इराक में श्रीलंका जैसा नजारा, राष्ट्रपति भवन में घुसे प्रदर्शनकारी; पूल में मारी डुबकियां
बगदाद,30अगस्त(इ खबर टुडे)।श्रीलंका के बाद अब इराक में राजनीतिक अस्थिरता की आशंका है। यहां एक प्रभावशाली शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने राजनीति से संन्यास की घोषणा की तो उनके समर्थक उग्र हो गए। राजधानी बगदाद ने भारी भीड़ सड़कों पर उतर आई। देखते ही देखते हालात बेकाबू हो गए। भीड़ को कंट्रोल करने के लिए पुलिस ने पहले आंसू गैस छोड़ी, और बाद में फायरिंग करना पड़ी। अब तक 8 लोगों के मारे जाने की सूचना है। वहीं बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारी घायल भी हुए हैं। इस बीच, बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति भवन पर कब्जा कर लिया। श्रीलंका की तरह यहां भी लोग राष्ट्रपति भवन में मस्ती करते नजर आए। बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने स्वीमिंग पूल में डूबकी लगाई।
धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर ने सोमवार को कहा कि वह राजनीति से दूर हो सकते हैं। इसके बाद मौलवी के समर्थकों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने इसके विरोध में राष्ट्रपति भवन और अन्य सरकारी दफ्तरों पर धावा बोल दिया। सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष में कम से कम आठ लोगों की जान चली गई और दर्जनों घायल हो गए। आशंका जताई जा रही है कि हिंसा का यह दौर और भी लंबा खींच सकता है। बिगड़ते हालात को देखते हुए पड़ोसी देश ईरान ने इराक के लिए अपनी सभी उड़ानें रद्द कर दीं और सीमा पर सभी प्रवेश द्वार बंद कर दिए।
पिछले साल से चल रहा सियासी गतिरोध
इराक की सरकार पिछले साल अक्टूबर में हुए संसदीय चुनावों के बाद से गतिरोध का सामना कर रही है। चुनाव में अल-सदर की पार्टी को सबसे अधिक सीटें मिली थी, लेकिन बहुमत से दूर रह गई थी। उन्होंने सरकार बनाने के लिए ईरानी शिया प्रतिद्वंद्वियों के साथ बातचीत करने से इनकार कर दिया।
जुलाई में, अल-सदर के समर्थक अपने प्रतिद्वंद्वी को सरकार बनाने से रोकने के लिए संसद में घुस गए। तब से वे संसद भवन के बाहर धरने पर बैठे हैं। अल-सदर के गुट ने भी संसद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे की घोषणा होते ही उनके समर्थक भड़क गए और सरकारी संपत्ति को निशाना बनाना शुरू कर दिया। सेना ने स्थानीय समयानुसार शाम सात बजे शहर में कर्फ्यू की घोषणा की। तनाव कम करने और टकराव से बचने के लिए यह कदम उठाया गया है। हालांकि, उग्र भीड़ ने तोड़फोड़ करना जारी रखा। सुरक्षा बल सरकारी संस्थानों, निजी और सार्वजनिक संपत्ति और दूसरे देशों के दूतावासों की सुरक्षा में लगे हुए थे।