October 13, 2024

पुस्तक शोध ही नहीं इतिहास का बोध भी कराती है- दशोत्तर ;“भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमिका”पुस्तक का विमोचन

रतलाम,02जनवरी(इ खबर टुडे)। स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अंतर्गत शासकीय कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय रतलाम में राजनीति विज्ञान विभाग की प्राध्यापक डॉ.मंगलेश्वरी जोशी द्वारा लिखित “भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमिका” पुस्तक का विमोचन किया गया। समीक्षक व मुख्य अतिथि के रूप में रतलाम के जाने-माने साहित्यकार आशीष दशोत्तर एवं विशेष शास्त्रीय गायक अतिथि कलाकार विवेक कर्महे जबलपुर रहे। अध्यक्षता प्राचार्य डॉ. आर के कटारे ने की। अतिथियों के साथ डॉ. सुरेश कटारिया, डॉ. अनिल जैन, प्रोफ़ेसर सुषमा कटारे मंचासीन थे। पुस्तक का विमोचन मंचासीन अतिथियों ने किया।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि साहित्यकार आशीष दशोत्तर ने पुस्तक की सारगर्भित समीक्षा प्रस्तुत करते हुए कहा कि परतंत्रता की पीड़ा से आज की पीढ़ी को परिचित करवाना जरूरी है। उन्होंने कहा कि किसी भी देश की अस्मिता और अस्तित्व उसकी स्वतंत्रता के साथ ही जुड़ा है। परतंत्र देश की अपनी सीमाएं होती है। विसंगतियां होती है मजबूरियां भी परतंत्र भारत और स्वतंत्र भारत के अंतर को वही समझ सकता है जिसमें इन दोनों परिस्थितियों में सांस ली हो। आज की पीढ़ी जो परतंत्रता की पीड़ा से अनजान है। उनके सामने उन तथ्यों विचारों प्रसंगों को सामने लाना आवश्यक है। जिनके माध्यम से वे जान सके कि भारत देश को आजादी कितने लंबे संघर्ष के बाद प्राप्त हुई नई पीढ़ी जब तक अपने अतीत से परिचित नहीं होगी ना तो उसे वर्तमान का अभाव हो सकेगा। न हीं वह अपने भविष्य को गढ़ सकेगी। इस लिहाज से यहां पुस्तक समझ के नए द्वार खोलती है। यह पुस्तक इतिहास का बोध कराती है। मुख्य रूप से पूर्व निमाड़ क्षेत्र में अट्ठारह सौ सत्तावन के स्वाधीनता संघर्ष के उपरांत उपजी परिस्थितियों का आकलन करने के उद्देश्य से जोशी ने इस कार्य को करने का निश्चय किया हमारे देश के स्वाधीनता संग्राम में अनेक महान नेताओं ने योगदान दिया है जिनके नेतृत्व को सफल बनाने में अनेक आंदोलनकारी हुए जिन्होंने उसे दृढ़ता प्रदान करने में प्रमुख भूमिका निभाई ऐसे मूक एवं कर्मठ व्यक्तियों में भारत को आजादी प्रदान कराने में अपने त्याग व देश प्रेम द्वारा इस महान कार्य को पूर्णता दी है जिसे भुलाया नहीं जा सकता स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान अनिवार्य ही नहीं अपितु चिंतन के लिए आवश्यक भी है।

डॉ. आर के कटारे, प्राचार्य, शासकीय कन्या महाविद्यालय रतलाम ने अवसर पर कहा कि अमृत महोत्सव में पुस्तक का विमोचन प्रासंगिक है।भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन के आंदोलनकारियों एवं उनके कार्यों को अमृत महोत्सव में याद किया जाना और इस विषय पर पुस्तक का विमोचन होना प्रासंगिक है।
इस अवसर पर जबलपुर से आए शास्त्रीय गायक विवेक कर्महे ने सुरों की जादूगरी को प्रस्तुत करते हुए राग भीमपलासी मैं बंदिश, “बाजे रे मुरलिया” भजन एवं “याद पिया की आए “ठुमरी प्रस्तुत की। पुस्तक की लेखिका डॉ मंगलेश्वरी जोशी ने पुस्तक के कलेवर उद्देश्य प्रेरणा स्रोत अनुभव और पुस्तक का सार प्रस्तुत किया।

आयोजन में मौजूद अध्यापक

सर्वप्रथम मां सरस्वती का पूजन व संगीत विभाग की छात्राओं द्वारा सरस्वती वंदना से कार्यक्रम प्रारंभ हुआ। अतिथियों का स्वागत डॉ. जोशी, डॉ. अनिल जैन, डॉ. सुरेश कटारिया, डॉ. माणिक डांगे, डॉ. पुष्पा कपूर. डॉ. बी वर्षा, डॉ. अनामिका सारस्वत, डॉ. स्नेहा पंडित एवं छात्राओं की ओर से कुमारी प्रिया उपाध्याय, कुमारी अनिता मुनिया, सोहम जैन ने किया। संचालन डॉ अनामिका सारस्वत ने किया। आभार डॉ. जोशी ने माना। कार्यक्रम में साहित्य संगीत प्रेमी उपस्थित थे।

You may have missed