November 19, 2024

डेली कलेक्शन की कई संस्थाओं के डूबने का खतरा, सहकारिता विभाग ने पल्ला झाड़ा -उपायुक्त सहकारिता बोले शहरी साख संस्था के सदस्य अपनी रिस्क पर संस्था में राशि जमा करायें

उज्जैन,22 जनवरी (इ खबरटुडे/ब्रजेश परमार)। शहर में संचालित हो रही कई शहरी साख संस्था के डूबने का खतरा मंडराते ही सहकारिता विभाग ने पहले से अपना पल्ला झाड़ लिया है। ऐसी संस्थाएं शहर में छोटे व्यापारियों से डेली कलेक्शन कर लाखों रूपए प्रति दिन इक्ठ्ठा कर रही है,जबकि इनके पास बैंकिंग कार्य का लायसेंस तक नहीं है।अनुमान के अनुसार प्रतिदिन शहर में 30 लाख रूपए ऐसी संस्थाएं इकठ्ठा कर रही है।

उज्जैन शहर में 4 दर्जन से अधिक शहरी साख संस्थाएं डेली कलेक्शन का काम कर रही हैं।अपने सदस्यों के अतिरिक्त हजारों लोगों से प्रति दिन का इनका एजेंट के माध्यम से डेली कलेक्शन का कार्य किया जाता है।खास बात तो यह है कि राजनैतिक रूप से प्रभावी लोग इनका पर्दे के पीछे से संचालन करवाते हैं। चुनाव के समय इस डेली कलेक्शन का उपयोंग राजनैतिक रूप से किया जाता है।जिस पर चुनाव आयोग की नजर नहीं होती है। चुनाव के समय ऐसी साख संस्थाओं के प्रतिदिन के कलेक्शन का कोई रेकार्ड जिला निर्वाचन के पास नहीं होता है।

सहकारिता विभाग को भी ऐसी संस्थाएं प्रतिदिन कलेक्शन का लेखा जोखा नहीं देती हैं।शहर में हाल ही में कुछ संस्थाओं के गडबड की जानकारी लगते ही सहकारिता विभाग ने अपना पल्ला झाड लिया है। संस्थाओं के इस प्रकार के कृत्य की जानकारी लगते ही विभाग की और से आम जन को जागरूक करने के लिए कोई विज्ञप्ति जारी न करना और अब जबकि संस्थाओं के कलेक्शन का रेकार्ड करोडों रूपए तक जा रहा है ऐसे में आम जन को निती सम्मत जानकारी के लिए विभाग के कर्णधारों की विज्ञप्ति जारी करने अपने आप में ही सवाल खडे कर रही है।पूर्व में भी प्रियदर्शनी सहकारी पेढी सहित अनेक ऐसी साख संस्थाएं सदस्यों के डेली कलेक्शन का करोड़ों रूपए डकार गई और विभाग मूक दर्शक बना रह गया। खास बात तो यह है कि सहकारिता विभाग की जानकारी में होने के बावजूद विज्ञप्ति में ऐसी संस्थाओं के नाम तक उल्लेख नहीं किए गए हैं।जिससे साफ हो रहा है कि राजनैतिक दबाव के चलते विभाग विज्ञप्ति जारी कर अपने दामन से दाग साफ करने की तैयारी कर रहा है।

विभाग की और से जारी विज्ञप्ति में उपायुक्त सहकारिता ने बताया है कि मप्र सहकारी सोसायटी अधिनियम-1960 के अन्तर्गत पंजीकृत शहरी साख संस्थाएं जो अपने सदस्यों से अमानत राशि प्राप्त कर सदस्यों की आवश्यकता के अनुरूप पंजीकृत उपविधियों के उद्देश्यों के अनुसार ऋण/अमानत प्रदान करती हैं।

प्राय: यह देखा जा रहा है कि पंजीकृत शहरी साख संस्थाओं में भी सदस्यों को लोक लुभावन योजनाओं का प्रलोभन देकर सीधे अथवा कलेक्शन एजेन्ट के माध्यम से सदस्यों से जमा राशियां प्राप्त कर उन राशियों के परिपक्व होने पर उन जमाकर्ता सदस्यों को वापस नहीं की जा रही है। यह स्पष्ट रूप से धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है। सहकारी शहरी साख संस्थाओं को बैंकिंग कार्य करने के लिये भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी बैंकिंग लायसेंस प्राप्त करना अनिवार्य है, परन्तु कतिपय शहरी साख संस्थाओं के द्वारा बैंकिंग रेग्युलेशन एक्ट का उल्लंघन करते हुए बैंकिंग कार्य भी किया जा रहा है, जो आपराधिक एवं धोखाधड़ीपूर्ण कृत्य है।नियम विरूद्ध कार्य करने वाली शहरी साख संस्थाओं के सम्बन्ध में यह धारणा बलवती होती जा रही है कि यह संस्थाएं पंजीयक के प्रशासकीय नियंत्रण में कार्य करती हैं, जबकि यह शहरी साख संस्थाएं अपने सदस्यों के प्रति अर्थात आमसभा के प्रति उत्तरदायी होती है। इन संस्थाओं के दिन-प्रतिदिन के व्यवसाय तथा जमा प्राप्त करना, ऋण प्रदान करना इत्यादि में पंजीयक का कोई सीधा हस्तक्षेप नहीं होता है।

शहरी साख संस्थाओं के समस्त सदस्यों, जमाकर्ताओं व आम जनता को शहरी साख संस्थाओं के सम्बन्ध में यह स्पष्ट किया जाता है कि ये संस्थाएं अपने सदस्यों के प्रति जिम्मेदार होती हैं। दैनिक रूप से पंजीयक के प्रशासकीय नियंत्रण में नहीं होती है। अत: इन संस्थाओं के सदस्यों, जमाकर्ताओं को परामर्श दिया जाता है कि वे स्वयं अपनी रिस्क पर ऐसी संस्थाओं में राशियां जमा करायें। भविष्य में यदि ऐसी शहरी साख संस्थाओं द्वारा जमाकर्ताओं की राशियों का भुगतान नहीं किया जाता है तो इस हेतु संयुक्त पंजीयक, उप व सहायक पंजीयक जिम्मेदार नहीं होंगे।

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