November 24, 2024

श्री महाकालेश्वर मंदिर मे भगवान नागचंद्रेश्वर के पट कल खुलेंगे सिर्फ 24 घंटे के लिए, होगी त्रिकाल पूजा

उज्जैन,31जूलाई(इ खबर टुडे/ब्रजेश परमार)। भगवान श्री महाकालेश्वर मन्दिर के शीर्ष शिखर पर स्थित नागचंद्रेश्वर मन्दिर के पट सोमवार मध्य रात नागपंचमी पर्व पर दर्शनों के लिए खोले जाएंगे। नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट वर्ष में एक बार चौबीस घंटे के लिये सिर्फ नागपंचमी के दिन खुलते हैं। सोमवार मध्यरात्रि विशेष पूजा अर्चना के साथ आम भक्तों के लिये मन्दिर के पट खुल जायेंगे और भगवान नागचंद्रेश्वर महादेव के लगातार चौबीस घंटे दर्शन होंगे।

श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति प्रशासक गणेश धाकड़ के अनुसार 01 अगस्त को नागचंद्रेश्वर मन्दिर के पट विशेष पूजा के साथ खोले जाएंगे। 02 अगस्तमंगलवार की रात्रि 12 बजे बन्द होंगे। इस दौरान लाखों श्रद्धालु भगवान नागचंद्रेश्वर के दर्शन करेंगे। श्रद्धालुओं के लिए मंदिर समिति एवं प्रशासन ने व्यापक व्यवस्थाएं की हैं।इस बार नागचंद्रेश्वर दर्शन के लिए एक नया अस्थायी पूल निर्माण किया गया है।

त्रिकाल पूजा होगी
धाकड़ के अनुसार नागपंचमी पर्व पर भगवान श्री नागचन्द्रेश्वर की त्रिकाल पूजा होगी, जिसमें 01 अगस्त रात्रि 12 बजे पट खुलने के पश्चात श्री पंचायती महा निर्वाणी अखाड़े के महंत विनित गिरी महाराज भगवान श्री नागचंद्रेश्वर का पूजन अर्चन अभिषेक किया जावेगा। तहसील की और से शासकीय पूजन 02 अगस्त दोपहर 12 बजे होगा। श्री महाकालेश्वर मंदिर प्रबंध समिति द्वारा 02 अगस्त को श्री महाकालेश्वर भगवान की सायं आरती के पश्चात मंदिर के पुजारी एवं पुरोहितों द्वारा पूजन-आरती की जायेगी ।

नागचंद्रेश्वर की अद्भूत प्रतिमा के होंगे दर्शन
नागपंचमी पर्व पर श्री महाकालेश्वर मन्दिर परिसर में महाकाल मन्दिर के शीर्ष शिखर पर स्थित श्री नागचंद्रेश्वर भगवान के पूजन-अर्चन के लिये लाखों श्रद्धालु उज्जैन पहुंचेंगे। हिंदू धर्म में सदियों से नागों की पूजा करने की परंपरा रही है। हिंदू परंपरा में नागों को भगवान का आभूषण भी माना गया है। भारत में नागों के अनेक मंदिर स्थित हैं, इन्हीं में से एक मंदिर है उज्जैन स्थित नागचंद्रेश्वर का, जो की उज्जैन के प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर के शीर्ष शिखर पर स्थित है।

श्री नागचंद्रेश्वर मंदिर में 11 वीं शताब्दी की एक अद्भुत प्रतिमा है। प्रतिमा में फन फैलाए नाग के आसन पर शिव-पार्वती बैठे हैं। माना जाता है कि पूरी दुनिया में यह एकमात्र ऐसा मंदिर है, जिसमें भगवान विष्णु की जगह भगवान भोलेनाथ सर्प शय्या पर विराजमान हैं। मंदिर में स्थापित प्राचीन मूर्ति में श्री शिवजी, माँ पार्वती श्रीगणेश जी के साथ सप्तमुखी सर्प शय्या पर विराजित हैं साथ में दोनो के वाहन नंदी एवं सिंह भी विराजित है। शिवशंभु के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हुए हैं। कहते हैं यह प्रतिमा नेपाल से यहां लाई गई थी। उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं भी ऐसी प्रतिमा नहीं है।

भगवान महाकाल की तीसरी सवारी कल
भगवान श्री महाकालेश्वर की श्रावण-भाद्रपद माह में निकलने वाली सवारी के क्रम में श्रावण माह के तीसरे सोमवार को सायं 4 बजे श्री महाकालेश्वर भगवान की सवारी नगर भ्रमण पर निकलेगी।

प्रशासक श्री धाकड़ के अनुसार तीसरी सवारी में भगवान श्री महाकाल शिव तांडव स्वरूप में गरूड पर सवार होकर अपने भक्तों को दर्शन देंगे। पालकी में श्री चन्द्रमोलीश्वर और हाथी पर श्री मनमहेश विराजित होंगे।

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