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अखिल भारतीय साहित्य परिषद रतलाम इकाई की काव्य गोष्ठी आयोजित, पंडित अखिल स्नेही मुख्य अतिथि रहे

रतलाम,23 जुलाई (इ खबर टुडे)। समर्थ गुरु रामदास जी जब शिवाजी से कहा कि जो सामने नदी है उसकी थाह लेकर के मैं आता हूं किंतु गुरु जी के मना करने पर भी शिवाजी स्वयं नदी में कूद गए और उसकी थाह लेने लगे कि सेना किधर से निकलेगी कहां उथली जगह है और कहां पर गहराई है?

नदी से बाहर आते ही रामदास गुरुजी शिवाजी पर बहुत नाराज हुए उन्होंने कहा ,की शिवा तुमने मेरी आज्ञा का उल्लंघन किया, जब मैंने कहा कि मैं नदी में जाऊंगा फिर तुम क्यों चले गए? शिवाजी ने कहा कि गुरुजी आप होंगे तो अनेक शिवा को बना देंगे किंतु आप ही नहीं होंगे तो फिर मुझ जैसे शिवा दुनिया में हो ही नहीं सकते।

उक्त विचार गुरु पूर्णिमा के पावन शुभ अवसर पर अखिल भारतीय साहित्य परिषद रतलाम इकाई की काव्य गोष्ठी में मुख्य अतिथि रहे पंडित अखिल स्नेही ने अपने उद्बोधन में कहा। अध्यक्ष हरिशंकर भटनागर ने कहा कि अपने कार्य को सर्वोत्तम रूप से कोई तभी कर पाएगा जब गुरु का आशीष उसके मस्तक पर होगा।

इस अवसर पर गुरु पर केंद्रित रचनाओं का पाठ श्री रामचंद्र फुहार कैलाश वशिष्ठ, श्याम सुंदर भाटी, सुभाष यादव, सरवन के गीतकार दिनेश बारोट ,मुकेश सोनी ने किया। कार्यक्रम का संचालन प्रकाश हेमावत ने किया आभार सतीश जोशी ने माना।

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