Raag Ratlami Drug Smuggling : हमारे इलाके में पनपने लगे ड्रग्स के बडे सौदागर,इनका पकडा जाना सबसे जरुरी/ शहर सरकार की मेहरबानी से नवरात्रि का मेला बना झमेला
-तुषार कोठारी
रतलाम। वर्दी वालों ने नशे की अब तक की सबसे बडी खेप बरामद की है। नए कप्तान के आने के बाद वर्दी वालों की मुस्तैदी बढी हुई नजर आने लगी है। कप्तान खुद मैदान में उतर कर काम कर रहे है,इसलिए नीचे वाले भी जमकर जोर लगा रहे है। हथियारों की बरामदगी भी बडी तादाद में हो रही है। कुल मिलाकर वर्दी वाले मुस्तैद है तो जरायम पेशा लोगों की शामत आई हुई है। इसके लिए वर्दी वालों के नए कप्तान उनकी टीम की तारीफ जरुरी है।
लेकिन एक कहानी इसके पीछे भी छुपी हुई है। नशा तस्करी और हथियारों के मामलों में जो पकडा रहे है,वे सारे के सारे जेहादी जाहिल निकले है। अभी महीने भर पहले ही शहर की सड़कों पर जेहादी जाहिलों ने पथराव की घटना को अंजाम दिया था। इस तरह की वारदातों में भी वे ही शामिल होते है,जिनका कोई ना कोई कनेक्शन नशे या हथियारों के धन्धे से होता है। ये सबसे ज्यादा चिन्तित करने वाली बात है।
नशे के कारोबार को रोकने में जुटे वर्दी वालों ने अभी करोडो की ड्रग बरामद की है। लेकिन इसमें भी नया पेंच सामने आया है। पहले ड्रग्स मुंबई से इस इलाके में लाए जाते थे। अब पता चला है कि ड्रग्स की सप्लाय ही रतलाम और इसके आस पास से हो रही है। इसका सीधा सा मतलब है कि नशे के बडे डान भी हमारे आस पास पनप चुके है,जो माल यहां बना रहे है और यहां से पूरे देश में अलग अलग जगहों पर भेज रहे हैैं। नशे के इन बडे सौदागरों को पकडना वर्दी वालों के लिए बडी चुनौती है।
पूरी दुनिया में नशा,हथियार और आतंकवाद की तिकडी काम करती है। नशे की काली कमाई ही आगे हथियारों की खरीद फरोख्त और फिर आतंकवाद को पालने पोसने का काम करती है। रतलाम जैसे शांत शहर में ये तीनों चीजें एक के बाद एक सामने आ रही है। नशे की बहुत बडी खेप मिल चुकी है। हथियार बरामद हो रहे है। जेहादी जाहिल भी सक्रिय होकर शांति भंग करने की फिराक में है। कोई बडी बात नहीं कि यहां वालों के कनेक्शन न सिर्फ देश के दूर दराज हिस्सों तक बल्कि विदेशों तक भी हो। ऐसे मेें सारी चीजों का पता लगाना ही सबसे ज्यादा जरुरी है।
नशे की जो खेप वर्दी वालों ने बरामद की है.उसकी पूरी चैन अगर ढूंढ ली गई तो नशा,हथियार और आतंकवाद से जुडे कई सारे राज भी सामने आ जाएंगे। उम्मीद की जाना चाहिए कि ये खुलासे जल्दी ही होंगे। अगर ये खुलासे ना हुए तो तय मानिए कि शहर की शांति को कभी भी बरबाद हो सकती है।
नवरात्रि मेला बना झमेला
जैसी कि आशंका थी,शहर सरकार के कर्ता धर्ताओं की अकर्मण्यता का असर नवरात्रि के मेले पर साफ नजर आ रहा है। अपनी भïव्यता के लिए कभी पूरे प्रदेश में चर्चित रहने वाला नवरात्रि मेला शहर सरकार के उठपटांग तौर तरीकों के चलते सिमटने लगा है और अगर यही हाल रहा तो वह समय दूर नहीं जब नवरात्रि मेला इतिहास की चीज बन जाएगा।
नवरात्रि मेला नजदीक आ रहा था,लेकिन शहर सरकार के अफसरों ने समय रहते कालिका माता मन्दिर के सामने की मुख्य सड़क का काम शुरु नहीं किया था। काम तब जाकर शुरु किया गया,जब मेला बिलकुल सिर पर आ गया। नतीजा वही हुआ जो होना था। अब भी मन्दिर के पास सड़क खुदी पडी है। पाइप पडे हुए है। मिïट्टी के ढेर लगे है। कालिका माता के दर्शनों के लिए आने वाले श्रद्धालुओं को जमाने भर की तकलीफें झेलना पड रही है।
सिर्फ यही नहीं। नवरात्रि मेले के लिए दूर दूर से व्यवसायी आया करते थे,लेकिन अब मेले में दुकानें लगाने की जगह ही इतनी कम कर दी गई है कि नए तो ठीक पुराने व्यवसाईयों को भी जगह नहीं मिल पा रही है। शहर के ही नहीं आस पास के कई गांवों के लोग मेले का इंतजार किया करते थे,ताकि मेले में आने वाली नई नई चीजें खरीद सकें। लेकिन अब दुकानों की संख्या ही कम हो गई है। व्यवसाईयों को जगह नहीं मिल रही है,तो खरीददार क्या करेंगे? मेले में सजावटी चीजों के साथ साथ महिलाओं की पसन्दीदा चीजों की भी कई दुकानें लगा करती थी,लेकिन अब वे नदारद है।
अब मेले के नाम पर कालिका माता परिसर में स्थाई रुप से टिके हुए चाट पकौडी वाले ठेले ही बाकी रह गए है। मंच के सामने का पूरा इलाका दुकानों से खाली कर दिया गया है। पहले के सालों में उद्यान को सुरक्षित रखते हुए भी इस इलाके में दुकानें लगाई जाती थी,लेकिन इस बार उद्यान के नाम पर इस इलाके की तमाम दुकानें हटा दी गई है।
आम्बेडकर भवन के पास वाला झूलों का मेला सबसे ज्यादा आकर्षण का केन्द्र रहता है। लेकिन झूले वाले भी मैदान में फैले कीचड से काफी परेशान रहे। हांलाकि उन्होने जैसे तैसे झूले तो लगा लिए है,लेकिन शहर सरकार ने इसमें कोई मदद नहीं की। झूला परिसर में खानपान की दुकानें जरुर लगी है,लेकिन इस बार का मेला अब तक का सबसे कमजोर मेला कहा जा सकता है। मेले के मंचीय कार्यक्रम भी शहर में कोई असर नहीं दिखा पा रहे हैैं। तो कुल मिलाकर मेला लोगों के लिए झमेला ही साबित हो रहा है।