RSS की बदली सोच, मुस्लिमों और ईसाईयों को भी बना रहा हुनरमंद
रांची,10जनवरी(इ खबरटुडे)।आरएसएस को सांप्रदायिक और हिंदूवादी संगठन बताने वालों को शायद अब अपनी सोच बदलनी पड़ेगी. झारखंड में आरएसएस और उससे जुड़े आनुषांगिक संगठनों ने एक ऐसा अनुकरणीय व सराहनीय काम किया है जो अब धार्मिक कट्टरवाद की आरएसएस की छवि को झुठलाते हुए सर्वधर्म संभाव का संदेश दे रहा है.
ऐसे अभियान सीधे इन्हें रोजगार से जोड़ रहे हैं
रांची आरएसएस द्वारा यहां शुरू किया गया तकनीकी प्रशिक्षण कार्य मुस्लिमों और ईसाईयों के बीच बेहद लोकप्रिय हो रहा है. संघ के विभिन्न सेवा प्रकल्पों के माध्यम से चल रहे ऐसे अभियान सीधे इन्हें रोजगार से जोड़ रहे हैं.
इस अभियान का व्यापक असर राजधानी से लगभग 50 किमी दूर राज्य के बड़े विद्युत उत्पादक संयंत्र पतरातू में दिख रहा है. यहां का हफुआ गांव कभी अपराध के लिए बदनाम था. मुस्लिम बहुल इस गांव के लोगों के पास रोजगार का कोई साधन नहीं था. इसलिए मुस्लिम युवक अपराध के दलदल में फंसकर अपना जीवन तबाह कर लेते थे.
300 से ज्यादा युवकों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बना दिया
रांची आरएसएस के क्षेत्रीय संघचालक सह राष्ट्रीय सेवा भारती के अध्यक्ष सिद्धिनाथ सिंह ने अभियान के तहत इस गांव के 300 से ज्यादा युवकों को तकनीकी प्रशिक्षण देकर हुनरमंद बना दिया. अब गांव में पुलिस नहीं आती. सारे युवक काम-धंधे में लगे हैं. कई युवक विदेशों में नौकरी तक पा गए.
मुस्लिम और ईसाई युवक-युवतियों को आर्थिक स्वावलंबन का पाठ पढ़ा रही हैं
कुछ ऐसा ही प्रयास राजधानी के साथ ही औद्योगिक शहर जमशेदपुर में चल रहा है. इन केंद्रों पर कौशल विकास प्रशिक्षण के साथ-साथ युवकों को भारतीय संस्कृति और संस्कार से भी परिचित कराया जा रहा है. मुस्लिम-ईसाई तबके के युवक-युवतियां गायत्री मंत्र का जाप करते हैं. इन समुदायों से कई प्रशिक्षक भी तैयार हो चुके हैं जो राष्ट्रीय सेवा भारती से जुडक़र काम कर रहे हैं. रांची में निखत परवीन, शहनवाज परवीन, सरिता कच्छप, जमशेदपुर में अंजू कुजूर, सिंचित आइंद सरीखी कई महिला प्रशिक्षक हैं जो अपने केंद्र में सैकड़ों मुस्लिम और ईसाई युवक-युवतियों को आर्थिक स्वावलंबन का पाठ पढ़ा रही हैं.
रजानिसार अंसारी की इच्छा आइआइटी क्रैक कर अपने गांव हफुआ का पहला इंजीनियर बनने की है. अब तक की पढ़ाई में संघ के क्षेत्रीय संघचालक का बड़ा योगदान रहा है. जानिसार उसी हफुआ का रहने वाला है जहां राष्ट्रीय सेवा भारती के प्रकल्प कल्पतरू ने सफलता के झंडे गाड़े हैं. जानिसार संघ के रोजमर्रा के कार्यक्रमों में सक्रियता से भाग लेता है. सरस्वती शिशु विद्या मंदिर का वह मेघावी छात्र है. वह संघ के क्षेत्रीय संघ चालक सिद्धिनाथ सिंह से खासा प्रभावित है. बड़ा होकर वह उनके काम को आगे बढ़ाना चाहता है. कल्पतरू प्रोजेक्ट से जुडक़र प्रशिक्षण लेने वाले तसलीम अंसारी ट्रेंड फीटर हैं. अफजल अली ने वेल्डर की ट्रेनिंग ली. अब वह गुजरात में अडानी समूह में काम करते हैं.
बदलाव के वाहक हैं संघचालक सिंह
आरएसएस के क्षेत्रीय संघचालक सिद्धिनाथ सिंह स्वयं एक इंजीनियर हैं. वह कहते हैं कि मुस्लिम युवकों में गजब की लीडरशीप है. मैं जब पहली बार हफुआ आकर उनसे मिला तो एक चमक देखी. सिंह कहते हैं कि हिंदू-मुस्लिम जब एक साथ हो जाएं तो एक बड़ी शक्ति बन जाते हैं. एक बार होली के समय जमशेदपुर के आधुनिक कंपनी का ब्यालर खराब हो गया था. ज्यादातर हिंदू तकनीशियन छुट्टी पर थे. सारे मुस्लिम तकनीशियन रातोंरात गए और ब्यालर ठीक कर वापस आ गए. ये हमारे लिए वरदान के समान हैं.