Raag Ratlami: निगम चुनाव आगे बढने से कहीं खुशी कहीं गम वाली स्थिति,टूटने लगी है पंजा पार्टी की हिम्मत
-तुषार कोठारी
रतलाम। कहां तो सारे के सारे पिछडे नेता आईनों में खुद को निहार निहार कर निहाल हुए जा रहे थे और रतलाम से भोपाल तक की दौड लगाने और अपने अपने आकाओं की चरणचम्पी की योजनाएं बना रहे थे। लेकिन सूबे के चुनाव आयोग के एक ही फैसले ने तमाम दावेदारों के मंसूबों को दो महीनों के लिए आगे बढा दिया। चुनाव आयोग ने सडक़ नाली वाली संस्थाओं के चुनाव बीस फरवरी तक नहीं करने का फैसला सुना दिया।
इस फैसले ने कहींं गम कही खुशी वाला माहौल बना दिया है। कुछ नेताओं को लग रहा है कि मिले हुए वक्त का ज्यादा ज्यादा से उपयोग हो जाएगा। वार्ड के ज्यादातर दावेदारों को अपने वोटरों की खुशामद करने के लिए वक्त मिल गया है। मिले हुए वक्त में वो ज्यादा से ज्यादा वोटरों को पटा सकते है। लेकिन पूरे शहर की दावेदारी करने वालों के लिए ये वक्त खर्चीला साबित हो सकता है। अब उन्हे बीस फरवरी के बाद तक अपना माहौल बना कर रखना पडेगा। इसमें सोशल मीडीया पर अपनी उपस्थिति बनाए रखने से लेकर पार्टी के आकाओं को साधे रखने तक के कठिन काम शामिल है। ये सारे काम खर्चीले होते है। इसके अलावा उन्हे भोपाल के ज्यादा चक्कर लगाने पडेंगे,ताकि आकाओं को ज्यादा से ज्यादा खुश रखा जा सके।
ये तो हुआ तारीख आगे बढने का कामन फैक्टर। अब दोनो पार्टियों के माहौल की बात। पंजा पार्टी और फूल छाप दोनो पार्टियों के तौर तरीकों और माहौल में जमीन आसमान का अंतर है। पंजा पार्टी के दावेदारों को पता है कि पंजा पार्टी के दो बडे नेताओं का हाथ जिस पर होगा टिकट उसी को मिलेगा। पंजा पार्टी मे दिग्गी राजा और नाथ,फिलहाल दो ही बडे नेता है।ं हांलाकि रतलाम रतलाम के नेताओं के झाबुआ वाले एमएलए साहब के आशीर्वाद की भी जरुरत पडेगी,क्योंकि झाबुआ के एमएलए साहब ही आगे दोनो बडे नेताओं तक बात पंहुचाएंगे। पंजा पार्टी में यूं तो कई सारे लोग अपने आपको दावेदार मान रहे है। लेकिन इनमें दो दावेदार खासतौर पर उभर कर सामने आ रहे है। इनमें एक पहलवान है,तो दूसरे किसी जमाने में जिले की पंचायत को सम्हाल चुके है। दोनो को ही झाबुआ वाले साहब पर भरोसा है। वैसे पंजा पार्टी की आपा भी खुद को दमदार दावेदार समझती है,लेकिन पंजा पार्टी के ही जानकारों का मानना है कि इस बार महिलाओं का दावा दम नहीं भरने वाला।
फूल छाप में टिकट तय करने का फार्मूला बेहद जटिल होता है। समझ में ही नहीं आता,कि टिकट कौन और कैसे फाइनल करता है। पहले तो एक जिले की कोर कमेटी होती है। ये कोर कमेटी पहले दो तीन या चार नामों का पैनल बनाती है। फिर इस पैनल में से एक नाम का फैसला करने का काम प्रदेश की कोर कमेटी करती है। इसके बीच में संभागीय समिति भी आ जाती है। बेचारे दावेदार समझ ही नहीं पाते कि कहां घण्टे घडियाल बजाने से उनकी मनोकामना पूरी होगी। वो किसी एक आका को सैट करते है,तो पता चलता है कि पावर किसी दूसरे आका के पास है।
फूल छाप में दावेदारों की लम्बी कतार है। दावेदारों का फैसला करने वालों की तादाद भी बहुत बडी है। इधर के दावेदारों में कौन ज्यादा दमदार है,कोई नहीं जानता,क्योंकि फूल छाप वालों का कोई भरोसा नहीं। फूल छाप में कई बार ऐसा हो चुका है कि नाम किसी और का चलता रहा और आखिर में टिकट कोई नया चेहरा लेकर आ गया। अभी पिछली बार यही हुआ था। फूल छाप की तमाम महिला नेता जम कर दावेदारी कर रही थी,लेकिन फूल छाप ने ऐसी डाक्टर को टिकट दे दिया,जिसे पहले कभी फूल छाप खेमे में नहीं देखा गया था।
बहरहाल,फूल छाप में कई सारे नाम है। नगर निगम में नम्बर दो रहे भैया अपने आपको सबसे ज्यादा दमदार दावेदार मान रहे है। लेकिन नगर निगम के इतिहास को जानने वालों का कहना है कि अब तक जो भी नगर निगम में नम्बर दो रहा है उसकी सियासत का वहीं दि एण्ड होता रहा है। जब से नहर निगम बनी है,तब से अब तक जितने भी नम्बर दो रहे है उन सब की सियासत वहीं खत्म हो गई। पहली नगर निगम से लगाकर पिछली से पहले वाली नगर निगम तक जब यही कहानी दोहराई गई है,तो पूरी संभावना है कि इस बार भी वही कहानी दोहराई जाएगी।
कुल मिलाकर सडक़ नाली के चुनावों की चकल्लस अब लम्बे समय तक चलती रहेगी। लोग रोजाना नए अंदाजे लगाते रहेंगे। जब तक चुनाव की तारीखें नहीं आ जाती यही सियासी ड्रामा जारी रहेगा।
पंजा पार्टी-दुबले और दो असाढ
पुरानी कहावत है दुबले और दो असाढ। इन दिनों पंजा पार्टी की हालत कुछ ऐसी ही हो रही है। फूल छाप वाले अपने नेताओं के लिए प्रशिक्षण वर्ग लगा रहे है। हर मण्डल में प्रशिक्षण वर्ग चल रहे है। शायद इसी को देखते हुए पंजा पार्टी ने भी अपनी सक्रियता बढाने की कोशिश की। वरना पंजा पार्टी के पास चुनाव आने तक कोई काम धाम नहीं होता। जो नेता किसी तरह पार्टी में कोई पोस्ट कबाड लेता है,बस फिर वो अपनी पोस्ट के भरोसे मजे लेने मेंलग जाता है। लेकिन फूल छाप वालों को देखकर पंजा पार्टी ने कुछ करने की ठानी। इसके लिए शहर के दो वार्डो की जनसमस्याओं को लेकर पंजा पार्टी ने एक धरने का आयोजन किया। इस धरने में पंजा पार्टी के तमाम नेताओं की सिïट्टी पिïट्टी तब गुम हो गई जब एक शिक्षिका ने पंजा पार्टी के ही मंच से पंजा पार्टी की सरकार को जमकर लताड लगा दी। महिला शिक्षिका ने भाषण दे रहे नेताओं से माइक लेकर मंजा पार्टी के मुख्यमंत्री रहे कमलनाथ पर वादाखिलाफी के आरोप लगाए। पंजा पार्टी के नेता हक्के बक्के रह गए और फिर किसी तरह उन्होने नाराज महिला को मंच से हटाया। इस घटना के बाद पंजा पार्टी के नेताओं की हिम्मत टूटने सी लगी है।