Stock Market : स्टॉक बाजार में बढ़ने लगा विदेशी निवेशकों का भरोसा,शेयर बाजार में तेजी आने की पूरी संभावना
नई दिल्ली,18 फरवरी(इ खबर टुडे)। हाल में आई हिंडनबर्ग रिसर्च की एक रिपोर्ट ने भारतीय शेयर बाजार में हड़कंप मचा दिया था। लेकिन अब इसका असर केवल अडानी ग्रुप (Adani Group) तक ही सीमित रह गया है और भारतीय बाजार तेजी से साथ इस भूचाल से उबर रहा है। विदेशी निवेशक अडानी ग्रुप के मामले को एक अपवाद की तरह देख रहे हैं। बीएसई सेंसेक्स (BSE Sensex) एक बार फिर ऑल-टाइम हाई की तरफ बढ़ रहा है और 3.1 ट्रिलियन डॉलर के इक्विटी मार्केट में एक बार फिर विदेशी फंड आने लगा है। इसकी वजह यह है कि विदेशी निवेशकों को समझ आने लगा है कि भारत की अधिकांश कंपनियों का कामकाज ग्लोबल स्टैंडर्ड का है। यही वजह है कि विदेशी फंड्स ने गुरुवार को लगातार छठे दिन भारतीय स्टॉक्स में अपनी होल्डिंग्स में इजाफा किया। यह नवंबर के बाद सबसे लंबा सिलसिला है।
ब्लूमबर्ग के एक सर्वे के मुताबिक अधिकांश फंड मैनेजर्स का मानना है कि मजबूत मांग से कंपनियों की कमाई बढ़ रही है और शेयर बाजार में तेजी आने की पूरी संभावना है। 22 में से 16 फंड मैनेजर्स ने कहा कि अडानी प्रकरण के बावजूद उन्हें भारतीय शेयरों में तेजी का पूरा भरोसा है। केवल दो फंड मैनेजर्स ने आगे गिरावट की आशंका जताई जबकि चार न्यूट्रल रहे। 17 फंड मैनेजर्स ने कहा कि सेंसेक्स और निफ्टी अपने मौजूदा लेवल से कहीं ऊपर साल का समापन करेंगे। अधिकांश का कहना था कि अडानी एपिसोड से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रो-ग्रोथ पॉलिटिकल एजेंडे पर कोई असर नहीं होगा।
अडानी और इंडियन मार्केट
मुंबई की एल्डर केपिटल में इनवेस्टमेंट मैनेजर राखी प्रसाद ने कहा कि अडानी का मामला और इंडियन मार्केट अलग-अलग चीजें हैं। अडानी के शेयरों में बिक्री की समस्या भारत की समस्या नहीं है। इसकी वजह यह है कि कई भारतीय कंपनियों में गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स ग्लोबल स्टैंडर्ड्स के हैं। इस तरह की समस्या कई देशों में हो सकती है। अमेरिका की शॉर्ट सेलिंग फर्म हिंडनबर्ग रिसर्च ने एक निगेटिव रिपोर्ट जारी की थी। इससे अडानी ग्रुप के शेयरों में भारी गिरावट आई और उनका मार्केट कैप 130 अरब डॉलर से अधिक कम हो गया। इससे देश के शेयर मार्केट पर सवाल उठने लगे थे।
जाने-माने निवेशको का कहना है कि अब पूरी दुनिया के निवेशकों का ध्यान भारत की तरफ गया है और उन्हें लग रहा है कि अडानी का मामला एक अपवाद है। उन्होंने कहा कि वह भारत में टेक, इन्फ्रा और हेल्थकेयर स्टॉक्स के खरीदना चाहते हैं। वह भारत में ज्यादा पैसा निवेश करना चाहते हैं क्योंकि भारत का लॉन्ग टर्म फ्यूचर बहुत अच्छा है। हिंडनबर्ग की रिपोर्ट आने के बाद शुरुआती दिनों में विदेशी निवेशक आशंकित थे लेकिन अब उनका डर खत्म हो रहा है। वे अब भारतीय बाजार में अपना निवेश बढ़ा रहे हैं।
रेकॉर्ड बनाने की ओर
ब्लूमबर्ग के मुताबिक अगले दो साल में अडानी ग्रुप का कंबाइंड कैपिटल एक्सपेंडीचर करीब 12 अरब डॉलर रह सकता है जो भारत के जीडीपी का केवल 0.3% है। देश की कई बड़ी कंपनियों में कामकाज, लिक्विडिटी और कर्ज की स्थिति काफी बेहतर है। इनमें टाटा, रिलायंस और इन्फोसिस शामिल है। सेंसेक्स के 30 शेयरों में अडानी ग्रुप का कोई स्टॉक शामिल नहीं है। यह दिसंबर में ऑल टाइम हाई पर पहुंच गया था और अभी उससे महज चार फीसदी दूर है। इसी तरह निफ्टी 50 भी अपने पीक से करीब पांच फीसदी दूर है। इस इंडेक्स में अडानी ग्रुप की दो कंपनियां शामिल हैं। समय के साथ देश का मार्केट परिपक्व हुआ है और किसी एक ग्रुप पर निर्भर नहीं है।