May 10, 2024

मोदी की दूर दृष्टि, नया भारत ; 2024,प्रचंड बहुमत से जीतेगी भाजपा

दुर-दृष्टि विलक्षण प्रतिभा के धनी नरेन्द्र मोदी ने 2024 से पहले ही विपक्ष को चारो खोने चित कर दिया। विपक्ष का हिन्दू विरोधी कार्ड, जाति कार्ड समय से पहले ही धराषायी हो गए। यह संदेष संसदीय प्रजातांत्रिक प्रणाली पर भी प्रहार है कि अयोग्य पिडछो और दलितो को मोहरा बनाकर उन्हे उनकी योग्यता को जाति के आईने मे रख राज्य करते है। इस पर अंकुष केन्द्रिकृत नैतृत्व, जो राष्ट्पति प्रणाली के द्वारा ही संभव है। राष्ट्पति जनता, और राष्ट् के प्रति उत्तरदायी होने से योग्य व्यक्ति का चयन कर सकता है। चाहे वह विचक्षी दल का ही क्यों न हो। जैसा अमेरिका में होता है।

पाच राज्यो के चुनांवॅ सफल केंद्रिय नैतृत्व की विजय है। और मोदी जी ने योग्य,प्रतिभा के धनी, परन्तु पीछडो, और दलितो की पंिक्त में डॉ. मोहन यादव, डॉ. विष्णुदेव साय किस ब्राह्मण से कम, कि उन्हे वंचित रखा गया। वर्ण व्यव्स्था जाति आधारित नही, योग्यता ही इसका आधार है। और भजनलाल षर्मा को चुना। अज्ञानी इसे जाति समीकरण समझते है। यही मोदी की विजय 2024 है। महान मोदी का महान संदेष कि लोगो को धर्म और जाति में बांट कर मुर्ख नही बनाया जा सकता, और सारे अनुमानो को नकार कर पिछडे और वंचित लोगो को अंतिम पंक्ति से उठाकर राज्य का सिरमौर मुख्य मंत्री बना दिया।

यदि मुख्य मंत्री और राष्ट्पति का सीधे जनता के द्वारा चयन हो तो उन्हे उचित योग्य हक मिल सकता है। ज्ञातव्य है कि संसदीय प्रजातांत्रिक प्रणाली अंग्रेजो,द्वारा प्रदत्त मानसिक् गुलामी का प्रतीक है। जनता को धर्म-जाति में बांटंो और राज करो का यह मूल मंत्र है।

इस संदर्भ में अंग्रेजो द्वारा सर्व प्रथम 2 सितम्बर 1946 में अंतरिम सरकार का गठन किया, संविधान सभा का गठन प्रत्यक्ष नही था, जो प्रांतीयविधान सभा द्वारा चुने जाते थे। इसमे कांग्रेस उपर और मुस्लिम लीग बहुत पीछे थी, मुस्लिम लीग कम सीट तथा अलग पाकिस्तान की मांग के कारण षामिल नही हुई। सिर्फ लियाकत अली खान ष्षामिल हुए ताकि विभाजन का अजेंडा सफल हो। और वे भाई से भाई, जिन्होने 1857 में एक साथ लड कर ब्रिटीष सरकार को हिला दियां, जहॉ कभी सूर्यास्त नही होता, इसका बदला अंग्रेजो ने भाई से भाई के मध्य धर्म की अफिम खिलाकर अषात कर दिया, जहॉ हिन्दू कोई धर्म नही और धर्म परिवर्तन से अलग राज्य का विष्व में उदाहरण नही। भारत सदियो से धर्म-निरपेक्ष है।

अंतरिम सरकार सत्ता हस्तांतरण के लिए, अंग्रेज षासन बिना अंग्रेजो के चलता रहे।

स्वतंत्रता का पाखण्ड भारतीय उपमहाद्वीप को हमेषा के लिए मानसिक गुलाम बनाना था। जिसका उपयोग इसराईल-फिलीस्तीन विभाजन 1948 में भी किया गया,। जो आज युद्ध की आग में जल रहा है। ब्रिटेन तमाषा देख रहा है, और भारत में इसी आग का इंतजार कर रहा है। जिसके लिए लार्ड माउंटबेटन और नेहरू ने काष्मीर को मोहरा बनायां।

अंतरिम सरकार 1046, जिसमें सवोच्च योग्य व्यक्ति षामिल थे, मुस्लिम लीग कम सीट तथा अलग पाकिस्तान की मांग के कारण षामिल नही हुई। कार्यकारी परिषद में सभी योग्य व्यक्ति षामिल थे। इसके अध्यक्ष विस्काउण्ट वेवल तथा उपाध्यक्ष पं. नेहरू, यह सरकार ब्रिटीष सरकार के अंतर्गत थी जो विभाजन को अंतिम रुप देने, और सत्ता हस्तांतरण 1948 के लिए बनाई गई थी। कायदे आजम जिन्नाह टी. बी. ग्रस्त थे, और विभाजन की योजना में व्यवधान को दंेखते हुए ब्रिटीष सरकार ने सत्ता हंस्तांतरण को पहले अंजाम देने के लिए लार्ड माउंटबेटन को वायसराय विस्काउंट वेवल के स्थान पर भेजा, और विभाजन की तारीख 15 अगस्त 1947 कर दी। लार्ड माउंटबेटन ही स्वतंत्र भारत के प्रथम गवर्नर जनरल 1948 तक रहे, जब तक विभाजन, और ब्रिटीष संविंधान लागु कर भारत को मानसिक गुलाम बिटीष सरकार के अंतर्गत संसदीय प्रजातंत्र और सांकेतिक राष्ट्पति। उनहे भव्य बिदाई दी गई, और राजगोपालाचारी राजाजी सवतंत्र भारत के प्रथम आयसराय गवर्नर जनरल 26 जन. 1950 तक रहे। जब संविधान लागु हुआ, और राजेंद्रप्रसाद अध्यक्ष चुने गए। तबतक भारत ब्रिटीष सरकार का उपनिवेष प्रत्यक्ष गुलाम था, सत्ता हस्तांतरण 1947 और प्रथम आम चुनाव के बाद अप्रत्यक्ष उपनिवेष जहॉ अंग्रजी षासन बिना अंग्रेजो के जिसकी कल्पना गांधी जीने अपनी किताब हिंद स्वराज में किया था। उन्होने जानते हुए भी जहर पीया, विभाजन की हिंसा जहॉ भारतीय-भरतीय के खुन के प्यासे थे, ब्र्रिटीष सरकार सफलता का जष्न मना रही थी, जिसने महात्मा गांधी को राष्ट्पिता, जिन्नाह को चाकिस्तान का जनक, और नेहरू जी को प्रधानमंत्री का तोहफा। इसके साथ धर्म-जाति में बांटो और राज करो का उपदेष।

पं. जवाहर लाल नेहरू अंतरिम सरकार के उपराष्ट्पति थै, यही परम्परा 15 अगस्त. 1947 में सत्ता हस्तांतरण के समय लागु रही, और नेहरू जी प्रधानमंत्री मनोनीत हो गए। जिसके अंतर्गत नेहरू जी ने ब्र्रिटीष राज्य की मानसिक गुलामी संसदीय प्रजातांत्रिक प्रणाली को कायम रखा, और बिना जनता कि सहमति 26 जनवरी 1950 को संविधान, जो गुलाम भारत के लिए 1935 में बनाया गया था लागु कर दिया। प्रथम आम चुनावं 1952 में हुए, और पं. नेहरू की नीतियांे के कारण राजगोपाला चारी, बाबा साहब अंम्बेडकर तथा ष्यामा प्रसााद मुखर्जी अलग हो गए, और उन्होने अलग दल स्थापित किए।

लेकिन अंग्रेज लार्ड माउंटबैटन द्वारा पुरस्कार में प्रदत्त धर्म-जाति में बांटो और राज करो से कांग्रेस ने 60 साल तक एक छत्र राज किया, और राजगोपाला चारी, बाबा साहेब अम्बेडकर, जिन्होने पं. नेहरू के इषारे पर संविंधान को बनाया, और

ष्यामा प्रसाद मुखर्जी फैल हो गए। जो 1952 आम चुनावं के बाद हाषिये पर चले गए।

धर्म-जाति के किले में संेध, और भारतमाता को मानसिक गुलामी की जंजीरो से मुक्ति का मार्ग मोदी ने 2014 में इसका प्रारम्भ किया, 2019 इसका दूसरा चरण तथा 2023 इसका ट्ेलर कि नए भारत का सूर्योदय 2024 जनता के षासन का सूर्योदय है कि अंग्रेजो के द्वारा प्रदत्त विरासत, जिसके लिए आम जनता की सहमति नही ली गई का अंत है। इससे विपक्ष हैरान है,, और मोदी को सम्प्रदाय वादी घोषित कर, मुस्लिम वोट बेंक तथा जाति के चक्कर में पड गया, जो उसके लिए आत्म हत्या साबित हुआ।

अगला मोदी लक्ष्य है मानसिक गुलामी से मुक्ति संसदीय प्रजातांत्रिक प्रणाली के स्थान पर राष्ट्पति, और राज्यपाल का सीधे चुनावं जनता के द्वारा जनता के लिए। एक राष्ट् एक चुनाव, और सबको समान अधिकार। सबका विष्वास, और सबका विकास अतीत के स्वर्ण-यंुग का प्ररम्भ है।

विपक्ष सिर्फ गुलामी के प्रतीक, मानसिक गुलामी,का संविधान, जिसे जनता द्वारा स्वीकृत नहीं किया गया, उसकी दुहाई की याचना ब्रिटीष सम्राट से ही कर सकता है कि मानव अधिकारों का उल्लंघन, और तानाषाही चल रही है। जिस ब्रिटेन ने मानसिक गुलाम बनाया। इसके अलावा विपक्ष के पास कौई अस्त्र नहीं है।

इसका एक ही विकल्प है कि अपने अहम को परे रख कर मोदी को कोसने के बजाय उनकी उचित नीतियों का समर्थन करे, ताकि जो योग्य है वे अपनी सीट कमसे कम जीत ले। यह निष्चित है कि मोदी 2024 में राजीव गांधी से अधिक 400 सीट पर अपना परचम लहराऐंगे ।ं दक्षिण भारत को भाषा के आधार पर अलग देखना विपक्ष के लिए आत्मघाती होगा, जैसे जाति कार्ड फैल हुआ। क्यों कि दक्षिण भारत वेदो का घर है, कृष्ण यजुर्वेद का पालन होता है, तथा उत्तर भारत मेषुक्ल यजुर्वेद की परम्परा का पालन होता है। आदि षंकराचार्य इसके ,द्वारा भारत को एक सांस्कुतिक सूत्र में पिरोया, इसे अंग्रेज भी नही तोड पाए। आर्य-दृविड संघर्ष भारत की प्र्राचीनता को बाईबल के परिप्रेक्ष्य में नकारना उनका उद्दे३य था।

लेखक सूक्ष्म साजनीतिक विष्लेषक है, जिन्होने सर्वप्रथम 1989 में प्रकाषित किया कि हिन्दू कौई धर्म नही है, भारत सदियों से धर्म-निरपेक्ष है, सेक्युलरिज्म मानसिक गुलामी है। जिस पर डॉ. षंकर दयाल षमौ तत्कालीन राष्ट्पति ने कहा कि धर्म-निरपेक्षता का पाठ बच्चो को बचपन से पढाया जाना चाहिएं। यह भी डॉ. त्रिवेदी ने कहा है कि धर्म के आधार पर भारत का विभाजन धोखा था, धर्मविष्वास के परिवर्तन पर अलग राज्य का अधिकार का उदाहरण विष्व में नही है। धर्म-जाति की बंदर बांट राजनीति पर राष्ट्पति प्रणाली द्वारा ही अंकुष संभव है। तीनो राज्यो में मोदी लहर से भाजपा अनुमान से अधिक बहुमत से जितेगी, और मोदी 2024 में परचम लहरायेंगे, यह सालभर पहले ही घोषणा कर चुके है। जिसका ट्रेलर 2023 की जीत है।

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