Big Scam : सिविक सेन्टर घोटाले की तर्ज पर धामनोद में भी बडा घोटाला,नगर परिषद अध्यक्ष और सीईओ ने कम कीमत पर बेच दी दुकानें,शासन को 4 लाख की हानि
रतलाम,30 जून (इ खबरटुडे)। शहर से सटे धामनोद नगर परिषद के निर्वाचित जनप्रतिनिधि और अधिकारियों ने रतलाम के सिविक सेन्टर काण्ड से प्रेरणा लेकर नगर परिषद द्वारा बनाई गई दुकानों को निर्धारित मूल्य से चार लाख रु. कम मूल्य पर बेच दिया और शासन को चार लाख का चूना लगा दिया। नगर परिषद के ही एक निर्वाचित पार्षद की शिकायत पर सारा मामला उजागर हुआ। जिले के वरिष्ठ अधिकारी अब इस मामले की जांच कर रहे है।
धामनोद नगर परिषद के वार्ड क्र.14 के निर्वाचित पार्षद औंकारलाल निनामा ने इस पूरे घोटाले को उजागर किया है। श्री निनामा ने संभागायुक्त,जिला कलेक्टर,पुलिस अधीक्षक के साथ साथ महामहिम राज्यपाल,मुख्यमंत्री इत्यादि को इस सम्बन्ध में लिखित शिकायत देकर पूरे घोटाले का पर्दाफाश किया। श्री निनामा की शिकायत पर वरिष्ठ अधिकारियों ने कार्यवाही करते हुए नगर परिषद के रेकार्ड को जब्त करवाया,ताकि मामले की विस्तृत जांच हो सके। रतलाम ग्रामीण की तहसीलदार सुश्री पिंकी साठे ने पिछले हफ्ते नगर परिषद के कार्यालय में पंहुचकर दुकानों की नीलामी से सम्बन्धित रेकार्ड जब्त किया।
सुश्री साठे ने इ खबरटुडे से चर्चा में बताया कि कलेक्टर महोदय ने शिकायत की जांच के लिए जांच दल गठित किया है और उन्ही के निर्देश पर नगर परिषद का रेकार्ड जब्त किया गया है। मामले की जांच एसडीएम रतलाम ग्र्रामीण के द्वारा की जा रही है।
यह है घोटाला
धामनोद नगर परिषद ने नगर परिषद की आय में वृद्धि करने और स्थानीय निवासियों को रोजगार के नए अवसर उपलब्ध कराने के नाम पर धामनोद के गांधी चौक पर आठ दुकानों का निर्माण करवाया था। शासन की नीति के अनुसार इस प्रकार की सम्पत्तियों का विक्रय,खुली नीलामी के आधार पर किया जाता है ताकि संस्था को अधिक से अधिक आय प्राप्त हो सके। नीलामी के नियमों के मुताबिक इस प्रकार की सम्पत्तियों की नीलामी के लिए शासन द्वारा सबसे पहले न्यूनतम शासकीय दर निर्धारित की जाती है ताकि नीलाम बोली इस दर से उपर ही रहे।
धामनोद नगर परिषद द्वारा बनाई गई दुकानों में से अनारक्षित श्रेणी की दुकान क्र. 06 के लिए शासन द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य 7,53,700 रु. निर्धारित किया गया था और इसी प्रकार अनुसूचित जाति वर्ग के लिए आरक्षित दुकान क्र.08 के लिए भी न्यूनतम मूल्य 7,53,700 रु. रखा गया था। इन दुकानों के लिए आनलाइन नीलाम बोली आयोजित की गई थी। आनलाइन नीलामी में अनारक्षित दुकान क्र.06 के लिए मुकेश पाटीदार नामक व्यक्ति ने 8,00,101 रु. की बोली लगाई थी,जबकि आरक्षित वर्ग की दुकान क्र.08 के लिए रामकन्या बाई गोहर नामक महिला ने 9,00,107 रु. की बोली लगाई थी।
नियमानुसार निर्धारित न्यूनतम मूल्य से अधिक की बोली लगने पर सम्पत्ति सम्बन्धित बोलीदार को विक्रय कर दी जाती है। नगर परिषद को इन दो दुकानों के विक्रय से लगभग 4 लाख रु. का लाभ प्राप्त हो रहा था। लेकिन धामनोद नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती दुर्गाबाई डिण्डौर,उपाध्यक्ष लोकेन्द्र सिंह सिसौदिया और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जगदीश प्रसाद भैरवे ने अपने कुछ चहेतों को अवैध लाभ पंहुचाने के लिए इस नीलामी को निरस्त कर दिया और दुकानों के नए सिरे से विक्रय के लिए नई निविदा जारी कर दी गई।
आमतौर पर ऐसा माना जाता है कि एक नीलामी को स्थगित कर फिर से नई नीलामी प्रक्रिया शासन की आय में वृद्धि के लिए की जाती है,लेकिन धामनोद नगर परिषद में इसका ठीक उलटा किया गया। दूसरी बार जो नीलामी प्रक्रिया आयोजित की गई उसमें दुकानों की न्यूनतम कीमत पहले की तुलना में काफी कम कर दी गई। दूसरी बार जब निविदा निकाली गई तब दुकान क्र.06 और 08 की न्यूनतम शासकीय कीमत इसे घटाकर 5,05,200 रु. कर दिया गया। इतना ही नहीं उक्त दोनो दुकानों की दोबारा हुई नीलामी में भी सफल बोलीदार वे ही थे,जिन्होने पहले उंची कीमत लगाई थी।
दुकान क्र.08 को रामकन्या बाई ने 5,11,111 रु. की बोली लगाकर खरीद लिया,जिसके लिए वे पहले 9 लाख रु. देने को तैयार थी। इसी तरह दुकान क्र.05 5,21,000 में विक्रय कर दी गई। श्री निनामा की शिकायत के मुताबिक पहले की नीलामी प्रक्रिया में नगर परिषद को जो राशि प्राप्त होने वाली थी,दूसरी बार की नीलामी प्रक्रिया में उससे करीब चार लाख रु.कम राशि प्राप्त हुई।
इस प्रकार धामनोद नगर परिषद अध्यक्ष श्रीमती दुर्गाबाई डिण्डौर,उपाध्यक्ष लोकेन्द्र सिंह सिसौदिया और मुख्य कार्यपालन अधिकारी जगदीश प्रसाद भैरवे ने मिलकर शासन को करीब चार लाख रु. का नुकसान करवा दिया। श्री निनामा ने बताया कि दुकानों की नीलामी प्रक्रिया में पहली बार जिन बोलीदारों ने बोली लगाई थी,उसका पूरा रेकार्ड उपलब्ध है जिससे साबित होता है कि उंची कीमत आने के बावजूद कुछ लोगों को अवैध लाभ दिलाने के लिए दोबारा नीलामी की गई और कम कीमत पर दुकानों का विक्रय कर दिया गया।
इनका कहना है
इस सम्बन्ध में धामनोद नगर परिषद के मुख्य कार्यपालन अधिकारी जगदीश प्रसाद भैरवे का कहना है कि दुकानों की नीलामी में घोटाले के आरोप पूर्णतया गलत है। उन्होने कहा कि नगर परिषद द्वारा निर्मित दुकानों की न्यूनतम मूल्य अधिक होने से कोई इन दुकानों को खरीदने को तैयार नहीं था,इसलिए शासन की अनुमति से न्यूनतम मूल्य कम करके दोबारा से नीलामी करवाई गई। इसमें कुछ भी अवैधानिकता नहीं हुई है।