Objection : विधि महाविद्यालय में आधार की अनिवार्यता समाप्त करने के लिए छात्र ने प्रस्तुत की आपत्ति,सुप्रीम कोर्ट के फैसले का दिया हवाला
रतलाम,26 दिसम्बर (इ खबरटुडे)। शहर के डा. कैलास नाथ काटजू विधि महाविद्यालय के एक छात्र ने सुप्रीम कोर्ट के निर्णय का हवाला देते हुए कालेज द्वारा छात्रों से आधार कार्ड मांगे जाने पर आपत्ति दर्ज कराई है। छात्र का कहना है कि निजी संस्था द्वारा आधार कार्ड मांगा जाना छात्र की निजता का उल्लंघन है।
एलएलएम के छात्र और अधिवक्ता मंथन मूसले ने ला कालेज चलाने वाली संस्था रतलाम एजुकेशन सोसायटी के सचिव और कालेज प्राचार्य को आवेदन देकर कहा है कि कालेज प्रशासन द्वारा छात्रों से मांगे जा रहे आधार पर तुरंत रोक लगाई जाए।
मंथन मुसले ने वर्ष 2017 में सर्वोच्च न्यायालय द्वारा “के. एस. पुत्तस्वामी बनाम भारत संघ” (K.S. Puttaswamy vs Union of India) मामले में दिए गए निर्णय का उल्लेख करते हुए कहा है कि इस निर्णय में “निजता के अधिकार” को मौलिक अधिकार के रूप में मान्यता दी गई है, जो भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अंतर्गत आता है।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने निर्णय में यह स्पष्ट किया है कि निजी संस्थाएं आधार की मांग नहीं कर सकतीं। इसी निर्णय में सर्वोच्च न्यायालय ने आधार अधिनियम की धारा 57 को असंवैधानिक ठहराया, जो निजी संस्थाओं को आधार नंबर मांगने का अधिकार देती थी। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आधार की अनिवार्यता केवल उन्हीं मामलों में लागू हो सकती है, जहां यह सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी या कल्याणकारी योजनाओं के लिए जरूरी हो। अन्यथा, यह निजता के अधिकार का उल्लंघन होगा।
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि आधार का दायरा सीमित है। निजी संस्थाओं जैसे कि शैक्षणिक संस्थानों को आधार कार्ड की मांग करने का अधिकार नहीं है, क्योंकि यह छात्रों की व्यक्तिगत जानकारी को अनुचित रूप से प्रभावित कर सकता है। महाविद्यालय द्वारा छात्रों से आधार कार्ड की मांग करना न केवल उक्त न्यायिक निर्णय का उल्लंघन है, बल्कि यह हमारे मौलिक अधिकारों का भी हनन करता है।
मंथन मुसले ने महाविद्यालय द्वारा आधार की मांग को तुरंत प्रभाव से रोकने की मांग करते हुए कहा है कि यदि किसी प्रकार के पहचान पत्र की आवश्यकता है, तो अन्य वैकल्पिक पहचान पत्र (जैसे कि पैन कार्ड, वोटर आईडी, या कॉलेज आईडी) को स्वीकार किया जाए।