June 23, 2024

Nehru vs Modi नेहरु बनाम मोदी- नेहरु की तीसरी जीत से छ: गुना बडी है मोदी की तीसरी जीत

देश की अठारहवी लोकसभा का निर्वाचन पूरा हो चुका है और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के बाद नरेन्द्र मोदी ऐसे प्रधानमंत्री बने है,जो लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री चुने गए हैं। लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री बनने पर नरेन्द्र मोदी की तुलना बार बार प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु से की जा रही है। लेकिन वास्तविकता यह है कि नरेन्द्र मोदी की तीसरी जीत जवाहरलाल नेहरु की तीसरी जीत से लगभग छ: गुना बडी जीत है। पार्टियों के लिहाज से देखा जाए तो भाजपा की यह तीसरी जीत कांग्रेस की तब की तीसरी जीत के मुकाबले चार गुना बडी है।

जवाहरलाल नेहरु देश के प्रथम तीन आम चुनाव 1952,1957 और 1962 में लगातार प्रधानमंत्री बने थे। उनकी पार्टी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने तीनों चुनाव में भारी दर्ज की थी। लेकिन यदि इन तीनों चुनाव की तुलना नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में लडे गए वर्ष 2014,2019 और 2024 के चुनावों से की जाए तो आंकडों के आईने में जवाहर लाल नेहरु बेहद छोटे नजर आते है।

आंकडों की तुलना करने पर सच्ची तस्वीर सामने आती है। देश के पहले आम चुनाव 1952 में हुए थे। पहले आम चुनाव में देश में कुल मतदाता केवल 17,32,12,343 (सत्रह करोड,बत्तीस लाख,बारह हजार तीन सौ तिरयालिस) थे। इनमें से मात्र 44.87 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। इस चुनाव में देश में केवल चार राष्ट्रीय पार्टियां थी। जिनमें कांग्रेस के अलावा जनसंघ,हिन्दू महासभा और राम राज्य परिषद शामिल थी।

पहले आम चुनाव में संसदीय क्षेत्रों की संख्या 489 थी और इनमें से कांग्रेस ने 479 सीटों पर चुनाव लडा था। आजादी के तत्काल बाद हुए इन चुनावों में कांग्रेस के अलावा जो अन्य राजनैतिक दल मौजूद थे,उनकी कोई राजनीतिक ताकत नहीं थी और ये दल औपचारिकता के नाते ही चुनाव लड रहे थे। इसके बावजूद कांग्रेस इस पहले चुनाव में आधे मतदाताओं का विश्वास भी नहीं जीत पाई थी। वैसे तो कांग्रेस 479 सीटों में से 364 सीटों पर चुनाव जीती थी,लेकिन कांग्रेस का मत प्रतिशत मात्र 44.99 प्रतिशत ही था । कांग्रेस को पूरे देश में कुल 4,76,65,951 (चार करोड छियत्तर लाख पैैंसठ हजार नौ सौ इक्यावन) मत मिले थे। इसके विपरित आज की भाजपा,जो उस समय जनसंघ के नाम से चुनाव लडी थी,को केवल 32,46,361 (बत्तीस लाख छियालिस हजार तीन सौ इकसठ) मत मिले थे,जो कि कुल मतदान का मात्र 3.06 प्रतिशत मत था। जनसंघ ने इस परिणाम के साथ तीन सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी।

अब बात करें,प्रथम प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के चुनाव की। नेहरु उस समय अलाहावाद(इस्ट) कम जौनपुर(वेस्ट) सीट से चुनाव लडे थे। नेहरु को उस चुनाव में 2,33,571 (दो लाख तैतीस हजार पांच सौ इकहत्तर) वोट मिले थे जो कि कुल मतदान का मात्र 38.73 प्रतिशत था। नेहरु के निकटतम प्रतिद्वंदी मसूरियादीन को इस चुनाव में 1,81,700(एक लाख इक्यासी हजार सात सौ) मत मिले थे जो कि कुल मतदान का 30.13 प्रतिशत था और इस तरह नेहरु जी को केवल आठ प्रतिशत मत अधिक मिले थे।

अब बात करें वर्ष 2014 के आम चुनाव की। वर्ष 2014 में कुल 5453 सीटों के लिए चुनाव हुआ। इस समय देश में मतदाताओं की कुल संख्या 83,40,82,816 (तिरयासी करोड,चालीस लाख,बयासी हजार आटठ सौ सौलह) थी और इनमें से कुल 55,30,20,648 (पचपन करोड,तीस लाख,बीस हजार छ:सौ अडतालिस) मतदाताओं ने मतदान किया,जो कि 66.30 प्रतिशत था। इस चुनाव में भाजपा 543 में से 428 पर चुनाव लडी थी और उसने 282 पर जीत हासिल की। भाजपा को कुल 17,16,60,230(सत्रह करोड,सौलह लाख साठ हजार,दो सौ तीस) मत प्राप्त हुए। जो कि कुल मतों का 31.34 प्रतिशत था। भाजपा नीत एनडीए की जीत और भी बडी थी। एनडीए को कुल 333 सीटों पर जीत मिली थी।

इसकी तुलना में कांग्रेस ने 464 सीटों पर चुनाव लडा और उसे केवल 44 सीटों पर जीत हासिल हुई। कांग्रेस को कुल 10,69,35,942(दस करोड,उनसाठ लाख,पैैंतीस हजार नौ सौ बयालिस) वोट मिले,जोकि कुल मतदान का मात्र 19.52 प्रतिशत था। देश के पहले आम चुनाव 1952 की तुलना में भाजपा के सारे आंकडे कांग्रेस की जीत की तुलना में काफी बडे है।

वर्ष 2014 के आम चुनाव में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की जीत देखी जाए,तो नरेन्द्र मोदी ने उत्तरप्रदेश के वाराणसी को अपना चुनाव क्षेत्र चुना था। वाराणसी संसदीय क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या 17,66,487(सत्रह लाख छाछठ हजार,चार सौ सत्यासी) थी। इसमें से 58.35 प्रतिशत अर्थात कुल 10,30,812(दस लाख तीस हजार आठ सौ बारह) ने मतदान किया। नरेन्द्र मोदी को इसमें से कुल 612970 (छ:लाख बारह हजार नौ सौ सत्तर) वोट मिले थे,जो कि कुल मतदान का 54.2 प्रतिशत था,जबकि नेहरु को अपने पहले चुनाव में मात्र 38 प्रतिशत वोट मिले थे। नरेन्द्र मोदी ने इस चुनाव में 371784(तीन लाख इकहत्तर हजार सात सौ चौर्यासी) मतों से जीत हासिल की थी।

देश की दूसरी लोकसभा का चुनाव 1957 में हुआ था। इस समय देश में कुल 4 राष्ट्रीय पार्टियां थी। इनमें कांग्रेस के अलावा जनसंघ,कम्यूनिस्ट पार्टी और प्रजा सोशलिस्ट पार्टी चुनाव में उतरी थी। इस चुनाव में लोकसभा की कुल सीटें पिछले चुनाव से पांच बढकर कुल 494 हो गई थी। दूसरे आम चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 19,36,52,179 (उन्नीस करोड,छत्तीस लाख,बावन हजार एक सौ उनयासी) थी,जिनमें से 12,05,13,915 (बारह करोड,पांच लाख,तेरह हजार नौ सौ पन्द्रह) ने मतदान किया अर्थात मतदान प्रतिशत 45.44 प्रतिशत था। इस चुनाव में कांग्रेस 490 सीटों पर चुनाव लडी और उसे 371 पर जीत मिली अर्थात 75.71 प्रतिशत सीटें कांग्रेस ने जीती। दूसरी तरफ भाजपा (तब की जनसंघ) ने 130 सीटों पर चुनाव लडा और उसे मात्र 4 सीटों पर जीत मिली यानी मात्र 3.08 प्रतिशत सीटों पर जीत मिली। कांग्रेस को इस चुनाव में कुल 5,75,79,589 (पांच करोड पचहत्तर लाख,पांच सौ नवासी) वोट मिले जो कुल मतदान का मात्र 47.78 प्रतिशत था। दूसरी ओर भाजपा (जनसंघ) को 71,93,267(इकहत्तर लाख तिरानवे हजार,दो सौ सडसठ) वोट मिले,जो कि कुल मतदान का मात्र 5.97 प्रतिशत था।

अब बात करें,प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु के चुनाव की। नेहरु इस बार फुलपुर संसदीय क्षेत्र से मैदान में उतरे। उन्हे इस चुनाव में कुल 2,27,448(दो लाख सत्ताईस हजार चार सौ अडतालिस) मत मिले जो कि कुल मतदान का मात्र 36.87 प्रतिशत था। इस बार भी उन्हे मसूरियादीन ने ही चुनौती दी थी और मसूरियादीन को इस बार 1,98,430 (एक लाख अठानवे हजार चार सौ तीस) मत मिले,जो कि कुल मतदान का 32.17 प्रतिशत था। अर्थात नेहरु जी को निकटतम प्रतिद्वंदी से मात्र चार प्रतिशत मत अधिक मिले थे।

नेहरु के दूसरे चुनाव की तुलना मोदी के दूसरे चुनाव यानी 2019 से की जाए,तो वर्ष 2019 में देश में कुल 543 सीटों के लिए चुनाव हुआ। इस वर्ष देश के मतदाताओं की कुल संख्या 91,19,50,734(इकानवे करोड,उन्नीस लाख,पचास हजार सात सौ चौतीस ) थी। इनमें से 67.40 प्रतिशत अर्थात 61,46,84,398 (इकसठ करोड,छियालिस लाख,चौरासी हजार तीन सौ अठानवे) मतदाताओं ने मतदान किया। इस चुनाव में भाजपा को मिले मतों का प्रतिशत 37.36 था,जबकि संयुक्त एनडीए को 45 प्रतिशत मत मिले थे। भाजपा को 303 (तीन सौ तीन) सीटों पर और एनडीए को 335 (तीन सौ पैैंतीस) सीटों पर जीत मिली थी। दूसरी ओर कांग्रेस को मात्र 52 सीटों से संतोष करना पडा था।

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चुनाव को देखें तो वाराणसी संसदीय क्षेत्र में कुल मतदाता 17,84,476(सत्रह लाख चौरासी हजार,चार सौ छियत्तर) मतदाता थे जिनमें से 59.7 प्रतिशत यानी 10,60.476 (दस लाख साठ हजार चार सौ छियत्तर) ने मतदान किया। इनमें से नरेन्द्र मोदी को 6,74,664 (छ:लाख चौहत्तर हजार,छ:सौ छाछठ) मत मिले जो कि कुल मतदान का 63.6 प्रतिशत था। इस चुनाव में कुल 26 प्रत्याशी मैदान में थे। मोदी को चुनौती दे रहे सपा और कांग्र्रेस प्रत्याशियों को क्रमश: 18.4 और 14.4 प्रतिशत मत ही मिले। नरेन्द्र मोदी ने यह चुाव 4,79,505 (चार लाख,उन्यासी हजार पांच सौ पांच) मतों के अंतर से जीता था। नेहरु जी ने अपने दूसरे चुनाव में मात्र 36 प्रतिशत मत प्राप्त कर पाए थे और मात्र चार प्रतिशत के अंतर से चुनाव जीते थे,जबकि नरेन्द्र मोदी 63.6 प्रतिशत मत प्राप्त कर चुनाव जीते।

अब बात की जाए देश के तीसरे आम चुनाव यानी 1962 के आम चुनाव की। इस वर्ष देश में कुल छ: राष्ट्रीय पार्टियां थी,इनमें कांग्रेस और जनसंघ के अलावा कम्यूनिस्ट पार्टी,प्रजा सोशलिस्ट पार्टी,सोशलिस्ट पार्टी और स्वतंत्र दल शामिल थे। सीटों की कुल संख्या इस बार भी 494 थी। इस चुनाव में मतदाताओं की कुल संख्या 21,63,61,569(इक्कीस करोड,तिरसठ लाख,इकसठ हजार,पाच सौ उनहत्तर) थी,जिनमें से मात्र 55.42 प्रतिशत अर्थात 11,99,04,284 (ग्यारह करोड,निन्यानवे लाख,चार हजार दो सौ चौरासी) मतदाताओं ने मतदान किया।

इस चुनाव ने कांग्रेस ने 488 सीटों पर चुनाव लडा और 361 पर जीत हासिल की। यानी 73.98 प्रतिशत सीटों पर जीत हासिल की। कांग्रेस को कुल 5,15,09,084 (पाच करोड पन्द्रह लाख,नौ हजार चौरासी) मत प्राप्त हुए जो कि कुल मतदान का 44.72 प्रतिशत था। इसके विपरित भाजपा(तब की जनसंघ) ने 196 पर चुनाव लडकर 14 सीटों पर जीत हासिल की। जीत का प्रतिशत बढकर 7.14 प्रतिशत हुआ था। जनसंघ को इस चुनाव में कुल 74,15,170 (चौहत्तर लाख पन्द्रह हजार एक सौ सत्तर ) मत प्राप्त हुए थे,जो कि कुल मतदान का मात्र 6.44 प्रतिशत था।

तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरु यह चुनाव भी फुलपुर संसदीय सीट से लडे थे। इस बार यहां मतदाताओं की कुल संख्या 4,09,292 (चार लाख नौ हजार दो सौ बयानवे) थी। इनमें से मात्र 49.31 प्रतिशत यानी 2,01,823 (दो लाख एक हजार आठ सौ तेइस) मतदाताओं ने मतदान किया। जवाहरलाल नेहरु को इस चुनाव में 1,18931( एक लाख अठारह हजार नौ सौ इकतीस) (61.62 प्रतिशत)वोट मिले जबकि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी सोशलिस्ट पार्टी के राम मनोहर लोहिया को 54360 (चौपन हजार तीन सौ साठ) यानी 28.17 प्रतिशत मत प्राप्त हुए।

अब देखें हाल के 2024 के चुनाव को। इस चुनाव में लोकसभा की 543 सीटों के लिए कुल 96,88,21,926 (छियानवे करोड,अठासी लाख इक्कीस हजार नौ सौ छब्बीस) मतदाता पंजीकृत थे। इनमें से 65.79 प्रतिशत मतदाताओं ने मतदान में हिस्सा लिया। इस चुनाव में भाजपा को कुल 23,59,73,935 (तेइस करोड,उनसाठ लाख.तिहत्तर हजार नौ सौ पैैंतीस) मत मिले,जो कि कुल मतों का 36.56 प्रतिशत है,जबकि एनडीए को 42.5 प्रतिशत मिले है। दूसरी ओर कांग्रेस को 13,67,59.064 (तेरह करोड,सडसठ लाख उनसाठ हजार चौसठ) मत मिले जो कि कुल मतों का मात्र 21.19 प्रतिशत है। यानी एनडीए का मत प्रतिशत कांग्रेस की तुलना में दुगुना है। 2024 में एनडीए ने पूर्ण बहुमत प्राप्त कर सरकार बना ली है।

अब देखें नरेन्द्र मोदी का परिणाम। वाराणसी में इस बार नरेन्द्र मोदी को 6,12,970 वोट मिले है,जबकि कांग्रेस प्रत्याशी अजय राय को 4,60,457 वोट मिले है। नरेन्द्र मोदी को कमोबेश उतने ही वोट मिले है,जो कि वर्ष 2019 में मिले थे। लेकिन इस बार विपक्ष की ओर से एक ही प्रत्याशी को उतारा गया था। इस सीट पर समाजवादी पार्टी ने अपना प्रत्याशी नहीं उतारा था और कांग्रेस और समाजवादी पार्टी मिलकर चुनाव लड रहे थे।

देश के पहले चुनाव में कांग्रेस के पास 44.87 प्रतिशत वोट थे,जो कि वर्ष 2024 में घटकर 21.19 प्रतिशत रह गए है। जवाहर लाल नेहरु पहले और दूसरे चुनाव में 40 प्रतिशत मत भी हासिल नहीं कर पाए थे। नेहरु जी केवल तीसरे चुनाव में पचास प्रतिशत से अधिक वोट प्राप्त कर पाए थे। लेकिन यह सबकुछ उस वक्त था,जबकि देश में कांग्रेस को चुनौती देने वाली कोई पार्टी तैयार नहीं हो पाई थी और कांग्रेस देश को स्वतंत्र कराने का दावा करती थी। दूसरी तरफ पहले चुनाव में केवल तीन प्रतिशत वोट प्राप्त करने वाला जनसंघ आज भाजपा के रुप में देश की सबसे बडी पार्टी बन चुका है और पहले चुनाव के मतदाताओं की कुल संख्या से भी करीब छ: करोड अधिक मतदाताओं के मत भाजपा को मिले है।

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