Dismissal From Service : भ्रष्टाचार के आरोप में निलम्बन के बाद भी नहीं माना आरक्षक,आत्मदाह की धमकी दी,एसपी ने किया सेवा से बर्खास्त(देखिए लाइव वीडियो)
रतलाम,23 जुलाई (इ खबरटुडे)। भ्रष्टाचार के आरोप में तीन दिन पूर्व निलम्बित किए गए पुलिस आरक्षक को घोर अनुशासनहीनता के चलते एसपी गौरव तिवारी ने सेवा से पृथक कर दिया है। निलम्बित आरक्षक ने निलम्बन आदेश मिलने के बाद पुलिस के व्हाट्सएप ग्र्रुप में प्रभारी मंत्री के सामने आत्मदाह करने की धमकी दी थी।
अधिकारिक जानकारी के अनुसार,सरवन निवासी आवेदक बंशीलाल गूर्जर ने विगत मंगलवार को जनसुनवाई में उपस्थिति होकर सरवन में पदस्थ आरक्षक रतन कोल्हे के विरुद्ध भ्रष्टाचार की शिकायत प्रस्तुत की थी। आवेदन ने आरक्षक रतन कोल्हे द्वारा रिश्वत मांगने के लिए की गई मोबाइल काल की रेकार्डिंग भी शिकायत के साथ प्रस्तुत की थी। रेकार्डिंग के मुताबिक रतन कोल्हे ने आवेदक से पहले शराब की दो बाटले मांगी। इसके बाद आरक्षक ने अपने मकान का किराया भरने के लिए भी बंशीलाल पर दबाव बनाया और साथ ही एक मन्दिर निर्माण के लिए चन्दा देने का भी दबाव बनाया। आरक्षक रतन कोल्हे ने आवेदक बंशीलाल को यह धमकी भी दी थी कि यदि उसने रिश्वत की रकम ना दी तो वह उसे एससीएसटी एक्ट के झूठे प्रकरण में फंसा देगा।
इस शिकायत की जांच के बाद एसपी गौरव तिवारी ने आरक्षक रतन कोल्हे को तत्काल प्रभाव से निलम्बित कर दिया। निलम्बन की जानकारी मिलने के बाद आरक्षक रतन कोल्हे ने औद्योगिक क्षेत्र पुलिस थाने के व्हाट्सएप ग्र्रुप पर रात करीब साढे नौ बजे एक मैसेज पोस्ट किया,जिसमें उसने लिखा था कि वह एसपी गौरव तिवारी के आदेश के खिलाफ प्रभारी मंत्री के सामने आत्मदाह करेगा। आरक्षक रतन कोल्हे द्वारा आत्मदाह का मैसेज पोस्ट किए जाने के बाद उसे ढूंढा गया,लेकिन उसका मोबाइल स्विच आफ हो गया था और वह ढूंढे से भी कहीं मिल नहीं रहा था। पुलिसकर्मियों के लापता हो चुके निलम्बित आरक्षक का पता अगले दिन सुबह मिल पाया। आरक्षक द्वारा एसपी के आदेश के विरुद्ध आत्मदाह की धमकी देने को गंभीर कदाचरण और अनुशासनहीनता मानते हुए एसपी गौरव तिवारी ने उसे सेवा से पृथक करने सम्बन्धी नोटिस भी उसे प्रेषित किया। आरक्षक ने काफी मशक्कत के बाद नोटिस लिया,लेकिन उसका स्पष्टीकरण को संतोषजनक नहीं मानते हुए एसपी गौरव तिवारी ने उसे सेवा से पृथक करने का आदेश जारी कर दिया। एसपी ने अपने आदेश में कहा है कि निलम्बित आरक्षक ने अपने कृत्य से पुलिस के प्रति आम जनता में जो विश्वास है उसे आहत करते हुए पुलिस के सम्मान व छबि को धूमिल किया है।