May 21, 2024

Raag Ratlami Land Broker : इंतजामिया के एक झटके से जमीन दलाल का जलाल हुआ नदारद,महंगे साबित होंगे आने वाले दिन

-तुषार कोठारी

रतलाम। दुनिया भर की चोरी चकारी बेईमानी और घोटाले करके शहर का बडा कालोनाईजर बना जमीन का दलाल अब उलझने लगा है। जिला इंतजामियां के नए साहब ने ऐतिहासिक धरोहर लोकेन्द्र भवन के स्वरुप को बिगाडने की कोशिशों पर रोक लगवा दी है। इस एक झटके ने जमीन के दलाल का जलाल गायब कर दिया है। दलाल के लिए आने वाले दिन महंगे साबित हो सकते है।

दलाल की पूरी कहानी ही चोरी चकारी की रही है। किसी जमाने में नगर निगम को नकली सामान सप्लाय करके इसने मोटा माल बनाया और फिर जमीनों की जादुगरी में जुट गया। सरकारी नियम कायदों को ताक पर रखना,कालोनी के बगीचे हो,या साथ में लगी सरकारी जमीन। ऐसी तमाम जमीनों को बेखौफ बैहिचक बेच देना। ये सब इस दलाल की आदतों में शुमार हो गया।

बीच बीच में जब कभी फंसने की नौबत आई,तो लेन देन से या किसी और तरह की कलाकारी से दलाल बच कर निकल जाता रहा। यही वजह थी कि धीरे धीरे उसका दुस्साहस बढता ही चला गया। उसे लगने लगा कि अब कोई कायदा कानून उसे उलझा नहीं सकता। यह गलतफहमी पालने के पीछे उसकी कई सफलताएं थी। लोकेन्द्र भवन की सरकारी जमीन बेची। धोखाधडी की एफआईआर भी हो गई। लेकिन भारी लेनदेन के चलते खात्मा हो गया। रिद्धी सिद्धी के मामले मेे एफआईआर हुई,उसे भी रफा दफा करवा लिया। स्कूल के नाम पर फर्जी संस्था को जमीन आवंटन कराया,इस मामले में भोपाल वालों ने एफआईआर दर्ज की,तो जमानत मिल गई। अब जो कलाकार इतने सारे कारनामो को अंजाम दे चुका हो,उसे गलतफहमी क्यो ना होगी?

बस इसी गलतफहमी में दलाल ने बडी अदलिया के फैसले को भी हल्के से ले लिया और अदलिया के फैसले की आड में जालसाजी करके आखरी महाराजा(लोकेन्द्र सिंह) के नाम वाली ईमारत हडप ली। लेकिन कागज ना तो मरते है ना उनका असर खत्म होता है। कागजों में सारी जालसाजी साफ नजर आती है। दलाल की शिकायत हुई तो पोल खुली कि दलाल ने बडी अदलिया के फैसले की आड में जालसाजी कर डाली है। दलाल की शिकायतें तो कई सारी है। जमीन दलाल ने जितनी अपनी जमीनें बेची होगी उससे ज्यादा तो सरकारी जमीनों को वह बेच चुका होगा। धीरे धीरे मामलें खुल रहे है। रेरा ने भी दलाल की एक फर्म को ब्लेक लिस्ट कर दिया है। इंतजामिया ने भी दलाल के कारनामों की जांच का मन बना लिया है। दलाल के कारनामों की परतें खुलेगी तो कई सारे राज फाश होंगे। तब पता चलेगा कि खुद को प्रतिष्ठित बताने वाला दलाल चोरी चकारी करने वाला एक घटिया अपराधी से ज्यादा कुछ नहींं है।

मजदूरों के शोषण का नया ठिकाना…

सोने के धन्धे में शहर की सबसे बडी फर्म बनने के बाद इस फर्म ने बडी कंपनी बनाकर देश के कई शहरों में अपने शोरुम खोल दिए। सोने की शुद्धता के मामले में रतलाम की पुरानी प्रतिष्ठा रही है। इसलिए रतलाम की प्रतिष्ठा का फायदा भी इस फर्म को मिला। धन्धा और भी चमक गया। लेकिन कहते है कि परिस्थितियां बदल भी जाए तो भी इन्सान की फितरत नहीं बदलती। कंपनी के एक शोरुम पर नकली हालमार्क लगाकर सोना बेचने के मामले भी सामने आए। लेकिन कहानी कुछ और है। सोने की इसी कंपनी ने देखते ही देखते शहर के औद्योगिक क्षेत्र को अपने कब्जे में ले लिया। कई बन्द पडी फैक्ट्रियों को खरीद कर कंपनी ने वायर बनाने की और लोहे की नई फैक्ट्रियां चालू कर दी। इंसानी फितरत तब भी नहीं बदली। कंपनी की इस फैक्ट्रियों में मजदूरों पर अत्याचार,ओव्हर टाइम ना देना,सुरक्षा के इंतजाम ना करना जैसी कहानियां बनती रही। इन दिनों इन फैक्ट्रियों के मजदूर लगातार आन्दोलन कर रहे है। मजदूरों की शिकायत के चलते उज्जैन के अफसर इन वायर फैक्ट्रियों की जांच भी करने आए। जानने वालों का कहना है कि डीपी नाम के इन धन्धों में मजदूरों का शोषण नई बात नहीं है। पहले सोने के गहने बनाने वाले कारीगर अत्याचार सहते थे,अब फैक्ट्रियों के मजदूर अत्याचार झेल रहे हैैं। इसमें एक और नई कहानी जुड रही है। बरसों से बन्द पडे सज्जन केमिकल पर डीपी की नजर पड गई है। इस उद्योग में बरसों से जहरीला रासायनिक कचरा बन्द है। इसे हटाए बगैर ही सज्जन केमिकल का सौदा हो रहा है। फैक्ट्रियों की देखरेख करने वाले महकमे के अफसरों को अपने महकमे के नुकसान की कोई चिन्ता नहीं है,इसलिए वे आंखे मून्दे बैठे है। जल्दी ही मजदूरों पर अत्याचार का एक नया ठिकाना सामने आ सकता है।

टोल की सरकारी- लूट जनता का गुस्सा

बेशर्मी से सरकारी लूट ऐसा का उदाहरण इससे पहले दिग्गी राजा के जमाने में दिखाई देता था,जब सातरुण्डा से रतलाम पंहुचने में एक से डेढ घण्टा लगता था और बिना सडक़ वाले धूल भरे गड्ढों से निकल कर रतलाम पंहुचने वालों को टोल भी चुकाना पडता था। ठीक वैसी ही कहानी इन दिनों तीतरी वाले टोल पर चल रही है। सडक़ है नहीं और टोल दादागिरी से वसूला जा रहा है। यहां तक कि गुजरात से आए परिवार के साथ मारपीट भी की गई। फूल छाप पार्टी के टिकट पर रतलाम ग्र्रामीण क्षेत्र के नेता बने पूर्व मास्टर साहब तो मौनव्रत धारण करे बैठे है। लेकिन टोल की दादागिरी से जनता की नाराजगी अब रोजाना सामने आ रही है। शनिवार को गुजराती दम्पत्ति के साथ हुई मारपीट के बाद करणी सेना के कार्यकर्ताओं ने टोल पर पंहुचकर जब हंगामा मचाया,तब जाकर इंतजामिया के अफसर मौके पर पंहुचे। करणी सेना का प्रदर्शन मारपीट करने वालों की गिरफ्तारी के लिए था।ं अफसरों ने इस मामले में कार्यवाही का आश्वासन भी दे दिया। लेकिन टोल वसूली का मामला जस का तस है। इंतजामिया के अफसरों का कहना है कि टोल वसूली सरकार के आदेश से हो रही है। सरकार का आदेश बदलवाने की जिम्मेदारी फूल छाप के चुने हुए नेताओं पर है। फूल छाप के नेता सत्ता का मजा लूटने में व्यस्त है। उन्हे इससे कोई फर्क नहीं पडता कि जनता को लूटा जा रहा है।
वैसे इतना तय है कि सरकारी लूट इसी बेशर्मी से जारी रही और फूल छाप के चुने हुए नेता चुप्पी साधे बैठे रहे तो आने वाले वक्त में उनकी बिदाई जरुर पक्की हो जाएगी।

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