May 6, 2024

मंदसौर नीमच कांग्रेस संगठन की पाठशाला…?

-चंद्र मोहन भगत

प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ मंदसौर नीमच में कांग्रेस का उद्धार करना चाहते हैं या गर्त में धकेलना स्पष्ट नहीं हो पा रहा है प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद से ही पूरे प्रदेश को अभी भी समझने की कोशिश से गुजर रहे हैं । इसी बीच इसी प्रदेश के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं बावजूद उसके पूरे प्रदेश को जिलेवार राजनीतिक दृष्टि से पूर्व अध्यक्षों की तरह समझ नहीं पाए हैं । कांग्रेस के प्रदेश संगठन के लिए तो मंदसौर नीमच जैसे अबूझ पहेली सा बनता जा रहा है जबकि दिग्विजय सिंह के मुख्यमंत्री काल में यहां से तीन मंत्री सरकार में हुआ करते थे । आज हालात यह है कि यहां संगठन स्तर पर बदलाव करने में मुख्यालय चार साल का समय लग गया।

बहुत ही कशमकश के बाद मंदसौर में विपिन जैन तो नीमच में अनिल चौरसिया को नया अध्यक्ष बनाया है । इनके मनोनयन के पहले से मंदसौर में संगठन प्रभारी बटुक शंकर जोशी थे तो नीमच में प्रेमचंद गुड्डू। बाद में मंदसौर नीमच दोनों जिलों का प्रभारी मुजीब कुरैशी को बनाया गया था पर नीमच में इनके साथ प्रभारी चंद्रशेखर शर्मा को बनाया हुआ था । छह महीने भी नहीं गुजरे थे कि मुजीब कुरैशी को सिर्फ मंदसौर जिला प्रभारी रखते हुए चंद्रशेखर शर्मा को नीमच का संगठन प्रभारी घोषित कर दिया था ।

इस आदेश के बाद लग रहा था कि दोनों जिलों के नए अध्यक्षों की घोषणा के बाद संगठन कार्यों में स्थिरता आएगी। महीना भी नहीं बीता था कि मंदसौर की नई प्रभारी अर्चना जायसवाल बना दी गई तो नीमच में नूरी खान । इतने कम समय के लिए प्रभारियों को भेजना फिर बदल देना ऐसा दर्शा रहा है कि जैसे प्रादेशिक संगठन ने मंदसौर नीमच को पाठशाला बना दिया जहां एक से छह महीने के लिए पदस्थ कर जिला प्रभारियों को ट्रेनिंग के लिए भेजा जाता हो ..!

बहरहाल अब यह माना जा रहा है कि विधानसभा चुनाव के पहले यह बदलाव संगठन को मजबूत बनाने और जन साख में इजाफा करने के लिए किया गया होगा । अभी जिला संगठन में खासकर मंदसौर में ब्लॉक और कार्यवाहक अध्यक्षों की जिम्मेदारी जिन नए नामों को सौंपी गई है उन्हें कांग्रेस कार्यकर्ताओं में ही पूरी तरह स्वीकार्यता नहीं मिल पा रही है । जिस तरह से भी खींचतान वाली स्पर्धा के बाद विपिन जैन को जिला अध्यक्ष बनाया था तब सभी कांग्रेसियों में यह नाम सहजता से स्वीकार्य किया गया था । पर इनके साथ टीम में जिन खिलाड़ियों को रखा जा रहा है उनसे कांग्रेसी ही असहज होते नजर आ रहे हैं । इस तरह की असहजता विपिन की कार्यशैली और छवि को भी प्रभावित करेगी । यह चर्चा भी सतह पर आने लगी है कि विपिन जैन प्रदेश अध्यक्ष से फ्री हैंड लेकर आए थे । बावजूद इसके जैन को भी टीम में किस को पदस्थ किया जा रहा है सीधे घोषणा होने के बाद पता चल रहा है । अब तो यह भी शंका प्रकट की जाने लगी है कि जिला कार्यकारिणी भी कहीं मुख्यालय से ही बनाकर घोषित ना कर दी जाए या फिर दखल बरकरार रखते हुए विपिन का फ्री हैंड वाला किताब छीना जाएगा यह समय बताएगा ।

जो भी होगा सहना जमीनी कार्यकर्ताओं को पड़ेगा जो अब उम्मीद कर रहे होंगे प्रदेश हाईकमान से कि कम से कम अब जिला प्रभारियों को विधानसभा चुनाव तक बने रहने देना । ताकि क्षेत्र को, यहां के जमीनी कार्यकर्ताओं को और जनमत को समझने के साथ यह तय कर सके कि किस तरह के प्रतिनिधि को ज्यादा पसंद करते हैं । प्रभारी अगर प्रत्याशी चयन के अधिकारी हैं तो क्षत्रप नेताओं की पसंद की बजाय जनमत की प्राथमिकता को जानने के लिए भी प्रभारी को समय दे ,वरन इतने फेरबदल का औचित्य हीन साबित होंगें !

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