तम तत्वज्ञान मेरे आदिवासी भाई-बहनों ने आत्मसात किया है।
अब जब गांव में आपके घर के पास सस्ता राशन पहुंचेगा तो आपका समय भी बचेगा ओर अतिरिक्त खर्च से भी मुक्ति मिलेगी।
मुझे खुशी है कि मध्य प्रदेश में जनजातीय परिवारों में तेजी से मुफ्त टीकाकरण भी हो रहा है। दुनिया के पढ़े लिखे देश में भी टीकाकरण पर सवालिया निशान लगाने को लेकर भी खबरें आती हैं। लेकिन, मेरे आदिवासी भाई-बहन टीकाकरण के महत्व को समझते हैं। पढ़े लिखे लोगों को आदिवासी से सीखना चाहिए।
आज यहां भोपाल आने से पहले रांची में बिरसा मुंडा स्वतंत्रता सेनानी म्यूजियम का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। आजादी के नायकों की वीर गाथाएं देश के सामने लाना हमारा कर्तव्य है। गुलामी के कालखंड में विदेश शासन के खिलाफ मीजो आंदोलन, कोल आंदोलन समेत कई संग्राम हुए। गौंड महारानी वीर दुर्गावाती का शौर्य हो या फिर रानी कमलापति का बलिदान देश इन्हें भूल नहीं सकता। वीर महाराणा प्रताप के संघर्ष की परिकल्पना भील बहादुरों के बिना नहीं की जा सकती।
जनजाती सम्मेलन पर कुछ लोगों को हैरानी होती है। ऐसे लोगों को विश्वास ही नहीं होता कि जनजातीय समाज का भारत की संस्कृति को मजबूत करने में कितना बड़ा योगदान रहा। देश को अंधेरे में रखा गया। और अगर बताया भी गया तो बहुत ही सीमित दायरे में जानकारी दी गई। आजादी के बाद इतने दशक तक सरकार चलाने वालों ने अपने स्वार्थ को प्राथमिकता दी।
गुजरात का मुख्यमंत्री बनने के बाद मैंने वहां पर जनजातीय समाज में बदलाव के लिए बहुत सारे अभियान शुरू किए। जब देश ने मुझे 2014 में आपकी सेवा का मौका दिया तो मैंने जनजातीय समुदाय के हितों को अपनी सर्वोच्च प्राथमिकता में रखा। आज सही मायने में आदिवासी समाज को देश के विकास में भागीदारी दी जा रही है।
यहां देखें प्रधानमंत्री का लाइव कार्यक्रम

पीएम विजिट की वजह से रानी कमलापति रेलवे स्टेशन के आसपास की सभी दुकानें बंद हैं। हबीबगंज अंडरब्रिज से आगे का रास्ता बंद कर दिया गया है। गोविंदपुरा भेल से अवधपुरी चौक और बोर्ड ऑफिस से रानी कमलापति स्टेशन तक का रास्ता बंद है। रानी कमलापति (पुराना नाम हबीबगंज) रेलवे स्टेशन पर भी तगड़ी सुरक्षा है। बसों का रूट बदल जाने से यात्रियों को परेशानी हो रही है। ऑटोवाले दोगुना किराया ले रहे हैं। इससे ज्यादातर लोग पैदल ही रास्ता तय कर रहे हैं।

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