क्षत्रप नेताओं की मनमानी संगठन पर हावी,कांग्रेस को अब राहुल भी नहीं बचा सकते !
भोपाल ,28 जनवरी (इ खबरटुडे/चंद्र मोहन भगत )। राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के बाद कांग्रेस की अच्छी शुरुआत होते ही मध्यप्रदेश कांग्रेस संगठन द्वारा की गई एक शहर अध्यक्ष की घोषणा को आत्महत्या करनी पड़ी। माना जा रहा था कि भारत जोड़ो यात्रा से संगठन मजबूत हो जाएगा इस सच को अब सपना इसलिए माना जा रहा है कि कमलनाथ के प्रदेश कांग्रेस संगठन ने ही नए युवा पदाधिकारी अरविंद बागड़ी को शहर कांग्रेस अध्यक्ष घोषित किया था । यह आदेश 24 घंटे भी नहीं जी पाया कि इस नियुक्ति आदेश को आत्महत्या करना पड गई ।
इस नियुक्ति आदेश में अरविंद बागड़ी का नाम घोषित होते ही कांग्रेस का नव युवा वर्ग उत्साहित था कि कांग्रेस संगठन अब नए युवा कार्यकर्ताओं पर ध्यान दे रहा है। 24 घंटे भी पूरे नहीं हुए कि कमलनाथ द्वारा घोषित अरविंद बागड़ी का नाम वापस रोककर विनय बाकलीवाल को ही शहर अध्यक्ष बने रहने का अधिकार मिल गया अगले आदेश होने तक। ऐसे विसंगत हालात कांग्रेस संगठन के ही हो सकते हैं कि प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ जिस नाम की घोषणा करें उसे प्रदेश प्रभारी जेपी अग्रवाल ने रोक दिया है । ऐसा और भी घोषित नाम पदाधिकारियों के साथ भी हो सकता है। क्योंकि राहुल गांधी चाहे देश भर की सड़कें नाप कर अभिवादन कर कांग्रेस के साथ नागरिकों बेरोजगार युवाओं को जोड़ें पर कांग्रेस संगठन में लोहे की जंग की तरह चिपके हुए मठाधीश किसी भी हालत में कांग्रेस संगठन को युवा और ऊर्जावान होने नहीं देंगे ।
इसी का ताजा उदाहरण इंदौर शहर अध्यक्ष की घोषणा होना और निरस्त होना है। बहुत ही दुर्भाग्य की बात है कि जिस मरणासन्न कांग्रेस को संजीवनी फूंकने के लिए जेड प्लस सुरक्षा वाले राहुल गांधी को अपने बंगले से बाहर भी सुरक्षा कवच के बगैर जाने की अनुमति नहीं थी, देश की सड़कों पर निकले और अभिवादन अनुनय विनय मुलाकात कर जनसमर्थन बटोर कर कांग्रेस की झोली भर दी। इसे सहेज के रखना तो दूर मठाधीशों की कार्यप्रणाली के कारण बचे खुचे कार्यकर्ता भी कांग्रेस से दूर होते जा रहे हैं। कमजोर संगठकों के कारण राहुल की मेहनत के बाद भी कांग्रेसका कमजोर होते रहना बरकरार है।
आज भी क्षत्रप नेताओं की मनमानी संगठन पर हावी है जब तक छात्र नेताओं कि संगठन में दखलअंदाजी बंद नहीं की जाएगी कांग्रेस संगठन को ऐसे ही अपने निर्णय बार-बार बदलना पड़ेंगे । अभी मात्र 64 जिला शहर अध्यक्षों की घोषणा हुई है इससे आधे अभी बाकी है। इंदौर शहर के घोषित अध्यक्ष का नाम रोक प्रदेश संगठन ने अपना डर उजागर कर दिया है। यह कांग्रेस के उस प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ का हश्र है जिसने हैकड़ी में कह दिया था पूर्व कांग्रेसी नेता ज्योतिराज सिंधिया के लिए की सड़क पर उतरना चाहे तो उतर जाएं तब भी सिंधिया ने ही इनको मुख्यमंत्री की कुर्सी से उतार दिया था। नुकसान कांग्रेस का हुआ था। इनकी हेकड़ी के कारण और अब तो जिलों के क्षत्रप नेता भी ईनके निर्णयों को दादागिरी से इन्हीं से खारिज करवा रहे हैं ।
दर्जन से अधिक जिलों के अध्यक्षों की घोषणा बाकी है देखते हैं प्रदेश प्रमुख कितने युवाओं को जिम्मेदारी देते हैं या क्षत्रप नेताओं की बगावत से डर समझौता करते हैं । जैसे इंदौर शहर अध्यक्ष के लिए अपना आदेश रोक कर किया है। यही डर और सांगठनिक अक्षमता को कमलनाथ के प्रतिस्पर्धी और विपक्षी भाजपाई निश्चित ही विधानसभा चुनाव में भुनाएंगे । जनमानस तो बदलाव के पक्ष में इशारा कर चुका है पर कांग्रेस के प्रदेश संगठन का क्षत्रप पदाधिकारियों के सामने घुटने टेक देना जनमानस पर उल्टा असर छोड़ेगा। जो विकल्प भाजपा में तलाशेगा क्योंकि अभी प्रदेश में आप या अन्य किसी पार्टी का वजूद स्थापित नहीं हुआ है।