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अप्रैल माह में दौड़ेगी देश की पहली हाईड्रोजन ट्रेन

देश की पहली हाईड्रोजन ट्रेन अप्रैल माह में दौड़ेगी। इसको लेकर रेलवे पूरी तेज गति से हाईड्रोजन प्लांटा का निर्माण कर रहा है। जींद में बने रहे हाईड्रोन प्लांट का कार्य अंतिम चरण में है। केंद्र सरकार जिस प्रोजेक्ट पर काफी दिनों से काम कर रही थी, अब उस सपने के साकार होने का समय नजदीक आ गया है।

देश की पहली हाईड्रोजन ट्रेन 31 मार्च तक पटरियों पर दौड़ने लगेगी

इस तकनीक के साथ भारत उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल हो जाएगा, जो ग्रीन मोबिलिटी को अपनाने में आगे हैं. इनमें जर्मनी, फ्रांस, चीन और यूके जैसे देश शामिल हैं। रेल मंत्रालय ने 2023-24 में 35 हाइड्रोजन फ्यूल सेल आधारित ट्रेनों के निर्माण के लिए 2,800 करोड़ रुपये का बजट निर्धारित किया था।

चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री में तैयार हो रही हाइड्रोजन ट्रेन
भारत में चलने वाली पहली हाइड्रोजन ट्रेन को चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आईसीएफ) में तैयार किया जा रहा है। शुरुआत में इसे नॉर्दर्न रेलवे के दिल्ली डिवीजन में जींद-सोनीपत रूट पर संचालित किया जाएगा। इस ट्रेन की पावर क्षमता 1,200 हॉर्सपावर (एचपी) होगी, जो अन्य देशों में चल रही हाइड्रोजन ट्रेनों से दोगुनी अधिक है। यह ट्रेन हाइड्रोजन और ऑक्सीजन के मिश्रण से बिजली उत्पन्न करेगी, जिससे केवल जल वाष्प उत्सर्जित होगा, यानि यह पूरी तरह से प्रदूषण मुक्त होगी. अगर यह प्रयोग सफल होता है तो भारतीय रेलवे प्रदूषण कम करने में भी अहम योगदान करने वाला नियोक्ता हो जाएगा।

कार्बन फुटप्रिंट होगा कम
रेलवे इस प्रोजेक्ट के तहत हाइड्रोजन रीफिलिंग के लिए एक विशेष इंफ्रास्ट्रक्चर भी तैयार कर रहा है। सरकार का दावा है कि यह दुनिया की सबसे लंबी हाइड्रोजन ट्रेनों में से एक होगी और इसकी पावर क्षमता भी सबसे अधिक होगी। इस कदम से भारत में स्वच्छ और टिकाऊ परिवहन को बढ़ावा मिलेगा, जिससे रेलवे का कार्बन फुटप्रिंट कम होगा और पर्यावरण को भी फायदा पहुंचेगा।


वर्जन
केंद्रीय रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि इस ट्रेन का पूरा डिजाइन और तकनीक भारत में ही विकसित की गई है।

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