May 21, 2024

राग रतलामी- ज्यादा दिन नहीं टिकेगा धोखेबाज जमीनखोर का अभिमान,जल्दी ही होगा पूरा हिसाब

-तुषार कोठारी

रतलाम। दुनिया में कई तरह के खोर होते है। जैसे सूदखोर,रिश्वतखोर,हरामखोर,आदमखोर, आदि आदि। इनमें हाल के जमाने में एक नई किस्म जुडी है और वो है जमीनखोर। इस किस्म के बन्दे जमीनों को देखते ही लार टपकाने लगते है और अगर जमीन सरकारी हो तो उनकी लार घुटनों तक टपकने लगती है। इस किस्म के लोग नाम चाहे जो धर ले,उनकी फितरत पर कोई फर्क नहीं पडता। जैसे कोई खुद का नाम राजाओं के इन्द्र जैसा रख ले,लेकिन उसकी फितरत फटीचरों वाली ही रहती है। वो ना तो राजाओं जैसी शाइस्तगी दिखा सकता है और ना इन्द्र जैसी महानता। जमीनखोरी की उसकी फितरत बदलती नहीं। जमीनखोरी के धन्धे में लाखों करोडों बना लेने के बावजूद धोखेबाजी की उसकी नीयत नहीं बदलती। बोधि वृक्ष के नीचे बैठकर सिद्धार्थ को बुद्धत्व प्राप्त हो गया था,लेकिन जमीनखोरी करने वालों की फितरत बोधि के नाम से भी नहीं बदलती।
सरकारी जमीनों को हडपने के लिए उन्हे चाहे जितनी धोखाधडी और बेईमानी करना पडे,वे बेहिचक करते जाते है। जानकारों का कहना है कि धोखाधडी और जालसाजी की फितरत एक दिन में नहीं बनती। वो तो शुरुआत से ही बनी होती है।
शहर के सबसे काईयां एक जमीनखोर की कहानी कुछ इसी तरह की है। किसी जमाने में बिजली के सामान का धन्धा करते करते उसे शहर सरकार को नकली सामान सप्लाय करने का मौका मिल गया। बस फिर क्या था। देखते ही देखते वो बडा आदमी बनने लगा। उसने नकली सामान सप्लाय किया और फिर उसे जमीनखोरी की लत लग गई। जमीनखोरी की इस लत के चलते उसने कई लोगों के साथ धोखाधडी की। किसी को सडक़ पर प्लाट बेच दिया,तो किसी के प्लाट को दो तीन दूसरे लोगों को बेच डाला। कहीं बगीचों की जमीनेंं बेच खाई,तो कहीं गरीबों के प्लाट हजम कर गया। इसके साथ साथ जब भी मौका मिला सरकारी जमीनों को हडपता गया। शहर में उसके सताए लोगों की तादाद भी बढती जा रही है। इन्ही सताए हुए लोगों में से कुछ ने कई बार उसे दबोचने की कोशिशें की । सरकारी अमले ने भी कई बार उस पर हाथ डाले। धोखाधडी और जालसाजी के कई मामले भी दर्ज हुए,लेकिन सरकारी अमले में फैली रिश्वतखोरी को हथियार बनाकर वह अब तक बचता रहा। रिश्वतखोर जमीनखोर की मदद करते रहे।
खुद को राजाओं का इन्द्र जैसा समझने वाले उस जमीनखोर का अभिमान इतना बढ गया कि वह ना सिर्फ खुद को इज्जतजार समझने लगा बल्कि उसकी चोरी चकारी उजागर करने वालों को कोर्ट कचहरी में घसीटने की धमकियां भी देने लगा। लोग पूछ रहे है कि मानहानि तो उसकी होती है,जिसका कोई मान हो,जिसने अपनी पूरी जिन्दगी धोखाधडी और जालसाजी करके बनाई हो,उसका कैसा मान?
बहरहाल, इस संसार में किसी का भी अभिमान बाकी नहीं रह सका है। दस सिरों वाले रावण जैसे का अंहकार बाकी नहीं बचा, तो किसी टटपूंजिए जमीनखोर के अंहकार की बिसात ही क्या? शहर और शहर के बाहर जिन जिन लोगों की मेहनत की कमाई जमीनखोरी की भेंट चढी है,उनकी बददुआएं जल्दी ही असर दिखाएगी। उन्हे न्याय मिलेगा और जमीनखोरी की काली कमाई से खुद को बाहैसियत दिखाने वाले की असली हैसियत दुनिया के सामने भी आएगी।

वैक्सीन का इंतजार………

पूरा साल गुजर गया। कोरोना के डर का साया पूरे साल भर मण्डराता रहा। लेकिन अब इस डर के खत्म होने का समय पास आता जा रहा है। देश भर के साथ साथ रतलाम में भी ड्रायरन सफलता के साथ पूरा हो चुका है। बस अब वैक्सीन का इंतजार है। जैसे ही कोरोना का टीका लगना शुरु होगा,कोरोना के नाम पर चल रहा डर हवा होने लगेगा। वैसे भी वैक्सीन के आने से पहले ही कोरोना पाजिटिव मरीजों की तादाद एक अंक तक पंहुच चुकी है। उम्मीद की जा सकती है कि वैक्सीन लगना शुरु होने के बाद कोरोना पाजिटिव मरीजों के मिलने का सिलसिला भी थम जाएगा।

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