Raag Ratlami Cabinet Status : चार दिन की चांदनी साबित हुआ इन्दौरी आका के भरोसे मिला केबिनेट मंत्री दर्जा; पस्त पडी पंजा पार्टी को नुकसान पंहुचाएगी पप्पू की “पांव पांव” यात्रा
-तुषार कोठारी
रतलाम। इन्दौरी आका के भरोसे शहर के विकास की दुकान पर काबिज होने के साथ साथ केबिनेट मंत्री का दर्जा पा चुके नेताजी की हालत “पुन: मूषको भव” जैसी हो गई है। सूबे के नए मुखिया मोहन ने एक ही फरमान से सूबे के तमाम दर्जा प्राप्त मंत्रियों की छुट्टी कर दी। इन्दौरी आका के चेले की चार दिन की चांदनी इसी फरमान के साथ अंधेरी रात में बदल गई।
शहर के विकास की दुकान पर काबिज होने के बाद नेताजी फुलफार्म में आ गए थे। उन्हे लगने लगा था कि शहर की सियासत पर अब पूरी तरह से उन्ही का कब्जा रहेगा। विधानसभा चुनाव के पहले उनके इन्दौरी आका भी फुल फार्म में थे और फूलछाप पार्टी के राष्ट्रीय नेता थे। लेकिन विधानसभा चुनाव के पहले चली आंधी ने इन्दौरी आका को पहले तो राष्ट्रीय नेता से सीधे एक विधानसभा सीट का उम्मीदवार बनाया और चुनाव के नतीजे आने के बाद राष्ट्रीय नेता को सूबे का नेता बनना पडा। इतना ही नहीं उन्हे अपने से काफी जूनियर नेता के अण्डर में मंत्री बनने को तैयार होना पडा। जो कभी सूबे का मुखिया बनने का ख्वाब संजोये थे,उन्हे जुनियर मुखिया के नीचे काम करने के लिए राजी होना पडा।
जब आका का ये हश्र हुआ,तो चेले की बिसात क्या थी? भोपाल से जारी हुए एक ही फरमान ने चेले की राजनीति को तहस नहस कर दिया। इन्दौरी आका के चेले को जब केबिनेट दर्जा मिला था,तब चेले ने लटके झटके दिखाने में कोई कसर नहीं छोडी थी। मोदी जी का रतलाम आगमन हो या भगवान राम की प्राणप्रतिष्ठा, मंत्री दर्जा हासिल नेता ने शहर में बडे बडे होर्डिंग लगाए। शहर में ऐसा पहली बार हुआ कि शहर में लगाए गए होर्डिंग में रतलामी नेताओं के फोटो नदारद थे और इन्दौरी आका के बडे बडे फोटो लगे हुए थे। विकास की दुकान चलाने वाले मंत्री दर्जा प्राप्त नेताजी ने इन होर्डिंग्स के जरिये शहर के बडे नेताओं को सीधे सीधे यही संदेश दिया था कि उनके लिए शहर के बडे नेताओं की कोई हैसियत नहीं है और वे खुद ही अब बडे नेता बन चुके है।
चुनाव के नतीजे आने के बाद रतलाम के भैयाजी जब केबिनेट के मेम्बर बन गए तो शहर में एक केबिनेट मंत्री और एक केबिनेट मंत्री दर्जा प्राप्त नेता थे। यानी कि दो दो केबिनेट मंत्री। तब दर्जा प्राप्त मंत्री बने नेताजी फार्म में ही थे। फुल फार्म में होने का ही असर था कि जिले के नए मुखिया के स्वागत के मौके पर उन्होने साठ हजार की जीत को मामूली बात घोषित कर दिया। नेताजी ने अपने भाषण में बडी स्टाइल से बोला था कि इस माहौल में पचास साठ हजार वोटों से जीतना कोई बडी बात नहीं है।
लेकिन अब उनकी विकास की दुकान छीन गई है और साथ ही मंत्री दर्जा भी छीन चुका है। सियासत पर नजर रखने वालों का अंदाजा है कि इन्दौरी आका के चेले के लिए आने वाले दिन मुश्किलों वाले ही रहेंगे। जिस इन्दौरी आका के भरोसे उन्होने लोकल लेवल पर बडे बडे पंगे ले लिए,उन इन्दौरी आका की खुद की हैसियत कमजोर हो चुकी है।
सियासत पर नजर रखने वालो का यह भी कहना है कि नगर निगम अध्यक्ष का पद ऐसा है,जो नेताओं की राजनीति को खत्म कर देता है। जब से नगर निगम बनी तब से यही होता आया है। पहली नगर निगम से लगाकर अब तक जो भी अध्यक्ष बना,उसकी सियासत आखिरकार खत्म ही हो गई। इन्दौरी आका के चेले के मामले में भी जो कुछ हो रहा है,वह यही दिखाता है कि अब उनकी सियासी हैसियत भी ढलान की ओर चल पडी है। चार दिन की चांदनी के बाद अब आगे सिर्फ अंधेरी रात है।
फूलछाप में खींचतान
लगातार तीन बार फूल छाप पार्टी में जिले में नम्बर दो की हैसियत रखने वाले भैया आखिरकार फूल छाप पार्टी के जिले के मुखिया बन गए। वैसे तो इससे पहले ही उनका सियासी जलवा तब काफी बढ चुका था,जब सूबे की कमान मामाजी की जगह उज्जैनी नेता को मिली थी,जो उनके पुराने खास मित्र है। इसके बाद वो खुद जिले के मुखिया बन गए। जिले का मुखिया बनने पर पहली बार ऐसा भी हुआ कि शहर भर में जबर्दस्त जुलूस निकला और जगह जगह उनके स्वागत के लिए मंच बनाए गए।
ये सब तो हो चुका है,लेकिन अब बारी उनकी टीम बनाने की है। मुखिया बदलने के साथ पूरी टीम बदलने की रिवायत है। फूल छाप के तमाम नेता नई टीम में जगह हासिल करने की जोड तोड में लग चुके है। खबरें भी आ रही है कि जिले के नए मुखिया बहुत जल्दी नई टीम बनाएंगे। नई टीम में जगह पाने के लिए फूल छाप के नेता अपने अपने आकाओ के जरिये कोशिशों में जुट चुके है। किसकी कौशिशें कामयाब होगी यह कुछ ही दिनों में पता चल जाएगा।
पस्त हुई पंजा पार्टी
एक तरफ फूल छाप वाले जबर्दस्त उत्साह के साथ चुनावों में जाने की तैयारियों में लग गए है,वहीं दूसरी ओर पंजा पार्टी वाले पूरी तरह पस्त नजर आ रहे है। पंजा पार्टी के नेता इन दिनों खून के आंसू रो रहे है। पंजा पार्टी के पप्पू पांव पांव चल कर न्याय पाने की कोशिश कर रहे है,लेकिन इस दौरान पंजा पार्टी के बडे बडे नेता एक एक करके पंजा पार्टी को टाटा बाय बाय कर रहे है। अब तो सूबे के मुख्यमंत्री रहे चुके नाथ बाबा के भी पंजा पार्टी को टाटा बाय बाय करने की खबरें जोर पकड रही है।
इस सारे माहौल के बीच पंजा पार्टी के लोकल नेताओं की बडी फजीहत है। पंजा पार्टी के लोकल नेता,अनाथों की तरह हो गए है। पंजा पार्टी के पप्पू की पांव पांव यात्रा के रतलाम से गुजरने की खबरें भी उन्हे उत्साहित नहीं कर पा रही है। पप्पू की पांव पांव यात्रा की व्यवस्थाएं जुटाना भी उनके लिए मुश्किल हो रहा है। पंजा पार्टी के कई नेताओं को लगता है कि पप्पू की पांव पांव यात्रा आखिरकार फ्लाप शो साबित होगी,जो कि शहर की पंजा पार्टी के लिए बेहद नुकसानदायक रहेगी। पहले से पस्त पंजा पार्टी इस नाकामयाबी के कारण और ज्यादा बुरी हालत में चली जाएगी।